Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Chandragupta Vikramaditya” , ”चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य
Chandragupta Vikramaditya
भारत : साहसिक, वीर योद्धा
चाद्रगुप्त द्वितीय गुप्तकाल का शासक था। उसके समय भारतीय इतिहास के स्वर्णिम दिन चरमोत्कर्ष पर थे। वह प्रारंभ से ही बड़ा वीर था। एक बार वह अपने शत्रु ‘शक नरेश के खेमे में पहुंच गया और उसे मार डाला। 375 ई. में वह ध्रुवस्वामिनी को अपनी रानी बनाकर सिंहासन् पर बैठा। उसने अपनी स्थिति मजबूत करने की दृष्टि से कई राज्यों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए। इन संबंधों से उसने सहायता पाकर मालवा, गुजरात, सौराष्ट्र, समस्त उत्तर व मध्य भारत, कुषाणों, वाहिलकों, पल्लवों, बंगाल एवं पंजाब पर विजय प्राप्त कर ली। एक अभिलेख के अनुसार उसका प्रभुत्व बैक्ट्रिया और अफगानिस्तान तक था। महरौली (दिल्ली) के पास स्थित लौह स्तंभ से उसकी. विजय की जानकारी मिलती है।
उज्जैन (अवंति) गुप्त सम्राट की राजधानी थी। यह नगर इस समय शिक्षा, साहित्य, कला एवं व्यापार का प्रमुख केंद्र था। अन्य शहर एवं बंदरगाह भी काफी उन्नत अवस्था में थे।
चंद्रगुप्त द्वितीय यज्ञ, दान एवं वैदिक परंपराओं में आस्था रखता था। विष्णु भगवान में उसकी ज्यादा श्रद्धा थी। अन्य महान भारतीयों की तरह चंद्रगुप्त भी धर्म के प्रति पूर्ण उदार एवं सहिष्णु था। इसलिए जैन, बौद्ध एवं अन्य मतावलंबी उसके राज्य में बड़ी निश्चिंतता के साथ रहा करते थे। चंद्रगुप्त ने एक ऐसे राज्य की स्थापना की, जो सुख, शांति, समृद्धि और प्रगति में विश्वभर में अद्वितीय स्थान रखता है।
चंदगप्त ने साहित्य, कला एवं विज्ञान के प्रति जो रुचि प्रदर्शित की, वैसी किसी अन्य शासक ने नहीं की। इसी कारण उसके समय में इन तीनों विधाओं का अपूर्व विकास हुआ। उसका दरबार विद्वानों, कवियों एवं कलाकारों से भरा रहता था। उसके ‘नवरत्न’, जिनमें महाकवि कालिदास भी आते हैं, विख्यात हैं। अमरसिंह, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, धनवंतरी, वसुबंध , ब्रह्मगुप्त, विशाखदत्त आदि इसी समय की महान विभूतियाँ थीं।
इतिहास में चंद्रगुप्त को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। भारत का यह आदर्श सम्राट एक महान योद्धा और कुशल प्रशासक था। 415 ई. तक शासन् करने के बाद उसकी मृत्यु हुई।