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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Badh ka Drishya ”, ”बाढ़ का दृश्य” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

बाढ़ का दृश्य

Badh ka Drishya 

निबंध नंबर :- 01

प्रकृति के प्रकोप का एक स्वरूप बाढ़ है। सामान्य रूप से जो नदी शान्त रहती है, अपने किनारे बसे हुए ग्राम वासियों को नित्य अनेक प्रकार से सहायता करती है, बाढ़ के समय उसका रौद्र रूप देखकर भय लगता है। नदी के उद्गम क्षेत्र में भारी वर्षा होने पर नदी देखने को मिलता है। उफन कर चलने लगती है। उसके तटीय प्रदेश में प्रलयंकारी दृश्य नदी में बड़े वेग से पानी बढ़ता है। सबसे पहले नदी के किनारे के खेतों का सर्वनाश होता है। खड़ी फसल डूबकर सड़ जाती है।

तट के समीप बसे गाँवों में पानी भरने लगता है। ग्रामवासी सुरक्षित स्थान की खोज में घर छोड़कर जाने लगते हैं। कोई ऊँचे वृक्षों की शरण लेते हैं। बाढ़ का प्रकोप अधिक होने पर वहाँ भी वे सुरक्षित नहीं रहते। अनेक पशु और प्राणी उसकी चपेट में आकर बह जाते हैं। असावधान चरवाहे और अनेक चरते हुए पशु बाढ़ की चपेट में बहुधा अपने प्राण खो बैठते हैं।

नदी के तट पर बसे नगरों में बाढ़ का प्रकोप अलग ही दृश्य प्रस्तुत करता है। सड़कों और बाजारों में पानी भर जाता है। लोग सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के लिए नावों का सहारा लेते हैं। जब तक बाढ़ का पानी बढ़ता रहता है तब तक लोगों के प्राण संकट में पड़े रहते हैं।

बाढ़ के भयंकर वेग से नदी किनारे के बड़े बड़े वृक्ष भी उखड़ कर पानी में बहने लगते हैं। ये वृक्ष कभी कभी बाढ़ की चपेट में आए प्राणियों को नाव का काम देते हैं। एक बार देखा गया कि कि बाढ़ से बहकर जाते हुए वृक्ष पर भयंकर सर्प और आदमी चिपटे हुए जा रहे हैं। इस संकट में वे अपनी शत्रुता भी भूल चुके हैं। सब को अपने प्राणों की चिन्ता है। बहते हुए पानी में पशुओं के शव, साँप, बिच्छू आदि विषैले जन्तु भी बहते दिखाई देते हैं।

साहसी लोग ऐसे समय में प्रभावित लोगों की सहायता करते हैं। तैराक लोग जितना संभव होता है, उतना लोगों का बचाव करते हैं। अधिक दिनों तक बाढ़ का प्रकोप रहा तो सरकारी मशीनरी भी सक्रिय हो जाती है। मोटर बोटों और नावों द्वारा टीलों आदि पर फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर लाया जाता है। द्वीपाकार बने हुए स्थानों पर शरणार्थियों को सरकार भोजन पानी हैलीकोप्टरों द्वारा पहुँचाती है। हैलीकोप्टर लोगों को ऐसे स्थानों से उठाकर भी सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाते हैं।

बाढ़ के समय एक संकट है, तो बाढ़ उतरते ही दूसरा उपस्थित हो जाता है। गड्ढ़ों में भरा पानी सड़ जाता है। इससे वाय प्रदूषण व्याप्त हो जाता है। प्रदूषण के कारण अनेक बीमारियाँ फैल है। सरकार को चिकित्सा का प्रबन्ध करना होता है। प्रभावित थे। के निवासियों को रोग निरोधक टीके लगाए जाते हैं।

जो लोग बेघर हो जाते हैं, उनके पास खाना और कपड़ों की समस्या हो जाती है। सरकार को इसका भी प्रबन्ध करना पड़ता है। कुछ सहायता राशि सरकार स्वयं स्वीकृत करती है, तथा कल सहायता समाज सेवी संस्थाएँ करती है। वे घर घर जाकर अनाज व पुराने कपड़े इकड़े करके प्रभावित लोगों में बाँटते हैं।

बाढ़ के समय जो करोड़ों रुपए की फसल नष्ट हो जाती है, उसमें । तो सरकार प्रभावित किसानों की सहायता करती है। पर बाढ़ स्वयं में ही उनकी गुप्त रूप से सहायता करती है। बाढ़ उपजाऊ मिट्टी से खेतों । को भरदेती है, जो बहुमूल्य खाद का काम देती है। दूसरी फसल में उनकी फसल चौगुनी उतरती है।

 

निबंध नंबर :- 02

बाढ़ का एक दृश्य

Badh ka Drishya 

 

मनुष्य प्राकृतिक प्राणी है। वह प्रकृति की बहुत पूजा करता है तथा वरदान प्राप्त करता है। परन्तु कई बार उसे अभिषाप के रूप में प्रकृति की कई विपतियों का शिकार भी होना पड़ता है। अभिषाप के रूप में मानव को बाढ़, भूकम्प, महामारी तथा अकाल का सामना करना पड़ता है। वर्षा वरदान है परन्तु जब भीष्ण वर्षा होती है तो त्राहि-त्राहि मच जाती है। भयानक बाढ़ मानव जीवन को बर्बाद कर के रख देती है। हमारे नगर में गत वर्ष बाढ़ ने ताण्डव मचा दिया । उसकी छाप आज भी हृदय पर अटल अंकित है। उसको याद करके यह दिल दहल जाता है।

आकाश में काले बादल छाये थे। ठण्डी-ठण्डी हवा चल रही थी। हवा शीत तथा मधुर थी। तभी इस हवा ने तेज़ तूफान का रूप धारण कर लिया तथा तेज़ आंधी चलने लगी और आकाश से पानी बरसना शुरू हो गया। नदी में पानी भर आया पानी अधिक होने के कारण उसने नदी के किनारों को तोड़ दिया तथा सारा नगर बाढ़ की लपेट में आ गया। सारा नगर थल से जल में परिवर्तित हो गया। सारा जीवन अस्त व्यस्त हो गया। सारे लोग जो ऊंचे-ऊंचे मकानों में रहते थे वह बेघर हो गए। सैंकड़ों लोग मर गए, कई बच्चे अनाथ हो गए, सभी लोगों की आंखों में आंस तथा दिल में भय का इतना दर्दनाक दृश्य था जो मनुष्य की आत्मा को पुकारता हो।

बाढ से लोगों की दशा बहुत ही दर्दनाक थी। हज़ारों लोग पानी में खडे – आधे डूबे मकानों की छतों पर जीवन व्यतीत कर रहे थे। वह सारी रात जागते रहे। दिलों में मौत का भय था। न खाने के लिए रोटी न पीने के लिए पानी । छोटे-छोटे नन्हें मासूम बच्चे बिलखते रहे। माताएं आंसु बहा रही थी परन्तु हमें दिल से उन्हें धीरज बधाएं हुए थे।

हज़ारों बच्चे भूख से तड़प रहे थे। सच ही कहा है कि मानव ही मानव के काम आता है। मानव की रक्षा के लिए हज़ारों लोग तथा सैनिकों की टोलियां ने अच्छी सहायता की। बाढ़ के कारण सड़के, पुल इत्यादि टूट चुके थे। रेल की पटरीयां भी खराब हो चुकी थी तथा सामग्री को बाढ़ के स्थान तक पहुंचाना बहुत मुश्किल था। लोगों ने उन्हें हर प्रकार की आवश्यक सामग्री पहुंचाई। लोगों ने अनाज, कपड़े तथा पैसा जो भी आवश्यक था पहुंचाया। सैनिकों ने भी लोगों की सहायता की।

नगर का दृश्य बहुत ही प्यारा था। सैंकड़ों वर्ग मील जगह पानी में बदल गई तथा सारा स्थान झील सा बन गया। बाढ़ के कारण सभी प्रकार के सम्पर्क हट गए। यातायात थमा सा दिखाई दे रहा था। लोगों तक खाद्य सामग्री पहुंचाने में काफी कठिनाई हुई ।

भगवान् ने जहां प्रकृति को सुन्दर तथा आकर्षक बना कर मानव को उसका आनन्द ही नहीं दूसरी तरफ बाढ़ का व्यापक रूप देख कर मानव का हृदय पुकार पड़ता कि यह अजीब बात है फिर भी हम अब संकल्प करते है कि ऐसी विपत्ति में भी हम एक दूसरे की सहायता करेंगे और पीछे कदम नहीं करेगें ।

निबंध नंबर :- 03

नदी में बाढ़

या

बाढ़ का एक दृश्य

मैं दिल्ली में रहता हूँ। यह यमुना नदी के किनारे पर स्थित है। अगस्त का महीना था। सारा महीना तेज़ वर्षा हुई थी। यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा था। यह खतरे का निशान पार कर चुका था। डर था कि नदी जल्द ही किनारों से ऊपर बहना शुरु हो जाएगी। वे लोग जो यमुना के दोनों और रहते थे उन्हें अपने घर खाली करने को कहा गया और ऊँचे स्थानों पर आश्रय ढूँढने को कहा गया।

26 अगस्त को नदी ऊपर बहने लगी। पानी नीचे के गाँवों में प्रवेश कर गया। लोगों ने अपनी झोंपड़ियाँ और घर छोड़ने शुरू कर दिए। पानी इन इलाकों में धीरे-धीरे बढ़ रहा था। लोगों में अफरा-तफरी फैल गई। लोग, परेशान थे कि क्या करें। जल्दी ही तेजी से बहाव ऊँचा हो गया। नीचे के इलाकों पर बहुत बुरा प्रभाव हो रहा था। सरकारी मशीनरी ने काम शुरू कर दिया। पुलिस वाले इन इलाकों में आ गए। बचाव कार्य के लिए किश्तियाँ लाईं गईं।

गलियों नहरों में तबदील हो गईं। बाढ़ प्रभावित लोग अपना कीमती सामान नावों पर लाद कर सूखी जगह पर जाते नज़र आ रहे थे। वहाँ पर स्वयंसेवक भी थे। उन्होंने लोगों और उनके सामान को सुरक्षित इलाकों में ले जाने के लिए दिन रात काम किया। प्रभावित लोगों को प्राथमिक चिकित्सा देने के लिए डॉक्टरों और नर्सों का एक दल दवाओं के साथ पहुँच गया। बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए खासतौर पर बनाए गए कैम्पों में कपड़ा और खाना प्रदान किया गया। उन्हें मुफ्त चिकित्सा सहायता दी गई। ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। उसके बाद वर्षा बन्द हो गई और पानी का स्तर घटना शुरु हो गया। इससे लोगों को बहुत राहत मिली। नदी एक बार फिर खतरे के निशान से काफी नीचे बहना शुरू हो गई। ईश्वर का धन्यवाद है कि जान का कोई नुक्सान नहीं हुआ। सभी संगठनों द्वारा समय पर की गई सहायता के लिए भी धन्यवाद।

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