Hindi Essay/Paragraph/Speech on “माइकेल फैराडे ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
माइकेल फैराडे
इंग्लैंड : डायनामो का आविष्कारक
जन्म : 1791
मृत्यु : 1867
माइकेल फैराडे इस बात का उदाहरण हैं कि किसी स्कूल या कालेज में शिक्षा प्राप्त किए बिना कोई भी व्यक्ति अपने अध्यवसाय और सूझबूझ के बल पर महान कार्य कर सकता है।
माइकेल फैराडे 14 वर्ष की आयु में और कोई काम न मिलने के कारण पुस्तकों पर जिल्द चढ़ाने वाली एक कंपनी में काम करने लगा। जिल्द बनाते समय वह पुस्तकें पढ़ने का प्रयत्न भी करता रहता था। प्रायः उसकी रुचि विज्ञान संबंधी पुस्तकों में थी। उन दिनों सर हम्फ्रे डेवी एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। वह एक बार लंदन में किसी वैज्ञानिक विषय पर भाषण कर रहे थे, तभी फैराडे ने विज्ञान का विद्यार्थी न होने पर भी उनके भाषण के नोट इस प्रकार लिए, जिसे देखकर स्वयूँ डेवी आश्चर्यचकित रह गए। इसपर उन्होंने फैराडे को अपना शिष्य बना लिया। डेवी के साथ रहकर फैराडे ने उनकी देख-रेख में रसायन और भौतिक शास्त्र का अध्ययन किया।
जिस समय तार में बिजली प्रवाहित होती है, उस समय उसके इर्द-गिर्द चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न होता है। यदि उसके निकट चुंबक रखा जाए, तो वह भी विद्युत प्रवाह से प्रभावित होगा। फैराडे ने चुंबक को तार के निकट घुमाकर जब परीक्षण किए, तो उसने पाया कि उसमें विद्युत प्रवाह पैदा हो जाता है। इसी ज्ञान के आधार पर बिजली पैदा करने वाला यूँत्र डायनामो बनाया।
ब्रिटिश सरकार ने उनकी खोजों के कारण उन्हें ‘सर’ का खिताब देना चाहा और रॉयल सोसायटी का अध्यक्ष बनाना चाहा, परंतु सरल स्वभाव के फैराडे ने दोनों प्रस्तावों को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया। फैराडे की विद्युत संबंधी खोजों एवं अनुसंधानों के कारण आगे चलकर । एक्स-रे, टी.वी. तथा अन्य उपकरणों के विकास एवं निर्माण में सहायता मिली।