Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Kalpana Chawla”, “कल्पना चावला” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
कल्पना चावला
Kalpana Chawla
कल्पना चावला उन भारतीय नामों में से एक नाम है, जिसने अपनी आभा तथा तेज से पूरे विश्व को प्रकाशित किया तथा करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी। कल्पना चावला को कोई ‘अंतरिक्ष का नागरिक’ कहता है तो कोई ‘आकाशगंगा की यात्री’। कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री होने का गौरव हासिल करने वाली साहसी महिला थी।
कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल जिले में 1 जुलाई, सन् 1961 को एक व्यापारी परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा करनाल के टैगोर स्कूल से प्राप्त की थी। कल्पना ने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से प्राप्त की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए टेक्सास चली गई तथा इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उसके बाद कोलोरिडा के विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। कल्पना नासा में चयनित हो गई। कल्पना ने 1993 में कैलीफोर्निया की एक कंपनी में उपाध्यक्ष तथा रिसर्च वैज्ञानिक के रूप में काम शुरू किया। सन् 1999 में नासा ने सुश्री कल्पना चावला का अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन किया।
इस प्रकार, कल्पना मार्च 1995 में पंद्रहवें अतंरिक्ष समूह से जुड़ गई। एक वर्ष के प्रशिक्षण और मूल्यांकन के बाद सुश्री कल्पना को रोबोरिक्स अंतरिक्ष में विचरण से जुड़े तकनीकी विषयों पर काम करने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। 1996 में उन्हें मिशन स्पेशलिस्ट का भार सौंपा गया। 13 नवंबर से 5 दिसंबर 1997 तक वे एस.टी.एस. 87 पर प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर रही। उनकी कार्य के प्रति लगन देखकर उन्हें प्रमुख रोबोटिक्स ऑपरेटर का महत्त्वपूर्ण पद सौंपा गया।
पाँच साल के लंबे अंतराल के पश्चात् कल्पना दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर गई ताकि अपनी टीम के साथ कोलंबिया यान में अपने अंतरिक्ष अभियान में 80 शोध परे कर सकें। कोलंबिया यान कई दिनों तक अंतरिक्ष में रहा तथा अनेक शोध पूरे किए। अपने मिशन को पूरा कर लौट रहा कोलंबिया यान 11 फरवरी, सन् 2003 की शाम धरती से 63 कि.मी. की ऊँचाई पर फट गया। यान में सवार सभी यात्री मारे गए। इस यान के अवशेष अमेरिका के टेक्सास नगर में गिरे थे। कल्पना में मानवहित तथा संसार की प्रगति के लिए अपनी जान गँवा दी। वह दूसरे अर्थों में किसी शहीद से कम सम्मानीय नहीं है। उन्होंने नि:संदेह संसार में भारत का नाम रोशन किया।