Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Ka Barkha Jab Krishi Sukhane” , “का बरखा जब कृषि सुखाने” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
का बरखा जब कृषि सुखाने
Ka Barkha Jab Krishi Sukhane
खोया धन परिश्रम से पुनः प्राप्त किया जा सकता है, खोया स्वास्थ्य भी उचित चिकित्सा व संतुलित, पौष्टिक भोजन से पाया जा सकता है, किन्तु एक बार जो समय निकल गया उसे अपना सर्वस्व देकर भी नहीं लौटाया जा सकता। फ़सल को सही वक्त पर पानी चाहिए, यदि उस समय नहीं मिला है हर कार्य का एक समय होता है, वह समय यदि जितना महत्त्व परिश्रम का है, उतना ही अवसर पर पहला कदम सुअवसर की पहचान है क्योंकि यदि वह हाथ से फिसल गया तो फिर परिश्रम से भी कुछ नहीं पाया जा सकता। विद्यार्थी जीवन में जो विद्यार्थी पूरे वर्ष गप्पबाजी में गंवा देते हैं, कक्षा में ध्यान नहीं देते, काम समय पर नहीं करते वे परीक्षाएं सिर पर आ जाने पर परिश्रम प्रारंभ करते हैं। दिन-रात एक कर देते हैं, किन्तु पूरे वर्ष का पाठ्य-क्रम कुछ दिनों में पूरा करना संभव नहीं। परिणाम-कम अंकों से ही संतुष्ट होना पड़ता है। इतिहास साक्षी है कि समय चूक जाने पर बड़े-से बड़े योद्धा विश्व-विजेताओं को पराजय का सामना करना पड़ा है। सफलता का मूलमंत्र होता-‘सदैव सजगता और सतर्कता‘।