Hindi Essay, Paragraph on “पराधीनता एक अभिशाप”, “Paradhinta ek Abhishap ” 200 words Complete Essay for Students of Class 9, 10 and 12 Exam.
पराधीनता एक अभिशाप
Paradhinta ek Abhishap
स्वाधीनता मानवीय विकास का प्रथम चरण है तथा दासता मानवता के मस्तक पर कलंक है। दासता का जीवन पशु-जीवन के समान होता है। वह मानव की प्रतिष्ठा तथा मान-सम्मान के विरुद्ध है। दासता के दमघोट वातावरण में कोई व्यक्ति समाज अथवा राष्ट्र अपने व्यक्तित्व को विकसित नहीं कर सकता। यह कितनी लज्जा की बात है कि मनुष्य-मनुष्य को अपना दास बनाने का प्रयत्न करे। दासता जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है। दासता समाज के सभी मौलिक नियमों के विरुद्ध है। क्या सोने के पिंजरे में पड़ा पक्षी सच्चे सुख और आनंद की अनुभूति कर सकता है? खुली हवा में सांस न ले सकने वाला व्यक्ति स्वतंत्र रूप से चितन-मनन नहीं कर सकता जीवन का सुख-चैन और शांति समाप्त हो जाती है। उसका आत्म-सम्मान की भावना नष्टप्राय हो जाती है। किसी भी प्रकार की पराधीनता किसी व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र का सभ्यता तथा संस्कृति को नष्ट कर दी सभी मानवीय मूल्यों को नष्ट कर देती है। दासता का जीवन काई जीवन नहीं है। वह मनुष्य को निस्तेज तथा उत्साह विहीन बना देती है।