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Hindi Essay-Paragraph on “Yuvako ka desh ke prati kartavya” “युवकों का देश के प्रति कर्तव्य” 340 words Complete Essay for Students of Class 9, 10 and 12 Examination.

युवकों का देश के प्रति कर्तव्य

Yuvako ka desh ke prati kartavya 

 

प्रत्येक को देश की उन्नति का प्रमुख भार उसके नवयुवकों पर होता है। यदि यह कहा जाए कि देश का भार युवकों सबल कंधे ही उठा सकते हैं, तो अत्युक्ति न होगी। उनमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्ति अधिक होती है। वे प्रत्येक उत्तरदायित्व को संभालने के योग्य होते हैं। युवकों में साहस होता है, शारीरिक बल होता है, ममता होती है। इन्हीं शक्तियों के बल पर देश की व्यवस्था तथा शासन अच्छी प्रकार से संचालित होते हैं। अतः देश के उत्थान की सर्वाधिक क्षमता और शक्ति देश के युवकों में ही होती है। युवक ही आक्रमणकारियों से देश की रक्षा कर सकते हैं। उनका तन-मन-धन सब देश के लिए होता है। देशभक्ति से ओतप्रोत होकर वे देश के लिए ही जीते-मरते हैं। इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि देश के उत्थान और पतन में इस देश के । सवकों का भारी हाथ रहा है। देश में भिन्न-भिन्न संप्रदायों के लोग निवास करते हैं। एक संप्रदाय दूसरे के विरुद्ध विष उगलता रहता है। यह प्रवृत्ति देश के लिए अत्यंत घातक है। नवयुवकों को सांप्रदायिकता से ऊपर उठकर। ‘रहो और रहने दो’, ‘जीओ और जीने दो’ के सिद्धांत का प्रचार करना चाहिए। प्रत्येक जाति तथा संप्रदाय के नवयुवकों को यह तथ्य हृदयंगम कर लेना चाहिए कि सबसे पहले वे भारतवासी हैं, और सब कुछ पीछे। कला-कौशल तथा दस्तकारी भी देश की उन्नति के प्रमख स्तंभ हैं। अतः युवकों का कर्तव्य है कि वह स्वयं कलाकार या दस्तकार बनें, और दूसरों को भी इस ओर प्रेरित करें। खेत, फैक्टरी, कारखाने व मिल आदि हर क्षेत्र में उत्पादन-वृद्धि के लिए युवक निष्ठापूर्वक प्रत्यन करें। देशवासी कई प्रकार की अंध-परंपराओं में फंसे हुए हैं। दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों से निम्न एवं मध्य वर्ग के प्रायः सभी लोग परेशान हैं। इस बुराई को नवयुवक ही दूर कर सकते हैं। अनुशासन भी देशोन्नति के लिए अत्यंत आवश्यक है। अनुशासन के अभाव में देश ने बहुत कष्ट भोगे हैं, बहुत हानि उठाई है। अनुशासन का महत्त्व जानकर जब नवयुवक उसका पालन करना और सीखेंगे तभी देश का भाग्योदय होगा।

340 शब्द 

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