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Hindi Essay-Paragraph on “Chunav” “चुनाव” 700 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Subjective Examination.

चुनाव

Chunav 

भारत एक प्रजातांत्रिक देश है। प्रजातांत्रिक शासन-प्रणाली में शासन जनता के हाथों में होता है। लेकिन यह संभव नहीं है कि प्रत्येक आदमी की इच्छा से शासन हो। इसके लिए जन-प्रतिनिधित्व का प्रावधान है। जनता अपनी इच्छा से शासन चलाने के लिए अपने अनुकूल व्यक्ति को प्रतिनिधि चुन सकती है। इसमें जनता द्वारा चयनित प्रतिनिधि ही शासन चलाते हैं। इसे प्रतिनिधियों का चयन जिस प्रक्रिया द्वारा होता है, उसे चुनाव कहते हैं। चुनाव में विजयी उम्मीदवार देश का शासन चलाता है। अतः यह आवश्यक है कि प्रतिनिधियों का चयन सही हो, अन्यथा देश में कुव्यवस्था फैल सकती है। इसलिए चुनाव प्रजातांत्रिक शासन-प्रणाली की आधार-शिला है। पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा हैं, “चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविद्यालय है।” लेकिन आज चुनाव महज एक मजाक बनकर रह गया है। इसमें सुधार अत्यंत आवश्यक है।

स्वतंत्र भारत में पांच वर्षों के अंतराल पर एक आम चुनाव का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा माध्यावधि चुनाव और उप-चुनाव की भी व्यवस्था है। भारत में चुनाव-व्यवस्था सुचारू ढंग से चलाने के लिए एक निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई है। जिसका प्रधान मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग के मातहत राज्यों में भी राज्य निर्वाचन आयोग कार्य करता है। चुनाव में 18 वर्ष या उससे ऊपर के सभी वयस्क स्त्री-पुरुष को मत देने का समान अधिकार है, बशर्ते वह पागल, दिवालिया या आपराधिक चरित्र का न हो। चुनाव दो प्रकार के होते हैं-प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष। प्रत्यक्ष चुनाव में जनता सीधे अपना मत देकर प्रतिनिधियों का चयन करती हैं। जैसे-विधानसभा और लोकसभा के सदस्यों का चुनाव। अप्रत्यक्ष चुनाव में जनता द्वारा चयनित प्रतिनिधि ही चुनाव में भाग लेते हैं।

चुनाव के लिए सर्वप्रथम चनाव आयोग द्वारा अधिसचना जारी की जाती है। चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवार खड़ा करते हैं। इसके लिए चुनाव-क्षेत्र निर्धारित रहते हैं। संपूर्ण चुनाव क्षेत्र को छोटी-छोटी इकाइयों में बांट दिया जाता है। जिसे बूथ या मतदान केंद्र कहते हैं। इन्हीं केंद्रों पर लोग मतदान करते हैं। प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की संख्या लगभग 500 से 1000 तक होती। है। निर्धारित तिथि के एक दिन पूर्व ही चुनाव कर्मचारी बूथ पर पहुंच जाते हैं। वे अपने साथ मतपत्र, मतपेटियां आदि चुनाव संबंधी सामान लिए रहते हैं। हालांकि अब मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीन का उपयोग हो जाने से कई तरह के सामानों को बूथ पर ले जाने की समस्या समाप्त हो गई है। ई.वी.एम. का प्रयोग अब पूरे भारतवर्ष के चुनाव-क्षेत्रों में होने लगा है। प्रत्येक बूथ पर शांतिव्यवस्था हेतु पुलिस बल तैनान रहती है। संवेदनशील बूथों पर विशेष चौकसी रखी जाती है।

प्रत्येक बूथ पर एक पीठासीन अधिकारी होता है। जिसकी देख-रेख में बूथ पर मतदान कार्य संपन्न होता है। मतदान कार्य कराना आज के आपराधिक माहौल में काफी जोखिम भरा हो गया है। मतदान कार्य प्रातः 8 बजे से सायं 5 बजे तक संपन्न होता है। मतदान के बाद मतपेटियों या ई.वी.एम. को सील कर दिया जाता है। मतगणना की निर्धारित तिथि तक मतों की सुरक्षा का भारी इंतजाम किया जाता है। मतगणना के बाद जिस उम्मीदवार को सर्वाधिक मत प्राप्त होता है वह विजयी घोषित किया जाता है। उस क्षेत्र के सिविल एस.डी.ओ. या डी.एम. जो रिटर्निंग ऑफीसर होते हैं, उनके द्वारा विजयी उम्मीदवार को लिखित प्रमाण-पत्र दिया जाता है।

भारत में चुनाव एक समस्या हैं, क्योंकि भारत की अधिकांश जनता अशिक्षित है। अशिक्षित जनता चुनाव का महत्त्व नहीं समझ पाती है। जातीयता, सांप्रदायिकता एवं आर्थिक प्रलोभन के चक्कर में फंस कर वह अपने मताधिकार का दुरुपयोग कर बैठती है। चुनाव के समय हत्या, बूथ-छापामारी आम बात हो गई है। शक्तिशाली लोग अपने पक्ष में बूथ लुटवा देते हैं। पैसे के बल पर गरीब जनता का मत खरीद लेते हैं। अब तो सत्तालोलुप पदाधिकारी भी बूथ लुटवाने में असामाजिक तत्त्वों को सहयोग प्रदान करते हैं। इतना ही नहीं, ये पदाधिकारी मतगणना में भी हेराफेरी से बाज नहीं आते है।

सारांशतः लोकतंत्र की सफलता के लिए चुनाव का निष्पक्ष होना जरूरी है। इसके लिए चुनाव को एक पर्व की तरह मानना चाहिए। जिस प्रकार किसी धार्मिक पर्व का महत्त्व है, उसी प्रकार चुनाव की भी पवित्रता है। हिंसा, बूथ छापेमारी, जातीयता, सांप्रदायिकता, आर्थिक भ्रष्टाचार आदि चुनाव की अपवित्रताएं हैं। इनको चुनाव से दूर रखना चाहिए। इसीलिए कहा गया है- “चुनाव युद्ध नहीं, तीर्थ है, पर्व है।”

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