Hindi Essay-Paragraph on “Anishasan” “अनुशासन” 500 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Subjective Examination.
अनुशासन
Anishasan
शासन के आगे ‘अनु’ उपसर्ग लगने से अनुशासन शब्द बना है। अनु शब्द का अर्थ है-पीछे। इस प्रकार अनुशासन का शाब्दिक अर्थ हुआ शासन के पीछे-पीछे चलना। यहां शासन का मतलब शासकीय मान्यताओं का पालन ही अनुशासन है। परिवार में पुत्र-पिता के अनुशासन में न रहे। पुत्री माता के अनुशासन में न रहे, तो वह परिवार अव्यवस्थित हो जाए। उसी प्रकार सरकारी कार्यालयों में अगर कर्मचारी/ अधिकारी के अनुशासन में न रहें, तो कार्यालय में अव्यवस्था फैल जाए। सभी संस्थाओं या संगठनों में कार्यकर्ता या कर्मियों को अनुशासन में रहना पड़ता है।
महात्मा गांधी ने कहा है-
“अनुशासन के बिना न परिवार चल सकता है न संस्था और न राष्ट्र।”
प्रत्येक व्यक्ति में बाल्यकाल से ही अनुशासन का बीज डालने की चेष्टा की जाती है। बच्चा मां के प्यार, पिता की डांट और शिक्षकों के मार्गदर्शन से अनुशासित होता है। बचपन में डाला गया अनुशासन का बीज अंकुरित हो बड़ा हो जाता है। तब बालक एक आदर्श नागरिक बनता है। ऐसे ही बालक आगे चलकर एक व्यावहारिक पदाधिकारी बनते है। जब ऐसा के उच्च अधिकारी बनते हैं, तब अपने अधीनस्थों के लिए एक आदर्श होते हैं। भारत रत्न इंदिरा गांधी के शब्दों में, बच्चों को अनुशासित रखने के लिए पूरे समाज का अनुशासित होना आवश्यक है।
लेकिन आज यह गंभीर चिंता का विषय है कि छात्र जो राष्ट्र के भावी कर्णधार है, उनमें अनुशासनहीनता व्याप्त है। अनुशासनहीनता और आज का विद्यार्थी दोनों एक-दूसरे के पयार्य बन गए हैं। छोटी-सी घटना को लेकर सरकारी बसों एवं कार्यालयों को जलाना, दुकानों को लूटना एक सामान्य बात हो गई है। परीक्षा की मर्यादा का हनन करना तो आज के विद्यार्थियों का मानो जन्मसिद्ध अधिकार ही है। परीक्षा में नकल नहीं करने देने पर गुरुजनों को अपमानित करना आम बात है। आज छात्र शिक्षकों से नहीं डरते, शिक्षक ही छात्रों के दुर्व्यवहार से डरते हैं। इन सभी के पीछे मूल में अनुशासनहीनता है। विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता अनेक कारणों से राजनीतिक प्रदूषण सर्वाधिक जिम्मेवार है। आज के राजनीतिज्ञ अपने क्षुद्र संशयों की पूर्ति हेतु विद्यार्थियों को अपना हथकंडा बनाते हैं। इसी के असर से समाज में सभी जगह अराजकता व्याप्त है।
अतः राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुशासन का पालन जरूरी है, चाहे वह व्यापारी हो या मजदूर, शिक्षक हो या छात्र, पदाधिकारी हो या कर्मचारी, नेता हो या फौजी। तभी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संभव है। वस्तुतः संगठन ही संगठन की कुंजी और प्रगति की सीढ़ी है।
टेनिसन ने कहा है
Their’s not to make reply,
Their’s not to reason why,
Theirs’s but to do and die.
अर्थात् उनका कर्तव्य उत्तर देना नहीं, उनका कर्तव्य तर्क करना नहीं, उनका कर्तव्य केवल कर्म करना और मर जाना है। ऋग्वेद में कहा गया है, जो अनुशासन एकता है, वही शासन करता है। इस प्रकार लोकतांत्रिक समाज में आत्म-अनुशासन अति प्रभावशाली उक्ति है।
10 Lines on ”Anushasan”
10 पंक्तियाँ “अनुशासन ” पर
- शासन के आगे ‘अनु’ उपसर्ग लगने से अनुशासन शब्द बना है। अनु शब्द का अर्थ है-पीछे। इस प्रकार अनुशासन का शाब्दिक अर्थ हुआ शासन के पीछे-पीछे चलना।
- प्रत्येक व्यक्ति में बाल्यकाल से ही अनुशासन का बीज डालने की चेष्टा की जाती है।
- बचपन में डाला गया अनुशासन का बीज अंकुरित हो बड़ा हो जाता है। तब बालक एक आदर्श नागरिक बनता है।
- भारत रत्न इंदिरा गांधी के शब्दों में, बच्चों को अनुशासित रखने के लिए पूरे समाज का अनुशासित होना आवश्यक है।
- लेकिन आज यह गंभीर चिंता का विषय है कि छात्र जो राष्ट्र के भावी कर्णधार है, उनमें अनुशासनहीनता व्याप्त है।
- छोटी-सी घटना को लेकर सरकारी बसों एवं कार्यालयों को जलाना, दुकानों को लूटना एक सामान्य बात हो गई है।
- विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता अनेक कारणों से राजनीतिक प्रदूषण सर्वाधिक जिम्मेवार है।
- इसी के असर से समाज में सभी जगह अराजकता व्याप्त है।
- अतः राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुशासन का पालन जरूरी है, चाहे वह व्यापारी हो या मजदूर, शिक्षक हो या छात्र,
- ऋग्वेद में कहा गया है, जो अनुशासन एकता है, वही शासन करता है। इस प्रकार लोकतांत्रिक समाज में आत्म-अनुशासन अति प्रभावशाली उक्ति है।