Hindi Essay, Paragraph on “पर्यटन के लाभ”, “Paryatan ke Labh” 400 words Complete Essay for Students of Class 9, 10 and 12 Exam.
पर्यटन के लाभ
Paryatan ke Labh
पर्यटन का अर्थ
पर्यटन के लाभ
पर्यटन के भिन्न-भिन्न साधन
बीसवीं शताब्दी में पर्यटन का स्वरूप
देशाटन का ही दूसरा नाम पर्यटन है। इसे यात्रा भी कहते हैं। पर्यटन से अनेक लाभ हैं। इससे मनुष्य का अनुभव बढ़ता है और वह कूपमंडूक नहीं रहता। मनुष्य विभिन्न वस्तुओं-स्थानों, जीव-जन्तुओं और मनुष्यों को अपनी आँखों से (प्रत्यक्ष) देखकर अपने ज्ञान-विज्ञान में महती वृद्धि करता है। देशाटन करते समय मनुष्य को अनेक प्रकार के कष्टों तथा संकटों का सामना करना पड़ता है। इससे उसे संकटों के साथ जूझने की आदत पड़ जाती है। यात्रा क दौरान उसका भिन्न-भिन्न आकार-प्रकार, वेष-भूषा, रहन-सहन तथा विभिन्न सामाजिक जीवन जीने वाले व्यक्तियों से परिचय होता है। विभिन्न स्थानों को देखकर तत्संबंधी तथ्यों से उसे ज्ञान प्राप्त होता है। देशाटन करने से मनुष्य उदार विचारों वाला बनता है, वह लकीर का फकीर नहीं रहता। यदि अपने समाज में समयानुकूल वांछित सुधार करना हो, अपने देश के उद्योग वाणिज्य को ऊँचा उठाना हो, तो देशाटन करना चाहिए। देशाटन से मनोरंजन भी बहुत होता है। मनुष्य नए-नए दृश्यों को देखता है। नए फूलों को सूँघता है, नए फलों को चखता है, नई घाटियों, नदियों, झोला, ग्रामों, नगरों को देखता है, और आंनद पाता है। नई जलवायु से वह अपने स्वास्थ्य में सुधार करता है और अपने व्यक्तित्व का पर्याप्त विकास करता है। स्थल में हम घोडे, हाथी, ऊँट, खच्चर, गधे, रेलगाडी, साइकिल, स्कूटर, बस, मोटर आदि द्वारा यात्रा करते हैं। इसी प्रकार जल में यात्रा के लिए हमें नौकाओं, जलयानों का सहारा लेना पड़ता है। समुद्र यात्रा में मनोरंजन भी खूब होता है। यही कारण है कि संसार की सभी भाषाओं में कवियों ने इस प्रकार की यात्राओं का बहुत सुंदर वर्णन किया है। यह मनुष्य के लिए सर्वथा नवीन अनुभव होता है। इससे उसको असीम उल्लास प्राप्त होता है। समुद्र यात्रा में सूर्योदय और सूर्यास्त तथा चंद्रोदय और चंद्रास्त के दृश्य अत्यंत मनो मुग्धकारी होते हैं। बींसवी शताब्दी में देशाटन के साधनों में बहुत भारी क्रांति हुई है। वायुयानों के बनने तथा विकसित होने से महीनों की यात्रा दिनों में नहीं, बल्कि घंटों में संपन्न हो जाती है। महात्मा बुध, शंकराचार्य, बल्लभाचार्य, गुरु नानक जी, दयानंद, विवेकानंद, रामतीर्थ, राहुल सांस्कृत्यायन आदि देशाटन करने वाले लोग हमारे देश में हो चुके हैं। उन्होंने देशाटन द्वारा जो विस्तृत ज्ञान प्राप्त किया, उससे हमारा समाज ही नहीं, विश्व मानव भी उपकृत हुआ। इसी से हम अनुमान लगा सकते हैं कि देशाटन से कितना लाभ होता है।