Hindi Essay on “Yuva varg ka Rashtriya Utthan me Yogdan”, “युवा वर्ग का राष्ट्र के उत्थान में योगदान” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech.
युवा वर्ग का राष्ट्र के उत्थान में योगदान
Yuva varg ka Rashtriya Utthan me Yogdan
युवाशक्ति ही किसी नव स्वतन्त्रता प्राप्त एवं राष्ट्र का निर्माण करने के लिए उसकी रीढ़ की हड्डी है। युवा शक्ति के अन्दर असीम शक्ति का भण्डार होता है।
युवा वर्ग एक कच्ची मिट्टी के बर्तन जैसा होता है, उसको आप चाहे जिस आकार में ढालना चाहें ढाल सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि युवा वर्ग की असीम शक्ति को समाज कल्याण एवं राष्ट्र के निर्माण के लिए लगाया जाए और युवा वर्ग को एक नई दिशा दी जाए। युवा वर्ग से ऐसी आशा करना और उससे ऐसी अपेक्षा करना सर्वथा उचित भी है।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस देश पर जब-जब भी संकट के बादल मण्डराए हैं तब-तब देश की सजग युवा पीढ़ी ने अपने स्वार्थ और सुख-सुविधाओं को त्याग कर देश की सुरक्षा में अपना पूर्ण सहयोग दिया है । स्वदेशी-आन्दोलन हो या फिर देश की स्वतन्त्रता के लिए किया गया संघर्ष, देश के युवा वर्ग ने अपनी पूरी शक्ति से उसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया और उसे आगे बढ़ाने में अपना पूरा सहयोग दिया। भगत सिंह, राजगुरू, सुखेदव तथा असंख्य नौजवानों ने देश को स्वतन्त्र करवाने के लिए अपनी जवानी देश पर न्यौछावर कर दी।
इस देश पर पड़ोसी देशों द्वारा किए गए आक्रमण, फिर वह चाहे 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 का भारत पाक का युद्ध हो, उसका सामना भी हमारे नौजवान वीर सैनिकों ने बड़े जोश और उत्साह के साथ किया था और दुश्मनों के कुचक्रों का मुँह तोड़ जवाब दिया था।
आज का युग वोटों का युग बन कर रह गया है। चुनाव का सारा ताना बाना इस प्रकार का बन चुका है कि नेता लोग हमारे युवा वर्ग का उसकी शक्ति का दुरुपयोग तो कर सकते हैं परन्तु ऐसा लगता है कि उनके पास उसकी शक्ति का सदुपयोग करने की सूझ-बूझ का अभाव है। यदि हमारे देश के नेता चाहते हैं कि देश का भविष्य उज्ज्वल हो और देश का सही दिशा में निर्माण हो तो उन्हें चाहिए कि वे देश की युवा शक्ति का प्रयोग देश के निर्माण कार्यों के लिए करें।
युवा शक्ति जन जागरण के कार्यों में भाग लेकर आम लोगों में जन जागति ला सकती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत की लगभग 85 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। अभी भी कुछ गाँव ऐसे हैं जिनमें अनपढ़ता की दर बहुत अधिक है। आज देश में कृषि के नए-नए यन्त्रों का आविष्कार हो चुका है, उपज को बढ़ाने के नए-नए ढंग सामने आ चुके हैं, युवा वर्ग गाँवों में जाकर अशिक्षित किसानों को कषि के बारे में नई-नई जानकारी दे सकते हैं। ग्रामीणों को साक्षर बना सकते हैं और उनको ऐसे तत्त्वों से दूर रख सकते हैं जो राष्ट्र निर्माण के कार्य में बाधक सिद्ध हो रहे हैं।
कोई भी समाज तब तक सभ्य समाज कहलाने के योग्य नहीं जब तक वह पुराणी रूढ़ियों या अन्धविश्वासों और रूढ़िग्रस्त समाज को नई दिशा देकर उस समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों जैसे जैसे दहेज प्रथा, बाल-विवाह, छुआछूत, जात-पात, अधिकारों का दुरूपयोग, साम्प्रदायिकता, अनावश्यक संघर्ष, परिवार नियोजन, इनकी वास्तविक जानकारी दे सकता है। यही बाते हैं जो देश के विकास निर्माण में बाधक हैं। युवावर्ग इन बुराईयों के विरुद्ध संघर्ष चलाकर देश के विकास और निर्माण में अपना सहयोग दे सकता है।
देश को आगे ले जाने के लिए, उसके निर्माण व विकास के लिए जितनी आवश्यकता सशक्त कन्धों की है, उतनी उन लोगों की नहीं जो शारीरिक और मानसिक रूप से लाचार हैं । जो देश के नेता बूढ़े हो चुके हैं, स्वयं चलने में लाचार है वे देश को कैसे चलाएंगे ! उन्हें चाहिए कि वे देश के युवा वर्ग को अधिक से अधिक अवसर दें ताकि वे देश के निर्माण में अपना अधिक से अधिक योगदान दे सकें। सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति की उम्र तो 58 साल या 60 साल निर्धारित कर रखी है परन्तु देश के नेताओं की सेवा निवृत्ति की कोई उम्र नहीं रखी। देश के वास्तविक अधिकारी तो देश के युवाओं को ही बनना है। वही इस देश की नींव है, इसलिए युवा वर्ग को सक्रिय राजनीति में भाग लेने का अवसर दिया जाना चाहिए। हम अपनी सम्पूर्ण शक्ति से युवावर्ग में देश भक्ति की ज्योति जलाएँ। उसे देशव्यापी व प्रखर बनाएँ। उस प्रकाश में सम्पूर्ण अज्ञान का अन्धकार लोप हो जाएगा। यह प्रकाश दुनिया की समस्त आसुरी शक्तियों को चुनौती देगा, दृढ़ नीव पर अजेय खडा रहेगा और सम्पूर्ण दुनिया को सिद्ध कर देगा कि वे इस श्रेष्ठ राष्ट्र के श्रेष्ठ सुपुत्र हैं। केवल इसी मार्ग से हम सफल हो सकते हैं।
अन्त में हम कह सकते हैं कि केवल वही राष्ट्र प्रगति में अग्रसी होता है, जहाँ की युवाशक्ति अपनी क्षमता का एक-एक कण राष्ट्र की प्रगति के लिए दांव पर लगाती है। सभी युवा वर्ग स्वयं की प्रसिद्धि सम्पत्ति एवं अधिकार की अभिलाषा देश की बालवेदी पर न्यौछावर करें। इसी में देश की समृद्धि एवं समाज का गौरव है।
है नवयुवाओ! देश भर की दष्टि तुम पर है लगी।
तुम में ही है जीवन की ज्योति सबसे अधिक जगमगी।
तुम न दोगे तो कौन देगा योग देशोद्वार में।
देखों कहां, क्या हो रहा है आजकल संसार में।