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Hindi Essay on “Vijaydashmi” , ”विजयादशमी” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

विजयादशमी

Vijaydashmi

‘विजयादशमी’ हिंदुओं का प्रमुख पर्व है। इसे ‘दशहरा’ भी कहते हैं। सभी बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। विजयादशमी का संबंध ‘शक्ति’ से है। जिस प्रकार ज्ञान के लिए सरस्वती की उपासना की जाती है उसी प्रकार शकित के लिए दुर्गा की उपासना की जाती है।

कहा जाता है कि अत्याचार करने वाले ‘महिषासुर’ नामक राक्षस का उन्होंने संहार किया था। इसके लिए उन्होंने ‘महिषासुरमर्दिनी’ का रूप धारण किया था। दुर्गा ने ही शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों को मारा था। उन्होंने चामुंदा का रूप धारण करके चंड-मुंड राक्षसों का वध किया। श्रीरामचंद्र ने दुर्गा मां की पूजा करके ही रावण का वध किया था। इसलिए बंगाल में तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में भी इस पर्व को ‘दुर्गा पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है।

विजयादशमी का त्योहार दस दिनों तक चलता रहता है। आश्विन मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से इसका आरंभ होता है। दशमी के दिन इसकी समाप्ति होती है। प्रतिपदा के दिन प्रत्येक हिंदू परिवार में देवी भगवती की स्थापना की जाती है। गोबर से कलश सजाया जाता है। कलश के ऊपर जौ के दाने खोंसे जाते हैं। आठ दिनों तक नियमपूर्वक देवी की पूजा, कीर्तन और दुर्गा-पाठ होता है। नवमी के दिन पांच कन्याओं को खिलाया जाता है। उसके बाद देवी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस उत्सव को ‘नवरात्र’ भी कहते हैं। इन नौ दिनों में पूरा करने वाले बड़े संयम से रहते हैं। दशमी के दिन विशेष उत्सव मनाया जाता है। इसे ‘विजयादशमी’ कहते हैं। दशहरा दस पापों को नष्ट करने वाला माना जाता है।

इस पर्व को कुछ लोग कृषि-प्रधान त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। इसका संबंध उस दिन से जोड़ते हैं, जब श्रीरामचंद्र ने लंका के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी, इसलिए यह ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है।

विजयादशमी के साथ अनेक परंपरागत विश्वास भी जुड़े हुए हैं। इस दिन राजा का दर्शन शुभ माना जाता है। इस दिन लोग ‘नीलकंड’ के दर्शन करते हैं। गांवों में इस दिन लोग जौ के अंकुर तोडक़र अपनी पगड़ी में खोंसते हैं। कुछ लोग इसे कानों और टोपियों में भी लगाते हैं।

उत्तर भारत में दस दिनों तक श्रीराम की लीलाओं का मंचन होता है। विजयादशमी रामलीला का अंतिम दिन होता है। इस दिन रावण का वध किया जाता है तथा बड़ी धूमधाम से उसका पुतला जलाया जाता है। कई स्थानों पर बड़े-बड़े मेले लगते हैं। राजस्थान में शक्ति-पूजा की जाती है। मिथिला और बंगला में आश्विन शुक्लपक्ष में दुर्गा की पूजा होती है। मैसूर का दशहरा पर्व देखेन लायक होता है। वहां इस दिन ‘चामुंडेश्वरी देवी’ के मंदिर की सजावट अनुपम होती है। महाराजा की सवारी निकलती है। प्रदर्शनी भी लगती है। यह पर्व सारे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

विजयादशमी कके अवसर पर क्षत्रिय अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करते हैं। जिन घरों में घोड़ा होता है, वहां विजयादशमी के दिन उसे आंगन में लाया जाता है। इसके बाद उस घोड़े को विजयादशमी की परिकर्मा कराई जाती है और घर के पुरुष घोड़े पर सवार होते हैं।

इस दिन तरह-तरह की चौकियां निकाली जाती हैं। ये चौकियां अत्यंत आकर्षक होती हैं। इन चौकियों को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग टूट पड़ते हैं।

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