Hindi Essay on “Vidyarthi Ka Varshik Mohotsav” , ”विद्यालय का वार्षिक मोहोत्सव ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
विद्यालय का वार्षिक मोहोत्सव
मानव-स्वभाव जन्मजात रूप से ही उत्सव प्रिय है। उत्सव का अर्थ है-आनंद। इसलिए उत्सव का नाम सुनते ही मेरा रोम-रोम नाचने लगता है, फिर चाहे वह दीवाली-दशहरा का त्योहार हो या विद्यालय में कोई छोटा-बड़ा आयोजन ही क्यों न हो। उत्सव-त्योहार को आनंदपूर्वक, उत्साह से भरकर मनाना शायद हमारी संसकृति की एक बड़ी ही महत्वपूर्ण देन है। तभी तो हम न केवल उत्सवों-त्योहारों की प्रतीक्षा ही करते रहते हैं, बल्कि कई-कई दिन पहले से उनकी तैयारी भी करने लगते हैं। फिर जब अपने विद्यालय का वार्षिक उत्सव मनाया जाने वाला हो, तब तो मेरा हृदय बल्लियों उछलने लगता है। कारण स्पष्ट है। वह यह कि इस महत्वपूर्ण उत्सव के अवसर पर ही वह सारा लेखा-जोखा और परिणाम सामने आ पाता है कि हम छात्रों ने साल भर क्या कुछ भी किया है।
इस बार हमारे विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर स्वंय शिक्षामंत्री उपस्थित होने वाले थे, अत: कुछ प्रमुख अध्यापकों की देख-रेख में हम लोग कोई एक महीना पहले ही तैयारी में जुट गए थे। खेलों के टूर्नामेंट आयोजित होने लगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत नृत्य, गायन और नाटक की तेयारी की जाने लगी। छात्रों की कला और क्राफ्ट से संबंधित रुचियों को दर्शाने वाली प्रदर्शनी के आयोजन की भी धूम-धाम से तैयारी होने लगी। विद्यालय के भवन को भी सजा-संवारकर एकदम नया बनाया जाने लगा। इन सब कार्यों में अपने-अपने स्तर पर हम सब छात्रों ने अध्यापक महोदयों के निर्देशन में बड़े उतसाह से कार्य किया। उत्सव से केवल दो दिन पहले हमने विद्यालय के मुख्य द्वार पर शुभ-मंगल के प्रतीक फूल-पत्तों के तोरण सजाए। भीतर भी कईं अलग-अलग कक्षों पर स्वागत द्वार बनाए। बीच-बीच में हमारे प्रधानाचार्य महोदय आकर निरीक्षण करके हमारा उत्साह बढ़ा जाया करते थे।
प्रतीक्षा की घडिय़ां समाप्त हुई। आखिर विद्यालय के वार्षिकोत्सव का शुभ दिन आ ही गया। हम सभी विद्यार्थी प्राय: गणवेश में विद्यालय पहुंचे। वहां मुख्य द्वार के पास पंक्तिबद्ध हो शिक्षामंत्री महोदय का स्वागत करने के लिए खड़े हो गए। प्रधानाचार्य महोदय भी सभी अध्यापकों के साथ वहीं उपस्थित थे। उनके हाथों में फूलमालांए थीं। जैसे ही शिक्षामंत्री अपनी कार से उतरकर आगे बढ़े, इधर तो अध्यापकों के साथ आगे बढक़र प्रधानाचार्य महोदय हार पहना उनका स्वागत करने लगे और उधर विद्यालय का बैंड स्वागत की धुन में बजने लगा। शेष छात्र सावधान की मुद्रा में खड़े हो गए। मान्य अतिथि ने सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए हमारा स्वागत स्वीकारा। फिर उन्हें सामने वाले लॉन में ले जाया गया, जहां उन्होंने राष्ट्रध्वज फहराया। विद्यालय के बैंड ने राष्ट्रधुन बतायी। उसके बाद ‘वंदेमातरम’ का सहगान हुआ ओर इस प्रकार हमारे विद्यालय का यह वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम से आरंभ हुआ।
आरंभ के इस पहले चरण की समाप्ति पर मान्य अतिथि और हम छात्रों के अभिभावकों का आपस में परिचय कराया गया। फिर सभी ने मिलकर थोड़ा जलपान किया और फिर व्यायाम आदि का प्रदर्शन होने लगा। उसके बाद सभी लोग विद्यालय के विशाल सभागार में जा पहुंचे। सभी प्रकार का सांस्कृतिक कार्यक्रम, विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट का पठन, पुरस्कार-वितरण आदि की भव्य व्यवस्था वहीं पर की गई थी। हमारे प्रधानाचार्य महोदय ने विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट पढक़र कार्यक्रम शुरू किया। उसमें पूरे वर्ष की गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया था। इसके बाद छात्रों और अध्यापकों द्वारा मिलकर तैयार किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाने लगे। पहले वृंदगान हुआ। फिर विभिन्न प्रांतों के लोकगीत और लोकनृत्य प्रस्तुत किए गए। कुछ छात्रों ने मौन अभिनय में भी अपने जौहर दिखाएख् कइयों ने नकलें कीं। पशुओं की बोली बोलन वाले विपिन को तो खूब वाह-वाही मिली। इन छोटे-छोटे पर सुरुचिपूर्ण कायौ्रं की स्वंय मंत्री महोदय और उपस्थित अभिभावकों ने खूब प्रशंसा की। सबके अंत में पौन घंटे का एक नाटक खेला गया। भावनात्मक एकता से संबंधित यह नाटक और उसमें विशेष रूप् से मेरा अभिनय खूब सराहा गया। मेरी प्रसन्नता का आर-पार न था। सभी कार्यक्रमों की तालियां बजाकर सराहना की गई।
इन कार्यक्रमों के समाप्त होने के बाद हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आरंभव हुआ। वह था पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम। विभिन्न कक्षाओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय आने वाले छात्रों को तो पुरस्कार मिले ही, वर्ष भर सबसे साफ-सुथरे रहने वाले, नियमों, अनुशासनों का निर्वाह करने तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम में अच्छा प्रदर्शन करेन वाले छात्रों को भी पुरस्कृत किया गया। फिर सभी पुरस्कृत छात्रों का माननीय अतिथि महोदय शिक्षामंत्री, प्रधानाचार्य तथा सभी अध्यापकों के साथ एक गु्रप फोटोग्राम भी हुआ। हम कुछ छात्रों ने अपनी डायरियों में मंत्री महोदय के हस्ताक्षर भी लिए। अंत में सभी छात्रों में फल और मिठाइयां बांटी गई। इस प्रकार जिस मीठे वातावरण में यह वार्षिकोत्सव पूर्ण सफलता के साथ मनाया गया था, याद आकर उसकी मिठास मुझे आज भी रोमांचित कर जाया करती है। यह स्मृति भविष्य में भी एक प्रेरणा एंव मिठास का संचार करती रहेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। जी चाहता है, ऐसे दिन बार-बार आकर तन-मन में मिठास भरते रहा करें।