Hindi Essay on “Swasthya aur Vyayam ” , ” स्वास्थ्य और व्ययाम” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
स्वास्थ्य और व्ययाम
निबंध नंबर :- 01
स्वस्थ तन-मन के बिना जीवन बोझ – जीवन एक आनंद है | इस आनंद का अनुभव वाही कर सकता है, जिसका तन और मन दोनों स्वस्थ हो तो मन स्वयं स्वस्थ रहता है | अगर तन-मन स्वस्थ न हों तो जीवन में कोई रन नहीं रहता | ऐसा जीवन व्यर्थ का बोझ बन जाता है |
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित कार्यक्रम – अच्छे स्वास्थ्य के लिए तन और मन दोनों का व्ययाम अपेक्षित है | तन के व्यायाम के लिए चाहिए खेल-कूद, योगासन आदि | मन के व्यायाम के लिए अपेक्षित है अच्छे सहिस्य का पठन-पाठन और सत्संगति | अच्छे विचारों और भावों के संपर्क में रहने से मन का व्यायाम होता है |
शरीरिक स्वास्थ्य और व्यायाम – शरीरक स्वास्थ्य का अर्थ है – शरीर को निरोग और सुद्रढ़ बनाना | जब शरीर में कोई बीमारी नहीं होती तो वह ठीक अपने स्वाभाविक स्वरूप में होता है | इसके लिए नित्य व्यायाम करना आवयशक है | व्यायाम करने के अनेक ढंग हो सकते हैं | कबड्डी, खो-खो, हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेबल टेनिस आदि मान्यता-प्राप्त खेल हैं | कुश्ती, जुडो-कराटे, मलखंभ, तैराकी अन्य प्रकार के खेल हैं | कुछ खेल गली-मोहल्लों में खेले जाते हैं, जैसा लुका-छिपी, पिट्ठू बनाना आदि | ये सब खेल शरीर को क्रियाशील रखने के ही प्रकार हैं | प्राय: लडकियाँ रस्सी कूदना जैसा व्यायाम में रूचि लेती हैं |
उपर्युक्त शरीरिक क्रियाओं से शरीर के सभी मल दूर हो जाते हैं | पसीना निकलता है | खून का दौरा तीव्र होता है | त्वचा के सभी बंद रंध्र खुल जाते हैं | शरीर हल्का प्रतीत होने लगता है |उसमें रोगों से लड़ने को शक्ति बढ़ जाति है |
मानसिक स्वास्थ्य और व्यायाम – मन को स्वस्थ रखने का आशय है – अपने प्रेम, उत्साह, करुणा आदि भावों को स्वाभाविक बनाए रखना | उन्हें घ्रणा, द्वेष या निंदा में न फँसने देना | इसके लिए सत्साहित्य पढ़ना चाहिए | महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़नी चाहिए | शरीरिक रूप से स्वस्थ रहने पर मन भी अपने स्वाभाविक रूप में बना रहता है | अतः शरीरिक व्यायाम मन को शक्ति प्रदान करते हैं |
स्वास्थ व्यक्ति से स्वस्थ समाज का निर्माण – जिस समाज के व्यक्ति स्वस्थ होते हैं, वह समाज भी स्वस्थ बनता है | एसा समाज बुराइयों से लड़ पाता है, अन्याय का विरोध कर पाता है | ऐसा समाज ही प्रेम और करुणा का परिचय दे पाता है | यही कारण है कि अस्वस्थ शरीर वाले नगरीय समाज में चोरी और गुंडागर्दी की घटनाएँ अधिक होती हैं | गाँव के स्वस्थ लोग गाँव में घुसे शत्रुओं का एकजुट होकर मुकाबला करते हैं |
निबंध नंबर :- 02
स्वास्थ्य के लिए व्यायाम
Swasthya ke liye Vyayam
मानव जीवन की आधारशिला मनष्य का स्वास्थ्य है, उसका निरोग जीवन है। अस्वस्थ व्यक्ति न तो अपना, न अपने परिवार का, न अपने समाज अथवा न ही अपने देश का कोई कल्याण कर सकता है। एक अस्वस्थ विद्यार्थी कभी भी एक श्रेष्ठ तथा आदर्श विद्यार्थी नहीं बन सकता, अस्वस्थ अध्यापक कभी एक आदर्श अध्यापक नहीं हो सकता, अस्वस्थ व्यापारी कभी भी एक सफल व्यापारी बनकर अपने व्यापार को बढ़ावा नहीं दे सकता है, अस्वस्थ स्त्री भी कभी एक आदर्श गृहिणी नहीं बन सकती। एक अस्वस्थ नेता देश की बागडोर मज़बूती से नहीं सम्भाल सकता। जो स्वयं चलने फिरने में लाचार होगा, वह देश को कैसे चलाएगा?
स्वास्थ्य की रक्षा के लिए और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अनेक विद्वानों ने अनेक साधन बताए हैं जैसे- पौष्टिक आहार, सन्तुलित आहार, स्वच्छ जलवाय का सेवन आदि। यद्यपि ये सब साधन ऐसे हैं जिन से स्वास्थ्य में लाभ होता है परन्तु इन सब से ज़रूरी है व्यायाम। बिना व्यायाम के स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक भोजन भी विष का काम करते हैं। इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए व्यायाम करना नितान्त आवश्यक है।
व्यायाम केवल दण्ड बैठक करना या व्यायामशाला में जाकर व्यायाम करना ही नहीं होता। यदि कोई अध्यापक या विद्यार्थी अपने कमरे में बैठा किताबों का अध्ययन कर रहा है तो भी यह एक प्रकार का व्यायाम ही है जिसे बौद्धिक व्यायाम कहा जाता है। कोई सुबह दौड़ लगाना पसन्द करता है तो कोई बंद कमरे में दण्ड बैठक लगाना तथा मालिश करके अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने का प्रयल करता है। कोई घुड़दौड़ लगाना तथा कोई नदी के स्वच्छ पानी में साँस रोक कर तैराकी द्वारा स्वास्थ्य लाभ करता है। कई भारतीय खेल जैसे कबड़ी, रस्साकशी आदि और कई पाश्चात्य खेलों जैसे-फुटबाल, वॉलीबाल, हॉकी, टैनिस, बैडमिन्टन, स्केटिंग आदि खेल खेल कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं। प्राचीन काल में स्त्रियां चक्की चलाकर अथवा घर का सारा काम स्वयं करके व्यायाम द्वारा स्वस्थ रहती थी जबकि आजकल की स्त्रियां ऐसा न करके अनेक रोगों जैसे ब्लड प्रेशर, शूगर आदि की शिकार हो जाती हैं।
आज के युग में योगासनों का महत्त्व भी कुछ कम नहीं है। हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग योगासनों का लाभ उठाकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। इससे एक तो शरीर की माँस पेशियां पुष्ट करने में सहायता मिलती है तथा दूसरे मन को ध्यान द्वारा एकाग्र एवम शान्तावस्था में ले जाने में सहायता प्राप्त होती है। हमारे देश में स्त्रियां चेहरे की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करती हैं जबकि विदेशों में अपने शरीर को सुगठित तथा सुन्दर बनाने के लिए विभिन्न व्यायामों का प्रयोग करते हैं।
व्यायाम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि व्यायाम करने वाला कभी भी वृद्ध नहीं होता। अत: वह दीर्घायु होता है। व्यायाम करने से हमारे पेट की पाचन क्रिया बिल्कुल ठीक रहती है। शरीर का रक्त संचार हमारे जीवन के लिए परमावश्यक है। व्यायाम से शरीर में रक्त संचार नियमित रहता है जिससे हमारा शरीर सगठित और शक्ति सम्पन्न होता है।
व्यायाम करने का उचित समय प्रातःकाल और सायंकाल है। प्रातः शौचादि के उपारान्त बिना कछ खाए, शरीर पर थोड़ी सी मालिश करके व्यायाम करना चाहिए । व्यायाम करते समय यदि श्वास फूलने लगे तो व्यायाम करना तुरंत बन्द कर देना चाहिए। व्यायाम करते समय कभी भी मुँह से श्वास नहीं लेना चाहिए,सदैव नासिका से ही श्वास लेना चाहिए। व्यायाम के तुरन्त बाद कभी नहाना नहीं चाहिए, अन्यथा गठिया होने का भय रहता है। जब शरीर का पसीना सूख जाए और शरीर की थकान दूर हो जाए तब स्नान करना चाहिए। इसके पश्चात् दूध आदि तथा कुछ पौष्टिक पदार्थों का सेवन करना लाभदायक है नहीं तो व्यायाम करने का कोई लाभ नहीं होगा।
बड़े दुःख की बात है कि ‘वीर भोग्या वसुन्धरा’ कहलाने वाली हमारी धरती माता वीर पुत्रों से शून्य होती जा रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि हमने अपने शरीर से परिश्रम करना लगभग छोड़ दिया है। थोड़े दूर तक पैदल चलना या थोड़ा सा बोझ उठाना मुश्किल तथा बीते युग की बात प्रतीत होती है। हमारी जीवन गाड़ी सुचारु रूप से चलती रहे इसके लिए यह नितान्त आवश्यक है कि हम थोड़ा समय निकाल कर व्यायाम अवश्य कर लें नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब हम जवानी में ही खाट पकड़ कर बैठ जाएंगे।
अन्त में हम इतना ही कह सकते हैं कि प्राण रूपी पक्षी को शरीर रूपी पिंजरे में सुरक्षित रखने के लिए मज़बूत तथा शक्तिशाली सींखचों की आवश्यकता है। जीवन में प्रसन्नता लाने के लिए स्वास्थ्य और स्वास्थ्य के लिए व्यायाम परमावश्यक है।
you have wrote faboulous nivandh
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