Hindi Essay on “Shiksha me Khel-kood ka Mahatva”, “शिक्षा में खेल कूद का महत्त्व” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
शिक्षा में खेल कूद का महत्त्व
Shiksha me Khel-kood ka Mahatva
खेल-कूद की मानव जीवन में अत्यधिक उपयोगिता है। इनकी हमारे शरीर के लिए इतनी ही आवश्यकता है जितनी कि हमारे शरीर को स्वच्छ जलवायु तथा प्रदूषणरहित वातावरण की। जहाँ हमारे शरीर को स्वस्थ तथा निरोग रखने में पौष्टिक एवं सन्तुलित आहार अपना योगदान देते हैं, वहीं खेलें शरीर को नई स्फूर्ति प्रदान कर जीवन को शक्ति देने वाली खुराक का अधिक से अधिक लाभ उठाने के योग्य बनाती है। जब मनुष्य खेल के मैदान में जाता है तब वह चाहे जितना भी थका मांदा क्यों न हो, खेल के मैदान में जाते ही उसकी सारी थकान दूर हो जाती है। वह अपने शरीर में एक नई ताज़गी और स्फूर्ति अनुभव करता है।
संसार के उन्नतशील देशों ने खेलों के महत्त्व को अच्छी प्रकार से समझ लिया है, इसीलिए वह जीवन के हर क्षेत्र में खेलों को अधिक से अधिक महत्त्व देते हैं। उन्नतशील देशों में खेलों का प्रबन्ध केवल विद्यार्थियों अथवा नौजवाना के लिए ही नहीं बल्कि बड़ी उम्र के लोगों के लिए भी किया जाता है।
खेलें हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करती हैं। खेल कद में भाग लेने वाले विद्यार्थी में रक्त का दौरा तेज़ होता है। अंग्रेज़ी में कहावत है-Sound mind in a sound body अर्थात स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इसलिए जब हम शरीर से स्वस्थ और पुष्ट होंगे तब हमारा मस्तिष्क भी स्वस्थ रहेगा।
खेलों में भाग लेने वाला विद्यार्थी खेल के मैदान से अनेक प्रकार की शिक्षाएं ग्रहण करता है। सर्वप्रथम तो उसमें मिल जुल कर काम करने की भावना पैदा होती है जिससे आपसी सहयोग बढ़ता है तथा भाईचारे की भावना मज़बूत होती है। खेलों द्वारा विद्यार्थी हंसते हंसते कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करना सीख लेता है। खेलें संघर्ष द्वारा विजय प्राप्त करने की भावना को बढ़ावा देती हैं। खेल के मैदान में विद्यार्थी के अन्दर अनुशासन में रहने की भावना पैदा होती है। खेलें मनोरंजन का भी एक महत्त्वपूर्ण साधन हैं। खेल के मैदान में जब खिलाड़ी खेलता है तो खेल के मैदान में केवल वह ही प्रसन्न नहीं होता अपितु उसको देखने वाले हज़ारों दर्शक भी उसका प्रदर्शन देखकर प्रसन्न होते हैं। खेलों से मानव में आत्मविश्वास, वीरता, धैर्य और आत्मनिर्भरता आदि गुणों का विकास होता है। शारीरिक एवम् मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने से मनुष्य का आचरण भी ठीक रहता है क्योंकि जब कोई खिलाडी एक दूसरे के साथ मिलकर खेलता है तो उसमें दूसरों की सहायता करने की भावना पैदा होती है, वह किसी के साथ ज़्यादती नहीं करता, वह अपनी गलती को मानने के लिए हमेशा तैयार रहता है, वह किसी को धोखा नहीं देता। इस प्रकार खेलें विद्यार्थी के आचरण पर भी अपना विशेष प्रभाव डालती हैं। खिलाड़ी के मन में आशावादी भावना का संचार होता है। खेलों में भाग लेने वाला विद्यार्थी जीवन रूपी खेल को बड़ी बहादुरी एवं हिम्मत के साथ खेलता है। वह हार कर निराश नहीं होता परन्तु अपने खेल में और अधिक मेहनत एवम् लगन से निखार लाकर फिर विजय प्राप्त करता है।
देखने में आया है कि खेलों के इतने अधिक लाभ होने के बावजद आज के विद्यार्थियों में खेलों के प्रति उदासीनता पाई जाती है। सरकार को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का विषय अनिवार्य बनाना चाहिए ताकि विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी हिस्सा ले सके । प्रत्येक विद्यार्थी के लिए कम से कम एक खेल में भाग लेना अनिवार्य होना चाहिए । सरकार को चाहिए कि वह खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता भी दे ताकि खेलों में उनकी रुचि पैदा हो सके ।
हमें इस बात का भी पूर्ण रूप से ध्यान रखना होगा कि हमें खेलों को उचित मात्रा में ही समय देना होगा । हमें हर वक्त ही खेलते नहीं रहना चाहिए। यदि हम सारा दिन केवल खेलते ही रहेंगे तो हम अपनी दूसरी ज़िम्मेवारियों को ठीक ढंग से नहीं निभा पाएँगे । इसलिए हमें याद रखना चाहिए कि खेलें जीवन के लिए हैं,जीवन खेलों के लिए नहीं है।