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Hindi Essay on “Pragatisheel Bharat” , ”प्रगतिशील भारत” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

प्रगतिशील भारत

Pragatisheel Bharat

प्रस्तावना – कुछ दशक पूर्व आजादी के बाद भारत की प्रगति के बारे में एक अंग्रेजी लेखक द्वारा लिखे लेख में भविष्यवाणी की गयी थी कि ‘ इक्कीसवीं सदी में भारत औद्योगिक विकास की मंजिलें तय करते हुए उस जगह पहुंच जायेगा जहां आदमी शून्य और मशीनें आगे हों जायेंगी। ’ लेख में यह भी भविष्यवाणी की गयी थी कि भारत चांद पर पहुंचेगा और आकाश में जगमग सितारों की खोज करेगा । यह वह समय होगा जब मानव सारे कार्य मशीनों के कलपुर्जों द्वारा करेगा, मानव की समस्त बौद्विक शक्ति मशीनों के कल-पुर्जों पर समर्पित कर दी जायेंगी।

                उस समय लिखे गये लेख में भारत के विकास की उपरोक्त कल्पना हवाई घोडे़ कहीं जा सकती थी, क्योंकि भारत जब आजाद हुआ तो सरकार का खजाना खाली था। देश उत्पादन से लेकर मशीनों तक पर विदेशों पर निर्भर करता था। लेख की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई- भारत के कदम अंतरिक्ष में पहुंचा। भारत की अपनी सेटेलाइटें आकाश में विचरण कर रही हैं। भारत आत्मनिर्भर है, कृषि उत्पादन से लेकर मशीनों तक की प्रगति में वह पूरी तरह प्रगतिशील है। भारत आज विश्व शक्ति में अपनी अलग पहचान बनाने में सक्षम हुआ हैं।

                आज हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। आज भारत का समस्त कार्य मशीनों के कलपुर्जों द्वारा पूरा हो रहा है। जहां पश्चिमी देशों ने आदमी के समान कार्य करने वाले रोबोट अभी से तैयार कर लिये हैं और वे एक सीमा तक उन पर ही निर्भर करते हैं। भारत उस दिशा में प्रयासरत। पिछले कुछ वर्षों में कम्पयूटर और संचार क्रांति में इतनी ज्यादह प्रगति की है कि सैकडों़ इन्सानों कार्य एक कम्प्यूटर के द्वारा होने लगता है, वहीं हर हाथ में माबाइल पंहुच गया है।

परिवर्तनशील भारत- स्वतन्त्रता प्राप्त करने के बाद भारत की स्थिति में काफी परिवर्तन हुआ। आज भारत की स्थिति इतनी खराब एवं सोचनीय नही हैं जितनी आज से लगभग 6-7 दशक पहले थी । अन्य देशों की भांति भारत भी आज मन्द-मन्द चलकर भी अब तीव्र गति से उन्नति कर रहा है। जीवन के विविध क्षेत्रों में भारत में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। किन्तु आज भी मशीनीकरण के क्षेत्र में भारत अन्य देशों की तुलना में बहुत पीछे है। लेकिन भारत ने अपना धैर्य नहीं खोया है और वह निरन्तर मशीनों के क्षेत्र में भी प्रगति कर रहा है। भारत ने हरित क्रान्ति में आगे बढ़कर हर पेट को भोजन की व्यवस्था की हैं। श्वेत क्रान्ति    ; डेयरी फार्म द्ध द्वारा नागरिकों के लिए अच्छा स्वास्थ्य दिया है।

 इक्कीसवीं सदी का भारत- इक्कीसवीं सदी का भारत अत्यन्त शक्तिशाली एवं सुदृढ़ है। वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था एशिया की उन तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जिनकी विकास दर में तेजी से वृद्वि हो रही है । ये तीन देश चीन, भारत और दक्षिण कोरिया है।

आज भारत में वस्तुओं का उत्पादन केवल फैंिक्ट्रयों में ही नहीं होता बल्कि उनका डिजाइन बनाता है, विपणन होता है तथा विज्ञापन किया जाता है । इस बदलाव का मुख्य कारण कम्प्यूटर और संचार तकनीक से से सम्भव हुआ जो अपूर्व और अनेपक्षित विकास है।

                वर्तमान समय में वस्तुओं की कुछ सेवायें जैसे साॅफ्टवेयर के निर्यात में वृद्वि दर कुल निर्यात की वृद्वि दर से काफी आगे हैं।

                आज भारत के पास जितना बडा़ औद्योगिक और उद्यमी है, उसके सहारे वह आगे और अधिक उन्नति की ओर अग्रसर है। भारतीय तकनीक के साथ-साथ हम आयातित नीति का भी प्रयोग कर रहे हैं। क्योंकि हमारे देश में प्राकृतिक संसाधनों की भी कोई कमी नहीं है।

इक्कीसवीं सदी के भारत के पास अनुसंधान एवं विकास, कम्प्यूटर, इण्टरनेट, मोबाइल, गुणवत्ता नियन्त्रण, लेखा प्रबन्धन, विपणन, विज्ञापन, रूचि व सेवाएं वितरण और कानून सेवाएं अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र उपस्थित हैं।

                आज वैज्ञानिकों द्वारा अनेक प्रकार के तकनीकी आविष्कार किये जा रहे हैं जो देश के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं। इन तकनीकी आविष्कारों के चलते भारत की अन्तरराष्ट्रीय  बाजार में बिकने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता आसानी से बढ़ गयी है, जिस कारण भारत आज भारत कुछ सामानों, जैसे- कम्प्यूटर डिस्क, आदि का कम लागत पर उत्पादन करने के साथ-साथ उनमें कुछ साॅफ्टवेयर या संगीत जोड़कर अधिक लाभप्रद निर्यातक बन गया है।

तेज प्रगति मगर रूकावटें-इस प्रकार इक्कीसवीं सदी के भारत में इतने गुण होते हुए कुछ रूकावटें या दोष अभी भी बाधक हैं। आज के भारत में भ्रष्टाचार और अपराधिक प्रवृतियां तीव्र गति से बढ़ रही हैं। जगह-जगह नौकरी के लिए रिश्वतखोरी एवं धांधलेबाजी चल रही है। बिना रिश्वत दिये कोई कार्य सम्भव नहीं हो पा रहा है।

                सरकारी नौकरी पाने के लिए बडे़-बडे़ अधिकारियों को रिश्वत, किसी केस से अपना नाम हटवाने के लिए पुलिस वालों को रिश्वत, समय-समय पर आम लोगों द्वारा दी और ली जाती है।

                बडे़-बडे़ नेताओं द्वारा चुनाव जीतने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लिया जाता है। वे पहले मीठी- मीठी बातें करके आम जनता को अपने पक्ष में कर  चुनाव जीतते हैं, लेकिन बाद में उसी जनता पर अपरी तानाशाही थोपते हैं।

                वर्तमान समय में आपराधिक प्रवृतियां तीव्र गति से बढ़ रही हैं। अपराधियों द्वारा जगह-जगह लूटपाट एवं हत्याओं की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा हैं।

हमारे वैज्ञानिकों द्वारा जिसे तकनीकी उपकरणों का निर्माण किया गया है उनका भी दुरूप्रयोग किया जा रहा है। कम्प्यूटर पर बच्चों एवं बडों़ द्वारा अश्लील चित्र देखे जाते है। जिससे उनमें अपराधवृत्ति बढ़ रही है।

विकास की आशाएं- फिर भी हम एक आशावादी देश के निवासी हैं। अपनी आशावादिता के आधार पर हम आगामी शताब्दी के विकास का कुछ न कुछ आंकलन निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं-

  1. भारत को अत्याधिक विकसित एवं शक्तिशाली बनने के लिए अब तक की प्रगति से पैदा हुए अवसर का लाभ अवश्य उठाना चाहिये।

ज्ञान आधारित सेवाओं के आयात और निर्यात पर किसी भी प्रकार का कोटा या सीमा शुल्क नही होना चाहिये। इसी प्रकार इस क्षेत्र में विदेशी निवेश को पूर्णतया छूट दी जानी चाहिये क्योंकि सेवाओं के अन्तरराष्ट्रीय व्यापार का प्रमुख वाहन विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ही होता है।

  1. कृषि के क्ष्ेात्र में भी विकास की जरूरत है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। बहुत अधिक प्रयासों के बाद भी हम अपनी कृषि को पूर्णतः वैज्ञानिक आधार नहीं दे पायंे हैं। अभी कुछ किसान ऐसे हैं जो कृषि के वैज्ञानिक तरीकों और साधनों का प्रयोग कर पाते हैं। हमें इसके लिए निरन्तर प्रयास करते रहने चाहिये ताकि अगले कुछ वर्षाें में हम अपने देश की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के बाद खाद्यान्नों का निर्यात कर सकें।
  2. सरकार को यह प्रयास करना चाहिये कि कम्प्यूटर, टेलीविजन में अश्लील चित्रों एवं फिल्मों पर पूर्णतः रोक लगायें ताकि बच्चों का ध्यान इन बातों में न होकर पढा़ई की ओर अग्रसर हो। उनमें अपराध वृति पनपने के बजाय उनमें इन्जीनियर, डाॅक्टर, सफल व्यवसायी, प्राशासनिक और न्यायिक अधिकारी बनने की प्रेरणा भरे।

उपसंहार- इस प्रकार नये और भारी उद्योगों की स्थापना के बाद कृषि के तौर तरीकों में व्यापक परिवर्तन करके तथा लोगों के चिन्तन और उनकी मानसिकता में परिवर्तन लाकर हमारा देश सुखद स्थितियों का निर्माण कर सकता है। हमारा यह विश्वास है कि आने वाले कुछ वर्षाें ने भारत दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनकर उभरेगा। भारत क धरती पर अंग्रेजों के पैर जमाने से पहले तथा उससे पूर्व भारत में लुटेरे विदेशियों के आने से पहले भारत पूरे संसार में सोने की चिड़िया कहलाता था। कहा जाता था कि देश में दूध-दही की नदियां बहती थीं-हमें कठिन परिश्रम, दृढ़ इच्छाशक्ति और संसार के विकसित देशों की स्पर्धा में शामिल होकर प्रयास करना होगा कि एक बार फिर हमारा भारत देश सोने की चिड़िया कहला सके, देश में दूध-दही की नदियां न सही हर बच्चे को पोषण और स्वास्थ्य के लिए दूध-दही मिल सके। यह तभी सम्भव होगा जब ‘हर हाथ को काम, हर हाथ को रोटी मिलेगी।‘ बेरोजगारी की समस्या को जड़ से मिटाकर देना भी युवा पीढी़ को उनकी योग्यतानुसार काम मिल सकेगा । इसके लिए देश के राजनेताओं, सत्ता की कुर्सियों पर बैठने वाले लोगों को ईमानदार बनना देश प्रेम की भावना को ऊपर रखकर यह कार्य शीघ्र सम्भव हो सकता है। आशा है, कि हमारा देश ऐसे ही रूप में आने वाले समय में संसार के सामने आयेगा जैसी हम कल्पना करते हैं।

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