Hindi Essay on “Onam – Dakshin Bharak ka Prasidh Tyohar” , ”ओणम-दक्षिण भारत का प्रसिद्ध त्योहार” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
ओणम-दक्षिण भारत का प्रसिद्ध त्योहार
Onam – Dakshin Bharak ka Prasidh Tyohar
’भारत त्योहारों का देश है’-अगर ऐसा कहा जाए तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी। यहां वर्ष भर कोई-न-कोई त्योहार प्रत्येक दिन आता ही रहता है और मनाया जाता है। हिन्दुओं के कुछ त्योहार ऐसे हैं जो प्रायः समस्त हिन्दुओं के द्वारा समान रूप से मनाए जाते हैं। परन्तु कुछ त्योहार ऐसे हैं जो एक विशिष्ट जाति अथवा क्षेत्र के लोग ही मनाते हैं। ओणम एक ऐसा त्योहार है जो विशेषकर दक्षिण भारत केे लोगों द्वारा ही मनाया जाता है।
एक किंदवन्ती के अनुसार राजा बलि से एक बार देवता बहुत नाराज हो गए। राजा बलि दक्षिण भारत का एक शक्तिशाली राजा था। राजा बलि को सबक सिखाने के लिए विष्णु भगवान् ने वामन का अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग भूमि दान में देने के लिए कहा। जब राजा ने तीन पग भूमि दान में देने का वचन दे दिया जो वामन अवतार ने दो पग में ही सारी धरती को नाप लिया और तीसरा पग बलि के सिर पर रख दिया। जिससे वह सदा के लिए पाताल लोक में समा गया। कहा जाता है कि राजा बलि बहुत वीर, पराक्रमी, दानी और प्रजा का कल्याण करने वाला शासक था। उसके शासन की स्मृति में ही दक्षिण भारत के लोग इस त्योहार को मनाते हैं।
अगस्त, सितम्बर के महीने में जब न अधिक गर्मी होती है और न अधिक सर्दी, यह त्योहार मनाया जाता है। वर्षा ऋतु इस समय तक समाप्त हो चुकी होती है। चारों ओर हरियाली दिखाई जाती है और मौसम बहुत सुहावना होता है। इसी माह से केरल में नववर्ष का प्रारम्भ भी होता है। समृद्धि और हर्ष के प्रतीक के रूप में विशेषयता केरल के लोग दस दिन तक इस त्योहार को मनाते हैं। घरों के आंगन में रंगोली सजाई जाती है। विष्णु भगवान् वामन अवतार और राजा बलि की मूर्तियां बनाकर लोग उनकी पूजा करते हैं। अनेक मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन भी इस अवसर पर किया जाता है। लोकगीत गाए जाते हैं तथा बांस का एक विशेष प्रकार का बाजा बनाकर बजाया जाता है। जगह-जगह पर नौका दौड़ का आयोजन देखने योग्य होता है। यह केरल राज्य का सबसे लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण पर्व है। केरल निवासियों की यह मान्यता है कि अपनी सम्पति को बेचकर भी यह पर्व अवश्य मनाना चाहिए।
ओणम केरल का एक पावन त्योहार है। देश में अथवा विदेश में केरल राज्य के लोग इस त्योहार को अवश्य मनाते हैं। नए-नए वस्त पहनकर, स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर वे इस त्योहार का भरपूर आनन्द लेते हैं। यह त्योहार जहां एक ओर उनमें एकता की भावना का संचार करता है, वहीं दूसरी ओर दानशीलता, पराक्रम और जनकल्याण की भावनाओं को बलवती बनाने में भी सहायक होता है।