Hindi Essay on “Mangal Pandey” , ”मंगल पांडे” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
मंगल पांडे
Mangal Pandey
मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को फैजाबाद के ‘सुरहुरपुर’ नामक गाांव में हुआ। बहुत लोगों का मानना है कि मंगल पांडे का जन्म ‘नगवा’ नामक गांव में हुआ था। यह गांव बलिया जिले के अंतर्गत आता है।
मंगल पांडे ने किसी स्कूल में पढ़ाई नहीं की। उनके दादा उन्हें लिखाया-पढ़ाया करते थे। भारतवासियों पर अंग्रेजों द्वारा ढाएए गए जुल्मों से वे तंग आ चुके थे। वे अपने बड़े होने की प्रतिक्षा में थे।
मंगल पांडे 10 मई 1841 को ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भरती हुए। वे बंगाल आर्मी के एक साधारण सिपाही थे। वे उन्नीसवीं और चौंतीसवीं रेजिमेंट के सिपाही थे। मंगल अंग्रेजों की गलत नीतियों का सदैव विरोध करते थे। बैरकपुर और बुरहानपुर के रेजीमेंटो की गतिविधयों से भारतीय सिपाही संतुष्ट न थे। रेजीमेंटों में हिंदू-मुसलमान दोनों के धर्म नष्ट हो जाते। वे कारतूस बनाई थी, जिससे हिंदू और मुसलमान दोनों के धर्म नष्ट हो जाते। वे कारतूस सुअर और गाय की चरबी से तैयार किए गए। उन कारतूस को बिना गीला किए बंदूक में नहीं भरा जा सकता था। जब उन्हें अंग्रेजों की इस चाल का पता चला तब दोनों धर्म के सिपाही भडक़ उठे।
21 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने बैरकपुर में अंग्रेजों के खिलाफ पहली गोली चलाई थी। तब वे छब्बीस वर्ष दो माह नौ दिन के युवक थे। भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के इतिहास में अंग्रेजों के खिलाफ वह पहली गोली चली थी। इस तरह क्रांति की शुरुआत हो गई थी।
सुनियोजित ढंग से मंगल पांडे और उसके सहयोगी सिपाही अपनी बैरक से बाहर आ गए। उन्होंनं सार्जेंट मेजर जेम्स थर्नटन ह्मूसन, लेफिटनेंट ओर एडजुटेंट वेंपडे हेनरी पर गोलियां चलाई। जनरल हेरसे भी सामने आया परंतु उन्होंने उस पर गोलियां नहीं चलाई। उन्होंने खुद को गोली मार ली। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की तैयारियां अंदर-अंदर चल रही थीं, मंगल पांडे के उतावलेपन से यह योजना अंग्रजों के हाथ लग गई और उन्होंने इस संग्राम को कुचलने की पूरी तैयारी कर ली।
मंगल पांडे पर मुकदमा चलाया गया। उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। 8 अप्रैल 1857 को भारतीय क्रंातिकारी मंगल पांडे को फांसी दे दी गई।