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Hindi Essay on “Garmiyo me Varsha ka Din” , ”गर्मियों में वर्षा का दिन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

गर्मियों में वर्षा का दिन

Garmiyo me Varsha ka Din

निबंध नंबर :- 01

सभी ऋतुओं में से गर्मी की ऋतु सबसे परेशान करने वाली होती है। सूरज की गर्मी असहनीय होती है। जब बिजली चली जाती है तो जीवन नर्क बन जाता है। सभी तालाब सूख जाते हैं। केवल आदमी ही नहीं, पक्षी भी प्यासा महसूस करते हैं। जब ऐसा वातावरण हो तो वर्षा एक वरदान साबित होती है। यह सबके लिए आराम तथा चैन लेकर आती है। यह सब के दिलों में मस्ती की लहर उठाती है।

वह 15 जून का दिन था। दिन बहुत गर्म था। हवा का झोंका तक नहीं चल रहा था। पेड़ बिल्कुल स्थिर थे। पक्षी चहचहा नहीं रहे थे। कुत्ते पानी के लिए भटक रहे थे। लोग सर से पांव तक पसीने से भीग रहे थे। बिजली भी नहीं थी। पंखे चलने बंद हो गए। हर कोई बेचैन महसूस कर रहा था। कहीं भी आराम नहीं मिल रहा था।

अचानक काले बादल आकाश में एकत्रित होने लगे। जल्दी ही सारा आकाश बादलों से भर गया। सभी तरफ अंधेरा छा गया। ठंडी-ठंडी हवा चलने लगी। थोड़े समय में ही पानी की बूंदें गिरने लगीं। बिजली गरजने लगी। बिजली की रोशनी दिखाई देने लगी। हल्केहल्के फव्वारे धीरे-धीरे भारी वर्षा में बदल गए। सारा वातावरण सुहावना हो गया। सभी ने चैन की सांस ली। बच्चे कागज़ की किश्तियां बहाने लगे। वे बारिश के पानी में खेलने लगे।

कुछ देर बाद बारिश थम गई। हर कोई खुशी से भर गया। सभी तरफ हरियाली छा गई। गलियों में पानी भर गया। उन में से गुजरना मुश्किल हो गया। रिक्शा वालों के लिए तो काम बढ़ गया। वे अपनी इच्छा से किराया मांगने लगे। शाम के समय आकाश में इंद्र-धनुष बन गया। सारा नजारा बहुत खूबसूरत था। हालांकि गलियों में भरा पानी तंग कर रहा था जिससे फिसलन हो गई थी। इस सबके अतिरिक्त सारा वातावरण ठंडा तथा खूबसूरत हो गया।

निबंध नंबर :- 02

गर्मियों में वर्षा का दिन

गर्मियों में वर्षा का सदा स्वागत होता है। लोग सभी उत्सुकता से मौनसून के पहुँचने का इंतजार करते हैं। वे हमारे जीवन में खुशी लाते हैं।

जुलाई का महीना था दिन के समय बहुत गर्मी थी। सारा समय गर्म हवाएँ चलती रहीं। लोगों का मन अच्छा नहीं था। वे गर्मी और धूप से थके हुए थे। हर कोई वर्षा के लिए प्रार्थना का रहे थे। अचानक आकाश में बादल आने शुरु हो गए और एक सुबह लोगों को सुबह उठते ही बादलों से भरा आकाश नज़र आया। तापमान में अचानक गिरावट आ गई। जल्द ही बूंदा-बांदी शुरु हो गई। इसके तुरन्त बाद जोर की बारिश आनी शुरु हो गई। थोड़े पलों के बाद तेज़ बारिश होनी शुरु हो गई। थोड़े पलों के बाद तेज़ बारिश होनी शुरु हो गई। हवा में मिट्टी की सुन्दर खुशबू आ रही थी। लोग खुशी से पागल हो रहे थे। वे वर्षा में नाच रहे थे। वे सब भीग रहे थे। एक समय में आकाश पर बिजली चमक रही थी और बादल गरज रहे थे।

गलियाँ और नालियाँ वर्षा के पानी से भरी हुई थीं। वे जल्दी भर गई और ऊपर तक बहने लगी। सड़कें छोटी नहरों जैसे लगने लग पड़ी। बच्चे और बड़े वर्षा में घूम रहे थे और भाग रहे थे। वे घुटनों तक पानी में घूम रहे थे। वाहन, साइकिल, और स्कूटर पैदल चलने वालों पर पानी उछाल रहे थे। कई वाहन बन्द हो गए।

बच्चे वर्षा में मज़ा ले रहे थे। वे एक-दूसरे पर पानी उछाल रहे थे। कुछ कागज़ की नावें बना रहे थे। बाकी पान के गट्टर में जो तिनके, कागज़ तैर रहे थे उनके पीछे भाग रहे थे।

दोपहर बाद में वर्षा बन्द हो गई। मौसम ठण्डा और सुहावना हो गया था। प्रकृति ताज़ा लग रही थी। खड्डे और तालाब पानी से भरे हुए थे। पेड़ हरे और ताज़ा लग रहे थे। मेंढक पानी में टर्रा रहे थे। लोग बाहर खड़े हो कर ठण्डी हवा का आनन्द ले रहे थे। वर्षा ने गर्मी के दिनों से थोड़ी मुक्ति दिला दी थी। मौसम सुहावना हो गया था।

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