Hindi Essay on “Gaay aur uski Upyogita” , ”गाय और उसकी उपयोगिता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
गाय और उसकी उपयोगिता
Gaay aur uski Upyogita
एक दिन मेरे मित्र अपने भाई के भोलेपन का वर्णन करते हुए कहने लगे ‘अरे साहब, उनकी कुछ न कहिए। वे तो इतने सीधे हैं कि लोग उन्हें गऊ कहते हैं।’ वास्तव में, जब हम किसी में सीधेपन की मात्रा अधिक देखते हैं तब उसे ‘गऊ’ की उपाधि दे देते हैं, यानी संसार में गऊ से सीधा कोई जीव नीं है। इसी कारण सब लोग इसका उदाहरण देते हैं। संसार के समस्त जीवों में सिधाई के विचार से इसका स्थान प्रथम है।
यह एक पालतू चौपाया है, जो संसार के समस्त देशों में पाया जाता है। जंगली गांयें बहुत कम देखने में आती हैं। इनकी अनेक जातियां हैं। भारत में ही अनेक किस्म और रंगों की गांये देखी जाती है। इनका भोजन साधारणतया घास है, परंतु भूसा, खली आदि भी इन्हें पसंद है।
वास्तव में इसके खाने का ढंग बड़ा ही दिलचस्प है। इसके निचले जबड़े में आठ दांत होते हैं और ऊपर के जबड़े में एक भी दांत नहीं होता। बल्कि एक गद्दी सी बनी होती है। इस गद्दी और दांतों के सहारे गाय पहले घास चरती जाती है ओर उसे ज्यों की त्यों निगलती है। जब इसका पेट भर जाता है तब फिर किसी एक स्थान में बैठकर उस खाए हुए भोजन को वह पुन: मुंह में लाती है और उसे धीरे-धीरे चबाती है। इस क्रिया को जुगाली करना कहते हैं। गाय जुगाली करने वाले पशुओं में से एक है।
गाय एक ऐसा पशु है, जो जीते जी तो लाभ पहुंचाता ही है, मरकर भी कुछ न कुछ उपकार करता है। दूध, दही घी जिन्हें हम अमृत का नाम देते हैं, सब गाय ही देती है। गाय दिन में प्राय: दो बार दूध देती है प्रात: और संध्या के समय। दूध मनुष्य के लिए अति पौष्टिक भोजन है। दूध से अनेक प्रकार की चीजें बनाई जाती हैं।