Hindi Essay on “Ek Kuli ki Aatmakatha” , ”एक कुली की आत्मकथा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
एक कुली की आत्मकथा
Ek Kuli ki Aatmakatha
कुली इस समाज का एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति होता है। वह रेलवे स्टेशन तथा बस स्टैंडों पर अक्सर देखने को मिलता है। वह अपने कंधों तथा सिर पर सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर ढोता है। वह हर प्रकार के मौसम में अपना कार्य करता रहता है। चाहे धूप हो या बारिश वह अपना काम नहीं छोड़ता। वह अपना पसीना बहाकर अपने जीवन के लिए कमाई करता है।
कुली रेलवे स्टेशन पर लाल तथा बस स्टैंड पर नीले कपड़े पहनता है। वह अपनी बाजू पर एक बैज नम्बर लगा कर रखता है। सामान लादने के लिए उसका भाड़ा एक समान होता है। किन्तु कई बार वह यात्रियों से अधिक पैसे भी ऐंठता है। कई बार उसका स्वभाव सख्त हो जाता है। उसकी तनख्वाह एक जैसी नहीं रहती। जैसे ही रेलगाड़ी आती है वह झटपट उसके डिब्बों के पास चला जाता है।
कुली के पास आराम का समय नहीं होता। वह दिन-रात काम करता है। जैसे ही ट्रेन प्लेटफार्म पर आ जाती है, वह सावधान हो जाता है। उसे घर जाने का समय बहुत मुश्किल से मिलता है। अधिकतर समय वह प्लेटफार्म पर लगे बैंचों पर सो कर बिता देता है। खाली समय में वह बीड़ी पीना या अपने सहकर्मियों के साथ पत्ते खेलना पसन्द करता है।
कुली यात्रियों के लिए बहुत सहायक होता है। उसे ट्रेन के समयों के बारे में पता होता वह छोटे-छोटे कामों में यात्रियों की सहायता करता है। जब गाड़ी रुकती है तो वह सब स पहल अन्दर जाता है। वह खाली सीटों पर अपने यात्रियों का सामान रख कर सीट को सभाल लेता है। जब यात्री अपना सारा सामान गिन लेते हैं तो वह अपना भाड़ा ले लेता है। हमें उसके प्रति सदभावना रखनी चाहिए।