Hindi Essay on “Dakiya athva Patravahak” , ”डाकिया अथवा पत्रवाहक ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
डाकिया अथवा पत्रवाहक
Dakiya athva Patravahak
ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो ‘पत्रवाहक’ को अपने घर की ओर आता हुआ देखकर प्रसन्न न होता हो। हमारे बहुत से सगे-संबंधी तथा घनिष्ठ मित्र हमसे बहुत दूर गांव में रहते हैं। उनसे संपर्क बनाए रखने के लिए हम पत्रों का सहारा लेते हैं। इसलिए हर जगह पत्रवाहक का स्वागत होता है।
अपने द्वार पर डाकिया आवाज बसुनकर एक आशा मन में उठती है ‘शायद मेरी कोई चिट्ठी हो।’
पत्रवाहक एक सरकारी कर्मचारी होता है। उसकी वेशभूषा साधारण होते हुए भी अपनी अलग पहचान रखती है। तभी तो हम दूर से ही डाकिया को पहचान लेते हैं। वह खाकी पौशाक पहनता है। उसके कंधे पर चमड़े का एक थैला लटकता रहता है। इसी थैले में वह पार्सल तथा डाक से आने वाले समाचार-पत्र, चिट्ठी आदि भरे रहता है। गांव में काम करने वाले डाकिए अपने थैले में स्याही, कलम तथ्ज्ञा टिकट आदि भी रखते हैं।
पत्रवाहक की शिक्षा साधारण ही होती है। उसके लिए हिंदी और अंग्रेजी पढऩे-लिखने का ज्ञान जरूरी होता है, जिससे वह पत्रों में लिखे हुए पतों को अच्छी तरह से पढ़ सके। डाकिया का रहन-सहन सरल होता है। दयालुता उसका एक विशेष गुण होता है। वह हंसमुख होता है।
पत्रवाहक दो प्रकार के होते हैं-प्रथम, ग्राम में कार्य करने वाले ग्रामीण, द्वितीय हर शहर में काम करने वाले नागरिक। ग्रामीण पत्रवाहक को पत्र बांटने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। उसे एक गांव से दूसरे गांव पैदल ही जाना पड़ा है। इस प्रकार प्रतिदिन उसे लगभग आठ-दस मील पैदल चलना पड़ता है। ग्रामीण पत्रवाहक केवल एक नियत मुहल्ले में बांटता है। कार्य-विभाजन के अनुसार भी पत्रवाहक कई तरह के होते हैं, जैसे-ऑर्डर देने वाले, पार्सल देने वाले, तार देने वाले तथा एक्सप्रेस पद्ध आदि देने वाले।
प्रत्येक पत्रवाहक को स्वस्थ होना जरूरी है। उसे हर मौसम में अपना काम नियम समय पर ही करना पड़ता है। झुलसा देने वाली धूप, घनघोर वर्षा अथवा ठिठुराने वाली सर्दी में भी उसे अपना काम करना पड़ता है। पत्रवाहक को छुट्टियां भी बहुत कम मिलती है। इसलिए आराम करने का अवसर भी उन्हें कम ही मिलता है।
वास्तव में पत्रवाहक का कार्य बहुत उत्तरदायित्वपूर्ण है। वह एक सच्चा जनसेवक होता है। उसे कीमती पार्सल, आवश्यक पत्र तथा मनीऑर्डर पहुंचाने पड़ते हैं। इसलिए अपने काम में उसे बहुत सावधान रहना पड़ता है। उसकी थोड़ी से भी असावधानी जनता को बहुत हानि पहुंचा सकती है और स्वंय उसका जीवन भी खतरे में पड़ सकता है। पत्रवाहक हमें प्रसन्नता के समाचार भी देता है और दुखद समाचार भी सुनाता है। वास्तव में, वह हमारा बहुत उपकार करता है। जनता को भी पत्रवाहक के कार्य में सहयोग देना चाहिए। यदि कभी भूल से वह गलत स्थान पर पत्र आदि दे जाता है तो हमें चाहिए कि वे पत्र आदि पुन: पत्रवाहक को लौटा दें और सही स्थान का पता उसे बतांए।
यद्यपि पत्रवाहक इतना महत्वपूर्ण कार्य करता है तथापि, सरकार द्वारा उसको साधारण वेतन ही दिया जाता है। सरकार को चाहिए कि पत्रवाहक के वेतन में वृद्धि करे। प्रसन्नता के समय तथा पर्व-त्योहारों पर जनता को भी चाहिए कि वे अपने इस परोपकारी जनसेवक को उचित पुरस्कार एंव उपहार आदि देकर प्रोत्साहित करे।