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Hindi Essay on “Bhikhari ki Aatmakatha” , ”भिखारी की आत्मकथा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

भिखारी की आत्मकथा

Bhikhari ki Aatmakatha

Essay No. 01

भीख मांगना हमारे भारत में एक आम बात है। यहां हर जगह भिखारी देखने को मिलते। है। उन्होंने अपने चेहरों पर राख लगाई होती है। उन्होंने फटे हुए कपड़े पहने होते हैं। अपने हाथा में भीख मांगने वाले कटोरे पकड़े होते हैं। वह इस प्रकार से रोते हैं जैसे बहुत मुसीबत में हों। जब भी कोई राह जाता व्यक्ति गुजरता है तो वे उससे एक या दो रुपये मांगने का प्रयास करते है.

भिखारी अधिकतर प्राचीन स्थानों पर जाकर भीख मांगते हैं। वह धार्मिक स्थानों पर बड़ी मात्रा में देखने को मिलते हैं। कई तो घर-घर जाकर मांगते हैं। वह रेलवे स्टेशन तथा बस स्टैंड पर भी देखने को मिलते हैं। वह तब तक आपका पीछा नहीं छोड़ते जब तक आप उन्हें कुछ पैसा न दे दो। आप जहां भी जाते हैं ये आपके पीछे आने लगते हैं। कई बार तो इनसे पीछा छुड़ाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

भिखारी असली तथा नकली दोनों प्रकार के होते हैं। किन्तु अधिकतर भिखारी नकली ही होते हैं। वे भिखारी इसलिए बनते हैं कि उन्हें कोई काम न करना पड़े। भीख मांगना उनके लिए पैसे कमाने का आसान साधन बन जाता है। कुछ लोगों ने भीख मांगना अपना व्यापार बना रखा है। यह लोग समाज पर दाग होते हैं। ये देश की अर्थशास्त्र पर भार होते हैं।

भिखारियों की कोई इज्जत नहीं होती। अधिकतर भिखारी धोखेबाज़ होते हैं। वे गनाह करते हैं। वे चोरी करते हैं। पकड़े न जाएँ इसलिए वे खुद को भिखारी के रूप में पेश करते हैं। कुछ भिखारी सट्टेबाज तथा शराबी होते हैं। जो भी पैसा वे दिन में भीख मांग कर इकट्ठा करते हैं, रात को उससे जूआ खेल लेते हैं तथा शराब पीकर उड़ा देते हैं।

भीख मांगना एक श्राप है। यह हमारे देश के साफ-सुथरे नाम पर एक दाग है। सरकार को इसे दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिएं। कुछ गरीब घरों का निर्माण करवाना चाहिए। अपाहिज लोगों को मुफ्त खाना तथा कपड़े देने चाहिएं। शारीरिक रूप से सक्षम भिखारियों से काम करवाना चाहिए।

Essay No. 02

भारतीय भिखारी

भिखारी हर जगह होते हैं। वे भारत में भी देखें जा सकते हैं। वे सड़कों के किनारों पर, मन्दिरों के बाहर, भीड़ भरी जगहों पर भीख माँगते देखे जा सकते हैं। कई भिखारी घर-घर में जाकर भीख माँगते हैं। वे आमतौर पर बस स्टैण्ड, सिनेमाघरों, रेलवे स्टेशनों पर दिखाई देते हैं।

आमतौर पर उन्होंने फटे हुए कपड़े पहने होते हैं। उनमें से कई भिखारियों ने खून से सनी पट्टियाँ पहनी होती है। वे रोते हैं और बहुत दयनीय आवाज़ें निकालते हैं। उनकी अपीलें अक्सर लोगों के दिलों को छू लेती हैं। वे धन लेने के लिए औरतों के बच्चों की सेहत और खुशहाली के लिए ऊँची आवाजों में प्रार्थना करते हैं। वे करुणा (दान) के नाम पर लोगों को कुछ देने के लिए कहते हैं। अपनी दुःख और अभाग्य की कहानी सुनाते हैं। लोग उनके दुर्भाग्य पर दुखी होते हैं और उन्हें भिक्षा देते हैं। वे ऐसी दयनीय हरकतें करते हैं कि लोग उनके जाल में फंस जाते हैं और उन्हें भीख दे देते हैं। धार्मिक स्थानों पर वे लोगों के जीवन और परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं। त्योहारों पर वे बहुत कमाते हैं।

भिखारी का जीवन दुःखों से भरा है। वह गरीबी का जीवन व्यतीत करता है। उसके पास रहने के लिए अपनी जगह नहीं होती। वे रात बाजारों के बरामदों में, सड़कों के किनारों पर या पुलों के नीचे बिताते हैं। आमतौर पर भिखारी के पास माँगने वाल कटोरा और टेढ़ी छड़ी होती है। कई बार बच्चे उसे परेशान करते हैं। परन्तु भिखारी का कई बार स्वस्थ शरीर वाले भी होते हैं। वे भीख इस लिए माँगते हैं क्योंकि इस में किसी मेहनत या काबलियत की जरुरत नहीं होती। वे सामाजिक परजीवी बन जाते हैं। अगर उन्हें मौका मिलता है तो वे घरों और दुकानों से कीमती सामान चुरा लेते हैं। भीख माँगना न्याय के खिलाफ है। आमतौर पर पुलिस वाले भिखारियों को तंग करते हैं। कई बार भिखारी लोगों के साथ चालें चलते हैं। वे लँगड़ाते हैं या अपने हाथ मोड़ लेते हैं जैसे कि वे वास्तव में अंगहीन हैं। ये चालें लोगों के हृदय में उनके प्रति दया पैदा करने के लिए चलते हैं। जो भी हो, हमें भिक्षा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। ये हमारे देश के अच्छे नाम पर धब्बा हैं। स्वस्थ शरीर वाले भिखारियों को काम देना चाहिए ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें। उन्हें कामचोर नहीं होना चाहिए।

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