Hindi Essay on “Beijing Olympic me Bharat” , ” बीजिंग अलोंपिक में भारत” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
बीजिंग अलोंपिक में भारत
बीजिंग अलोंपिक का परिचय – 29वें अलोंपिक खेल चीन के बीजिंग नामक महानगर में आयोजित किय गए | इनका सुभारंभ 08-08-08 को रात के 8 बजकर 8 मिनट 8 सैकंड पर चीनी राष्ट्रपति हु जिंताओं ने किया | 90000 से अधिक दर्शकों की उपस्थिति में इसका भव्य उद्घाटन हुआ | इसमें अब तक के सबसे अधिक 205 देशों के सबसे अधिक 302 खेलों में 11000 (सर्वाधिक) खिलाडियों ने भाग लिया | चीन के 639 खिलाडियों का दल सबसे बड़ा था |
भारतीय दल के खिलाड़ी – भारतीय दल में 56 खिलाड़ी थे | उन्होंने कुल 12 प्रतियोगिताओं में भाग लिया | इनमें निशानेबाजी, कुश्ती तथा मुक्केबाजी के एक-एक खिलाड़ी सल्फल होकर लौटे | बैडमिंटन, टेनिस, टेबल टेनिस, एथलेटिक्स, रोइंग, तैराकी, तीरंदाजी के खिलाड़ी सल्फ्ना नहीं पा सके | भारत के खिलाडियों की कम संख्या होना चिंताजनक है | उनके पदकों की संख्या का होना भी उत्साहप्रद नहीं है | परंतु पहली बार तीन पदक प्राप्त करनी आशाजनक है | इससे पहले भारत ने तीन पदक कभी नहीं जीते थे | लगता है, यहाँ से भारतीय खिलाडियों की विकास-गाथा शुरू होगी |
स्वर्ण-पदक – भारत में एकमात्र स्वर्णपदक निशानेबाजी में आया है | इससे जितने का शेत्र पंजाब में चंडीगढ़ के 25 वर्षीय खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा को जाता है | उन्होंने 10 मीटर एयर रायफल में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का पहला एकल स्वर्णपदक विजेता होने का गौरव प्राप्त किया | उन्होंने 11 अगस्त, 2008 को चीन तथा फिनलैंड के निशानेबाजों को पछाड़ते हुए यह उपलब्धि प्राप्त की | उनकी विजय का समाचार सुनते ही भारत में ख़ुशी की लहर दौड़ गई | राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सामान्य जनता ने उन्हें जोरदार बधाइयाँ दीं | भारत सरकार, पंजाब सरकार, हरियाणा, बिहार, उतराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु सरकारों ने उन पर पुरस्कारों ने उन पर पुरस्कारों की वर्षा कर दी | उद्योगपति पक्ष्मी मितल ने उन्हें डेढ़ करोड़ का पुरस्कार प्रदान किया |
कांस्य पदक – इस बार कुश्ती में दिल्ली (नजफगढ़) के खिलाड़ी सुशील कुमार ने 66 किलोग्राम वर्ग में बेलारुम, अमेरिका तथा कजाख्स्तान के पहलवानों को हराकर भारत के लिए रजत पदक जीता | परिणामस्वरुप सीलन-भरे कमरे में दिन गुजारने वाला सुशील कुमार भी करोड़ों रुपयों का मालिक हो गया | दिल्ली, हरियाणा तथा अन्य सरकारों ने उस पर नोट-वर्षा की |
कांस्य पदक लाने वालों में एक अन्य महतवपूर्ण नाम है – हरियाणा (भिवानी) के मुक्केबाज विजेंदर सिंह का | मॉडलिंग के शौकीन विजेंदर ने 75 किलोग्राम वर्ग में क्यूबाई मुक्केबाज से संघर्ष करते हुए कांस्य पदक प्राप्त किया | उसे भी हरियाणा ने 50 लाख रूपये, इस्पात मंत्रालय ने 10 लाख रूपये, रेल तथा वायु-यात्रा की मुफ्त सुविधा के अतिरिक्त अन्य अनेक पुरस्कार दिए गए | इस बार की एक सफलता यह भी रही कि हॉकी के क्षेत्र में सतेंद्र सिंह को लगातार दूसरी बार अंपायर की भूमिका प्रदान की गई |
असफल खिलाड़ी – भारत के असफल खिलाडियों की सूचि बहुत लंबी है | आठ बार स्वर्ण पदक जितने वाली हॉकी टीम बीजिंग के लिए क्वालीफाई ही नहीं कर पाई | पिछली बार के रजत पदक विजेता राज्यवर्द्धन सिंह राठौर 15वें स्थान पर सिमट गए | लिएंडर पेस और महेश भूपति की ‘इंडियन एकस्प्रैस’ जोड़ी क्वाटर्र फाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी | सानिया मिर्ज़ा, नेहा अग्रवाल, सुनीता राव, डोला बैनर्जी जैसे खिलाड़ी कुछ कर नहीं सके |
निष्कर्ष – कुल मिलाकर बीजिंग अलोंपिक का संदेश यही है कि भारतीय खेलों का सुर्यद्य हुआ है | पहला एकल स्वर्ण निराह्सा की काली घटा तोड़कर निकल आया है | पहली बार पदकों की संख्या तीन हुई है | यह संकेत है कि आने वाला कल भारतीय खेलों के लिए स्वर्णिम है |