Hindi Essay on “Ashia Khelo ka Mahatv” , ”एशियाई खेलों का महत्व Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes
एशियाई खेलों का महत्व
Ashia Khelo ka Mahatv
प्रस्तावना- मानव जीवन में खेलों का सदा से महत्व रहा है। खेलों से न केवल शारीरिक क्षमताओं का निर्माण होता है, बल्कि मानसिकता तथा बौद्धिक अनुशासन भी विकसित होता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व विकस में खेलों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। खेल मानसिक तथा शारीरिक सन्तुलन के विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
खेल लोकप्रिय बनाने के प्रयास- आज खेलों का महत्व दिन-प्रतिदिन बढता ही जा रहा है तथा इनको लोकप्रिय एवं आकर्षित बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। एशियाई देशों में खेलों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक पहंुचने के लिए इसमें सुधार करने पर जोर दिया जा रहा है। जोर देने की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि आज के जमाने में अन्य एशियाई देश अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले बहुत पीछे हैं, जिसके अनेक आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक करण है। एशिया के अधिकतर देश्र किसी न किसी विदेशी शक्ति से जुडे हुए हैं। इन विदेशी शक्तियों का स्वार्थ तो एशियाई देशों के नागरिकों को हर तरह से निर्धन, असहाय अवस्था में रखना था। यूरोपीय देश भला क्यों एशियाई देशों के नागरिकों को हीन-भावना का शिकार बनाना है।
पुराने समय में जब एशियाई देश के नागरिक जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे थे तो राष्ट्रीय विकास करने तथा रचनात्मक कार्य करने की ओर उनकी दृष्टि जा नही पाती थी। यदि एक बाद उस दिशा में दृष्टि चली जाती थी तो इसके लिए वे किसी भी तरह की विशेष उल्लेखनीय उपलब्धियां जुटा पाते थे।
एशियाई देश आर्थिक तथा राजनीतिक दासता के शिकार होने के कारण खेलों की ओर विशेष ध्यान नहीं दे सके जिस कारण आज वे विश्व स्तर पर काफी पीछे है। इस पीछे होने की स्थिति को ध्यान में रखकर एशियाई देशों ने खेलों की स्पर्धा के आयोजन का विचार किया।
एशियाई खेलों के प्रारम्भ की पृष्ठभूमि- भारत देश की स्वतन्त्रता के पश्चात् एशिया के अनेक देश भी परतन्त्रता से मुक्त हुए और जल्द ही उन्होने खेलों के विकास की ओेर ध्यान देना आरम्भ किया। उन्होने खेलों के विकास में तीव्र गति से बढने के लिए अनेक प्रयत्न किये। भारत ने स्वतन्त्रता के पूर्व भी ओलम्पिक खेलों में भाग लिया था और हाॅकी के क्षेत्र में अनोखा प्रदर्शन भी किया। पर ओलम्पिक खेलों के केवल एक क्षेत्र को छोडकर भारत बाकी सभी खेलों में कोई स्थान प्रप्त कर सका।
उस समय अन्य कई एक एशियाई देश भी कुछ खास कमाल न दिखा पाये। ओलम्पिक खेलों में केवल जापान तथा कारिया देश ही अपनी कुछ भूमिका निभा पाये।
भारत की आजादी के बाद देश के प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने खेल के स्तर को बढावा देने के लिए तथा एशियाई देशों में प्रेम एकता, पारस्परिक सौहार्द तथा तनाव दूर करने के लिए पहल की। इस तरह भारत में प्रथम एशियाई खेलों का आयोजन हुआ।
एशियाई खेलों के छोयामून थे माध्यम से राष्ट्रों के बीच मजबूत सम्बन्ध स्थापित हुए। खिलाडियों ने अपने-अपने देशों के राजदूत के रूप में मैत्री तथा सद्भाव की भावना जाग्रत की।
इस तरह एक महाद्वीप के देशों में यदि मित्रता पूर्ण वातारण बना। जब किसी महाद्वीपीय एकता का भाव जाग्रत हो जाता है तब वे समान हितों के आधार पर विश्व के रंगमंच पर सामूहिक चेतना का परिचय दे पाने में समर्थ रहते हैं। इस प्रकार की पृष्ठभूमि ही एशियाई खेलों के आयोजन की पृष्ठभूमि द्वारा तैयार हुई।
अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में एशियाई देशों की स्थिति- वर्तमान समय में एशियाई खेलों में चीन एक बहुत शक्तिशाली राष्ट्र के रूप मंे उन्नत हुआ है। उसने अन्य सभी एशियाई देशों को अपने से पीछे छोड पदकों की होड में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। भारत और पाकिस्तान को उसने बहुत पीछे छोड दिया है। देश की आजादी से पूर्व भारत हाॅकी के क्षेत्र में श्रेष्ठ था लेकिन अब इस क्षेत्रों में; जैसे- फुटबाल, टेनिस, बैडमिटन, कुगफु आदि में अपनी योग्यता एवं श्रेष्ठता सिद्ध की हैं। परन्तु एथलेक्टिस क्षेत्रों में वह आज भी बहुत पीछे हैं।
इस क्षेत्र में जापानी खिलाडी कुश्ती, साइकिलिंग आदि में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के हैं। ईरान के पहलवानों कोे विश्व स्तर का माना गया है।
एशियाई देशों के खेलों के स्तर में गिरावट का सबसे मुख्य कारण यह है कि इन देशों में प्रतिस्पद्र्धाओं का अयोजन बहुत देर से आरम्भ किया। दुसरा मुख्य कारण इन देशों की राजनीतिक तथा सामाजिक समस्याएं है, जिसके कारण इन्हें विश्व की अन्य प्रतियोगिताओं में भग लेने का अवसर प्रप्त नहीं हो पा रहा है।
एशियाई खेलों का महत्व- एशियाई खेल का केवल एशिया के लिए ही नहीं अपितु विश्व के सभी देशों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। विश्व के देशों में एशिया के चीन और भारत देश ही एकमात्र ऐसे देश हैं जो आबादी में मुख्यतः पहले और दूसरे स्थान पर आते हैं।
दो अरब से अधिक आबादी वाले ये देश प्रकार की शक्तियों से परिपूर्ण है। एशिया के अन्य देश भी सब तरह की शारीरिक तथा बौद्धिक क्षमता रखते हैं। यदि एशिया के सभी देशों को एक साथ मिला दिया जाये तो इन सबकी शक्ति से न केवल पारस्परिक एकता को बल मिलेगा बल्कि इन सबकी आत्मीयबंधुता तथा एशियाई स्वाभिमान की भी रक्षा हो सकेगी। क्योंकि आज भी एशिया का अपने पुराने स्वरूप् तथा जीवन मूल्यों के कारण विश्व के अन्य महाद्वीपों की तुलना में अपना अलग स्थान है।
एशियाई खेलों के दूरगामी परिणाम – एशियाई खेलों की प्रतिस्द्र्धाओं के कारण एशिया के लोगों में खेलों के प्रति अपूर्व रूचि तथा उत्साह की लहर जाग्रत हुई है। चीन और जापान खेल के अनेक क्षेत्रों में पहले स्थान पर बने हुए हैं। वैज्ञानिक पद्धति द्वारा ये अधिक से अधिक उन्नति प्राप्त कर अन्य देशों को चुनौती दे सकते हैं तथा खेलों के माध्यम से ओलम्पिक जैसे विश्व आयोजन में विश्व बन्धुत्व एवं मैत्री का संदेश ले जा सकते हैं।
निष्र्कष- आज के जमाने में एशियाई खेलों का महत्व निर्विवाद है। अतः इस दशा में अत्यधिक प्रयत्न की आवश्यकता है। इसके लिए एशियाई लोगों को अपने अन्दर छुपि क्षमताओं को पहचानना होगा और कठोर परिश्रम तथा वैज्ञानिक उपकरणों के आधार पर अपनी योग्यताये अर्जित करनी होगी। ऐसा करके अपनी एकता का परिचय देकर विश्व मैत्री तथा बन्धुत्व के उदान्त भावों को मजबूत करने में सहायता करनी होगी। यद्यपि आधुनिक खेल बहुत ही महंगे एवं खर्चीले हैं जिस कारण आप व्यक्ति इन खेलों में सम्मिलित नहीं हो पाते। भारत विकासशील देश हैं, देश नये संसाधनों से मुक्त हो रहा है, पर खेलों के क्षेत्र में उसकी भूमिका ज्यादह प्रभावशाली नहीं। चीन के बाद जनसंख्या के दूसरे नम्बर का यह देश अच्छे खिलाडियों को निकाल नहीं पा रहा है, यह चिंता की बात है,पर जापान, कोरिया जैसे छोटे देश आगे निकल गये है। देश के खिलाडियों के चयन में राजनीति हावी है। देश में खेल मंत्रालय की व्यवस्था है, फिर भी वह अपनी महत्वपुर्ण भूमिका नहीं निभा पा रहा है। आवश्यकता है खिलाडियों को प्रोत्साहन देने की प्रतिधावको को आगे निकालने की। तभी एशियाई खेलों में ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में भारत आगे बढ सकेगा।