Hindi Essay on “Anushasan ka Mahatva” , ”अनुशासन का महत्त्व” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
अनुशासन का महत्त्व
Anushasan ka Mahatva
निबंध नंबर :- 01
अनुशासन का अर्थ है- खुद को काबू करना। यह व्यक्ति को जीवन जीने के कुछ तौरतरीकों को समझने का मार्ग दिखाता है। इससे व्यक्ति एक सभ्य जीवन व्यतीत करता है। इसकी कमी से जीवन में खामियां आ जाती हैं। जीवन में तरक्की इसके बिना संभव नहीं है। यह जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक है। अनुशासन के बिना शांति तथा न्याय स्थापित करना संभव नहीं है। अनुशासन के अभाव में इंसान भी जानवर की भांति ही हो जाता है।
बच्चे अपने माता-पिता से अनुशासन सीखते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि पहले माँ-बाप भी अनुशासित होने चाहिए। विद्यार्थी अपने शिक्षकों से इसे सीखते हैं। इसलिए एक अनुशासित शिक्षक ही अपने शिष्यों को अनुशासन का पाठ पढ़ा सकता है। अनुशासन में कमी शिक्षा में भी कमी लाती है। हम इस प्रकति की हर चीज़ से अनुशासन सीख सकते हैं। सूरज, चांद, तारे अपने नियमों तथा कायदों के अनुसार अपना कार्य करते हैं।
फौज में अनुशासन का पालन सांस लेने के बराबर है। कोई भी आर्मी अनुशासन के बिना सोची भी नहीं जा सकती। इसके बिना आर्मी एक आम लोगों की भीड़ जैसी लगेगी। राजनीतिक जीवन में भी अनुशासन का बहुत महत्त्व है। यदि हमारे नेता अनुशासित नहीं होंगे तो वे अपने कार्यों को पूरा नहीं कर पाएंगे। वे देश को बर्बाद कर देंगे। कोई भी खेल खेलना संभव नहीं है यदि उसके नियमों का पालन न किया जाए।
बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें अनुशासन पसंद नहीं। वे कहते हैं कि अनुशासन से उनकी र राक लगती है। किंतु यह लोग गलत हैं। उनको यह समझ लेना चाहिए कि क अभाव से सब कुछ खत्म हो जाता है। इसे जबरदस्ती किसी में नहीं भरा जा सकता। यह तो अंदर से पैदा करना पड़ता है। इस प्रकार अनुशासन ही फायदा दे सकता है। लोकतंत्र भी तभी स्थापित किया जा सकता है यदि इसके लोग अनुशासित हों।
इस प्रकार अनुशासन जीवन को नियंत्रित करता है। यह जीवन को जीने योग्य है। लोगों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। उन्हें अपना कार्य ईमानदारी करना चाहिए। अनुशासन अनेक रोज़मर्रा के कामों को नियंत्रित करता है।
निबंध नंबर :- 02
अनुशासन का महत्त्व
Anushasan ka Mahatva
अनुशासन जीवन के विकास और सफलता की कुंजी है। प्रकृति भी एक अनुशासन में बंधी है। समय पर सूर्य उदित व अस्त होता है, एक क्रम से ऋतुएँ आती-जाती हैं, ज्वार-भाटा के बीच भी सागर मर्यादित रहता है, एक निश्चित गति से पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है. अनगिनत ग्रह-उपग्रह सौरमंडल में घूमते हैं। यदि एक क्षण के लिए भी यह व्यवस्था शिथिल हा जाए तो सृष्टि में महाप्रलय का दश्य उपस्थित हो जाए। प्रकृति की यह बात व्यक्ति, समाज और राष्ट्र पर भी लागू होती है। अनुशासनहीन व्यक्ति न तो अपना भला कर सकता है न समाज अथवा राष्ट्र का। समाज के नियमों को मानना सामाजिक अनुशासन है। यदि इसका पालन न किया जाए तो सर्वत्र अराजकता फैल सकती है। यद्ध-क्षेत्र में तो अनुशासन का महत्त्व सबसे बढ़कर है। इतिहास साक्षी है कि सेना की एक अनशासित छोटी टुकड़ी एक बड़ी टुकड़ी पर भारी पड़ जाती है। इसीलिए किसी प्रसिद्ध कवि ने कहा भी है
“अनुशासन एक ओर बंधन है तो दूसरी ओर मुक्ति भी”