Hindi Essay on “Adarsh Vidyarthi” , ” आदर्श विद्दार्थी” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
आदर्श विद्दार्थी
आदर्श विद्दार्थी वह होता है जिसकी अपने गुरु के प्रति असीम श्रद्धा होती है | विनम्रता , सादगी , सहनशीलता तथा संयम उसके जीवन के आभूषण होते है | मर्यादा उसके जीवन की सीमा होती है तथा विद्दा ग्रहण करना उसकी साधना है | आदर्श विद्दार्थी का एक अन्य गुण होता है – नियमितता | उसे अपना प्रत्येक कार्य – अध्ययन , भोजन , खेल कूद और निद्रा, नियमित समय पर ही करना चाहिए | आदर्श विद्दार्थी अपने समय का सदुपयोग करता है | वह सुबह से लेकर रात सोने तक एक-एक क्षण अपने निशिचत एव उचित कार्यो को करने में व्यतीत करता है |
आदर्श विद्दार्थी को कौवे के समान प्रयत्नशील (चेष्टावन) , बगुले के समान ध्यानरत , कुत्ते के समान कम तथा सावधान निद्रा लेने वाला, कम तथा सन्तुलित आहार लेने वाला तथा घर को त्याग कर विद्दा ग्रहण करने वाला होने चाहिए | उसे आलसी न होकर परिश्रमी और एकाग्रचित होना चाहिए | उसे कुसंगति से बचना चाहिए | उसे अपने सहपाठियों के हित के लिए तैयार रहना चाहिए और उनके प्रति स्नहे भाव रखना चाहिए | उसे स्वावलम्बी भी होना चाहिए अर्थात् उसे अपना कार्य स्वय ही करना चाहिए | उसे मधुरभाषी व् सत्यवक्ता होना चाहिए | आदर्श विद्दार्थी में विश्व – बन्धुत्व की भावना का विकास, राष्ट्र प्रेम और स्वाभिमान के साथ विनयशीलता का गुण भी होना चाहिए | इनके अतिरिक्त उसे मितव्ययी , अनुशासन प्रिय और गुरुजनों का सम्मान करने वाला होना चाहिए | उसके जीवन का सिद्धान्त होना चाहिए – ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ |
आदर्श विद्दार्थी को जिज्ञासु होना चाहिए | उसे नित्य नई पुस्तके पढकर विद्वानों की संगति करके और प्रत्येक सम्भव माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ाते रहना चाहिए | वह हिसा व् अश्लीलता से घृणा करता है | मनोरंजन के लिए अच्छे और स्वस्थ उपाय (साधन) अपनाया करता है | आदर्श विद्दार्थी खेल –कूद व् आवश्यक व्यायाम आदि पर उचित ध्यान देकर अपने को चुस्त – दुरुस्त तो रखता ही है – साथ ही देश – जाति और राष्ट्र-सेवा जैसे सेवा करने के उचित अवसर को पाकर खोता नही है | इन्ही सब गुणों के कारण वह समाज में सम्मान तथा जीवन में सफलता प्राप्त करता है | अंत: आज हर एक को आदर्श विद्दार्थी बनने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए |
संक्षेप में हम कह सकते है कि विद्दार्थी जीवन में पड़े हुए अच्छे संस्कार ही उसके भावी जीवन को आदर्श बना पाएगे | यदि ऐसा नही हुआ तो उसका भावी जीवन नर्क समान बन जाएगा |