Hindi Essay on “Aarthik Kshetra me Bharatiya Banko ka Yogdan” , ”आर्थिक क्षेत्र में भारतीय बैंकों का योगदान” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
आर्थिक क्षेत्र में भारतीय बैंकों का योगदान
Aarthik Kshetra me Bharatiya Banko ka Yogdan
दुनिया में सबसे पहला बैंक ’बैंक आॅफ वेनिस’ इटली में स्थापित हुआ और ’बैंकिग’ शब्द का भी पहला प्रयोग वहीं हुआ। वेनिस राज्य अपने पड़ोसी राज्यों के साथ युद्ध मंे संलग्न रहने के कारण एक बड़े आर्थिक संकट में पड़ गया था। जब परिषद के सामने और कोई रास्ता न रहा तब अपने प्रत्येक नागरिक से उसकी सम्पति का एक प्रतिशत अनिवार्य ऋण के रूप में मांगा गया। इस पर 4% सूद भी रखा गया। इसके फलस्वरूप परिषद बहुत बड़ी मात्रा में धन एकत्र कर पाने में सफल रही। मुद्रा की इतनी अधिकता के कारण इटालियन भाषा में इसे ष्डवदजमष् कहा गया है, जिसका हिंदी अर्थ है-पहाड़। उन दिनों इटली के बहुत बड़े भाग पर जर्मनी का अधिकार था, इस कारण से वहां का डवदजम जर्मन पर्यायवाची शब्द ठंदबा भी प्रयोग मंे आने लगा। इटली वाले अपनी भाषा मंे इसे ठंदबवए फ्रांस वाले ठंदबा और अंग्रेज ठंदा कहने लगे।
कुछ लोगों की यह मान्यता है कि बैंक शब्द इटालियन भाषा के ठंदबा से निकला है, जिसका अर्थ बंेच होता है। इन विवादों से परे मैकालियोड के विचार से ’बैंक’ का सही अर्थ ढेर या पहाड़ है और यह शब्द बहुत से लोगों द्वारा एकत्रित किए गए एक सामूहिक कोष का द्योतक है। बैंक की परिभाषा विभिन्न विचारकों एवं विद्वानों ने प्रस्तुत की है लेकिन सर्वाधिक उपयुक्त परिभाषा वेबस्टर कोश में दी गई है जिसके अनुसार-’’बैंक वह संस्था है जो द्रव्य का व्यवसाय करती है। एक ऐसा प्रतिष्ठान है, जहां धन का जमा, संरक्षण तथा निर्गमन होता है तथा ़ऋण देने एवं कटौती की सुविधाएं प्राप्त की जाती हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर धन-राशि भेजने की व्यवसथा की जाती है।’’ इस प्रकार बैंक प्रत्येक राष्ट्र के लिए विशेष महत्व रखता है। क्योंकि समस्त आर्थिक क्रियाओं का केन्द्र धन अथवा मुद्रा होती है।
बैंक आर्थिक क्षेत्र में निम्नलिखित कार्यों का निष्पादन करता है-
- रूपया उधार देना,
- ब्याज पर रूपया प्राप्त करना,
- पत्र-मुद्रा का निर्गमन,
- बहुमूल्य वस्तुओं की सुरक्षा,
- विदेशी-विनिमय व्यवस्था,
- साख प्रमाण पत्रों का निर्गमन,
- बिल, हुण्डी, चेक आदि वसूल करना,
- अंशों व ऋण-पत्रों का क्रय-विक्रय करना,
- ब्याज या लाभांश वसूल करना,
- बीमा किस्त आदि चुकाना,
- आर्थिक सम्मति देना।
बैंक आधुनिक समाज के विŸा तथा साख संगठन का एक महत्वपूर्ण साधन होता है। साख सृजन अधिकतर बैंकों द्वारा ही होता है। औद्योगिक विकास की कोई योजना बैंकिग-विकास के बिना सफल नहीं हो सकती। अतः आधुनिक समाज में व्यापार, वाणिज्य तथा व्यवसाय के धमनी केन्द्र हैं बैंक। इसके अतिरिक्त अभिकर्ता और प्रतिनिधि के रूप में बैंक अनेक सेवाएं करता है। बैंक एक अच्छे व्यापारिक सलाहकार का भी काम करता है। बैंक के महत्व को आर्थिक क्षेत्र में सर्वोपरि प्रधानता प्रदान की गई है। इसके निम्नलिखित कार्य स्वतः ही अपना महŸव प्रकट करते हैं-
- पूंजी तथा कला-कौशल का एकीकरण,
- देश को वित्तीय साधनों का संरक्षण,
- धन हस्तांतरण करना,
- बैंकों के उपयोग को बढ़ावा,
- व्यापारियों को सुविधा देना,
- सुरक्षा-प्रबन्ध करना,
- विदेशी व्यापार में सहायता,
- ग्राहकों की साख बढ़ाना।
- नैतिक गुणों का विकास करना,
- 1 देश की मुद्रा प्रणाली में लोच उत्पन्न करना,
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सहायता करना आदि।
बैंकों की क्षमता में वृद्धि करने के निमित देश के 50 करोड़ से अधिक धन-राशि वाले 14 प्रमुख बैंको का राष्ट्रीयकरण 19 जुलाई 1962 को एक अध्यादेश द्वारा कर दिया गया। परंतु सर्वाेच्च न्यायालय में इसके विरूद्व याचिकाएं प्रस्तुत कर इसे निरस्त कर दिया गया। आर्थिक क्षेत्रों में सुदृढ़ता तथा गतिशीलता को जागृत करने के लिए 14 फरवरी 1970 को पुनः 14 बड़े बैंकों के राष्ट्रीयकरण की उद्घोषणा की गई, जिसका सम्पूर्ण राष्ट्र ने स्वागत किया।
विदेशी बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं किया गया। भारतीय बैंकों ने आर्थिक क्षेत्रों में प्रशंसनीय योगदान दिया है। बैंकों का आर्थिक क्षेत्र में योगदान एवं संपर्क व्यापक रूप से प्रस्तुत करना यहां प्रासंगिक न होगा। बैंकों का आर्थिक क्षेत्र में निम्नलिखित योगदान है-
बैंकों के राष्ट्रीयकरण का प्रथम उद्देश्य यह था कि बैंकों में पूंजीपतियों की आर्थिक सŸाा के विकेन्द्रीकरण का अंत हो जाए।
राष्ट्रीयकरण के पश्चात बैकों की पहुंच देश के सुदूर अंचलो तक हो गई।
बैंकों द्वारा कृषि के लिए सरल तथा सस्ते ऋण की व्यवस्था कर दी गई है।
भारतीय बैंक आर्थिक क्षेत्र में लघु उद्योगों की सहायता में अभूतपूर्व योगदान दे रहे हैं। इस दिशा में निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं, जिनके कारण लघु उद्योगों को नवजीवन प्राप्त हो रहे है, और वे विकास मार्ग पर द्रुत गति से बढ़ रहे हैं।
भारतीय बैंक अब सामान्य नागरिकों, छोटे व्यापारियों, रिक्शा या तांगा चालकों तथा अन्य लोगों को सस्ती ब्याज की दर पर ऋण प्रदान कर रहे हैं। इस दिशा में बैंकों ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है।
भारतीय गणराज्य में बैंक अपने गरिमा युक्त कार्य-निर्वाह में पूर्ण तत्पर तथा सक्रिय हैं। बैंकों के आर्थिक योगदान से राष्ट्र के सामान्य नागरिकों को लाभ मिलने लगा है। बैंकांे की उन्नति और विकास में आशाजनक सफलता प्राप्त हो रही है। बैंक हमारे आर्थिक विकास की मुख्य रीढ़ हैं। उनकी दृढ़ता, शक्ति, जागरूकता और गतिशीलता पर सप्पूर्ण राष्ट्र की प्रगति और सर्वांगीण विकास पूर्णरूपेण निर्भर करता है। भारतीय बैंकों का भविष्य उज्जवल है और उनके सहयोग के परवेश में असंख्य भारतीय नागरिक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं।