Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay, Moral Story, Story on Proverb “Deen Se Bedeen Bhay, Gang Neer Piye Se” “दीन से बेदीन भय, गंग नीर पिय से” Complete Story Paragraph for Students

Hindi Essay, Moral Story, Story on Proverb “Deen Se Bedeen Bhay, Gang Neer Piye Se” “दीन से बेदीन भय, गंग नीर पिय से” Complete Story Paragraph for Students

दीन से बेदीन भय, गंग नीर पिय से

Deen Se Bedeen Bhay, Gang Neer Piye Se

रतन नाम का एक पटवारी था। वह हमेशा किसानों के खेतों की नाप-तोल में हेराफेरी किया करता था।

गरीब किसानों को वह परेशान करता था और जमींदारों का खैरख्वाह बना रहता। अपने पेशे में वह बदनाम व्यक्ति था। ऐसा रौब बनाए रखता था, जैसे कि बहुत बड़ा अधिकारी हो।

नेकी और अच्छे कामों से उसका दूर का भी रिश्ता नहीं था। राम का नाम तो वह स्वप्न में भी नहीं लेता था। धर्म के नाम पर उसकी पत्नी ने घर में एक छोटी मूर्ति रख ली थी। वह भी अपने आदमी की तरक्की और धन की बढ़ोतरी के लिए पूजा करती रहती थी।

रतन पटवारी निकलने ही वाला था कि दरवाजे पर यमदूत पहुंच गए। यमदूत ने आवाज लगाई, तो रतन पटवारी बाहर आया। रतन पटवारी के पूछने पर यमदूत ने कहा, “आपको यमराज ने बुलाया है। मेरे साथ चलिए।”

रतन पटवारी ने कहा, “थोड़ा रुकिए। अभी आता हूं।” इतना कहकर रतन पटवारी अंदर गया और सोचने लगा कि इस तरह यमराज ने बुलाया है, जरूर कोई बात है। इसका लाभ उठाना चाहिए। उसने एक कागज पर कुछ लिखा और कागज को तोड़-मरोड़कर रख लिया। फिर वह घर से बाहर निकल आया।

यमदूत रतन पटवारी को लेकर चल दिए। थोड़ी देर में ही यमलोक पहुंच गए। रतन पटवारी ने यमराज को नमस्कार किया और जेब से कागज निकालकर देते हुए कहा, “फरमान है, आपके लिए।” यमराज ने कागज को पढ़ा। उसमें लिखा था-“यमराज जी, रतन पटवारी आपके पास आ रहे हैं। इन्हें अपना कार्य-भार सौंप दें। आपको अवकाश पर भेजा जाता है, -विष्णु भगवान।” यमराज ने रतन पटवारी को कार्य-भार सौंपा और चले गए।

रतन पटवारी यमलोक के राजा हो गए। नया क्या होना चाहिए, इसके लिए रतन पटवारी की खोपड़ी काम करने लगी। उसने यमदूतों को आदेश दिया कि जितने लोग स्वर्ग में हैं, उन्हें नरक में डाल दिया जाए और नरक के लोगों को स्वर्ग में। यही हुआ। स्वर्ग के लोग नरक में और नरक के लोग स्वर्ग में डाल दिए गए।

तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवता हाय-हाय करते हुए विष्णु भगवान के दरबार में पहुंचे। देवताओं ने विष्णुजी से कहा, “हे करुणानिधान, आपके यहां तो अब अनर्थ होने लगा है। हमारे भक्त और पुण्यात्माएं नरक में डाल दिए गए हैं और नरक के पापियों को स्वर्ग में पहुंचा दिया गया है।”

विष्णुजी ने देवताओं से कहा, “आप लोग निश्चिंत होकर जाइए। अभी सब ठीक कराता हूं।” देवता लोग चले गए।

विष्णुजी ने यमराज को बुलवाया। यमराज आए और हाथ जोड़कर खड़े हो गए। विष्णुजी ने पूछा कि आपके यमलोक में यह क्या हो रहा है?

विष्णुजी की बात सुनकर यमराज ने कहा, “प्रभु क्षमा करें। यह सब आपके प्रिय भक्त रतन पटवारी का काम है। आपके ही फरमान से उसे मैंने अपना कार्य-भार सौंपा था, और मुझे अवकाश दे दिया गया था।”

विष्णुजी ने कहा, “मेरा भक्त ऐसा नहीं कर सकता। मैंने अपने भक्त को अपने पास बुलवाया था। आप लोग सीधे यमलोक कैसे ले गए? इसकी पूरी छानबीन करो। जरूर कहीं गड़बड़ है। यमलोक में पहले जैसी स्थिति कर दो।”

यमराज ने जाकर सबसे पहले रतन पटवारी को हिरासत में ले लिया और स्वर्ग के लोगों को स्वर्ग में और नरक के लोगों को नरक में पहुंचा दिया। छानबीन करने से पता चला कि विष्णुजी का भक्त रतन दूसरा व्यक्ति था। यमदूत उसके बदले में रतन पटवारी को पकड़ लाए थे।

उस रतन पटवारी को धरती पर भेज दिया गया। जब यमदूत रतन पटवारी को छोड़कर वापस आ रहा था तो सोचता आ रहा था

‘दीन से बेदीन भए, गंग नीर पिए से।

सात पुश्त नरक गईं, राम नाम लिए से॥’

वाह रे रतन पटवारी। तेरा भी कोई जवाब नहीं।

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *