Hindi Essay, Moral Story “Laalach Buri Bala Hai” “लालच बुरी बला है” Story on Hindi Kahavat for Students of Class 9, 10 and 12.
लालच बुरी बला है
Laalach Buri Bala Hai
एक शहर में एक सुनार था। उसकी दुकान बहुत प्रसिद्ध थी। वह अपनी दुकान पर नए-नए डिजाइनों में सोने-चांदी के गहने बनाता था और बेचता था। कुछ लोग अपने पुराने गहने लाते थे और कुछ पैसे देकर नए गहने बनवा ले जाते थे। उसकी नाप-तौल बिल्कुल ठीक होती थी। ईमानदारी में उसका नाम था। अपनी मेहनत की मजदूरी ठीक-ठीक लेता था। सोने के गहनों में तांबे का टांका कम-से-कम लगाता था। शहर में सबसे अधिक दुकान उसी की चलती थी। चाहे जान-पहचान का हो या अनाड़ी, सबके साथ ईमानदारी से व्यवहार करता था।
एक दिन दोपहर का समय था। गर्मियों के दिन थे। दुकान पर एक भी ग्राहक नहीं था। वहां एक आदमी आया और एक थैले में गहने दिखाकर कुछ कहने लगा। पहले तो सुनार ने बहुत गुस्से में कहा, “मुझे नहीं लेने हैं सस्ते दामों में चोरी के गहने।”
चोरों के सरदार ने बड़ी नरमी से कहा, “देख लो, फायदे का सौदा है। बस आप और हम, दो ही लोगों के बीच यह बात रहेगी। आनन-फानन में लखपती बन जाओगे।”
जब चोरों के सरदार ने अधिक कहा-सुना, तो वह लालच में आ गया और गहने लेने के लिए तैयार हो गया। वह अंदर थैले को ले गया। गहने तौले और पैसे उसी थैले में रखकर दे दिए। वह सरदार थैला लेकर चला गया।
अब चोरों का सरदार बीस-पच्चीस दिन में आता। सुनार गहनों का थैला लेता। सुनार उसी थैले में पैसे रखता और सरदार को वापस देता। सरदार थैला लेकर चला जाता।
अब सरदार दिन में न आकर झुटपुटे में शाम को आता। सरदार पैदल आता था। कभी-कभी वह जब जल्दी में होता तो घोड़ी लेकर आता था।
एक दिन सरदार घोड़ी पर सवार होकर जब शहर में आ रहा था, तो उस पर सिपाहियों को शक हो गया। सिपाहियों ने सरदार को घेरकर गिरफ्तार कर लिया। उस सरदार को दरबार में हाजिर किया गया। उसके थैले की तलाशी ली गई तो किसी रजवाड़े के रत्नजड़ित आभूषण पाए गए। जब राजा ने पूछताछ की तो पता चला कि पड़ोस की रियासत के राजा की लड़की का डोला लूटकर गहने लाए गए हैं।
उस सरदार ने स्वीकार किया कि मैं चोरों का सरदार हूं और ये गहने एक रियासत में जा रहे एक डोले को लूटकर लाया था। जब राजा ने पूछा कि इन गहनों को कहां ले जा रहे थे? इस पर, उसने बताया कि आपके यहां के प्रसिद्ध सुनार के पास बेचने जा रहा था। मैं चोरी के सोने के गहने उसी को बेच देता हूं। वह आधी कीमत पर मेरे गहने खरीद लेता है।
उसी समय राजा ने सिपाहियों को भेजकर उस सुनार की दुकान पर छापा डलवाया और सुनार को गिरफ्तार कर कैदखाने भेज दिया। उसकी दुकान से हजारों की संख्या में चोरी के खरीदे हुए गहने मिले। दूसरे दिन चोरों के सरदार को फांसी और प्रसिद्ध सुनार को आजीवन कारावास दे दिया गया।
पूरे शहर में सुनार के बारे में बातें हो रही थीं। लोग जगह-जगह पर आपस में सुनार की ईमानदारी की तारीफ कर रहे थे और चोरी के गहनों की खरीद-फरोख्त के बारे में निंदा कर रहे थे।
एक स्थान पर तमाम लोग इकट्ठे थे और सुनार की इस घटना के बारे में चर्चा चल रही थी। उन्हीं के बीच से एक व्यक्ति बोला, भैया, ‘लालच बुरी बलाय’ होती है।