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Hindi Essay on “Bhartiya Sainik”, “भारतीय सैनिक” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

भारतीय सैनिक

Bhartiya Sainik

 

किसी भी मज़बूत देश की नींव उसकी शक्ति में होती है। किसी देश की सेना का मनोबल जितना दृढ़ होगा उतना ही वह राष्ट्र मज़बूत होगा। सेना का निर्माण सैनिकों से होता है।

एक महान देश है। यह शान्ति में विश्वास रखता है। परन्तु कहा जाता हैं। आप शान्ति चाहते हैं तो युद्ध के लिए सदा तैयार रहें । युद्ध के लिए सेना की आवश्यकता होती है। भारत के पास अपने पडोसी देशों का सामना करने के लिए एक विशाल सेना है। भारतीय सैनिक भी बहुत दृढ़ निश्चय वाला होता है।  वह अपने देश के लिए मर मिटने को तैयार रहता है। वह मिलीटी ग्रीन रंग की वदी पहनताका उसके सिर पर टोपी होती है। उसके हाथ में बन्दूक होती है। वह सदा अनुशासन में रहता है। उसकी दिनचर्या नियमित होती है। उसे युद्ध करने के लिए सरकार द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है। वह सुबह शाम युद्ध का अभ्यास करता है। वह बन्दूक सलकर टैंक, तोपें, राडार तक चला सकता है। उसकी बन्दुक उसका गहना है तथा टैंक तोपें, राडार उसके खिलौने । शत्रु से लड़ते हुए वह उसे नाकों चने चबाने पर विवश कर देता है। युद्ध-भूमि में हारता नहीं, बल्कि विजय प्राप्त करके आता है। वह लड़ते-लड़ते शहीद हो जाता है। परन्तु अपनी मातृभूमि पर आंच नहीं आने देता। वह देश के लिए कुर्बान हो जाना अपना धर्म समझता है। भारतीय सैनिक को पाकिस्तान के साथ 1965, 1971 तथा कारगिल में 1999 में युद्ध करना पड़ा। हर बार उसने वीरता और साहस के साथ शत्रु का सामना करके उसे पछाड़ दिया।

वह अपना कर्त्तव्य पूरी ज़िम्मेदारी से निभाता है। संघर्ष के समय में वह यह भूल जाता है कि उसका अपना कोई परिवार है, वह भी किसी मां का बेटा है। उस समय उसके मन में केवल मातृ-भूमि की रक्षा का प्रश्न होता है और वह यही गीत गाता है:

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।

देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।

भारतीय सैनिक की माता अपने बेटे के सैनिक होने पर गर्व करती है। मातभूमि जब जब अपनी रक्षा के लिए पुकार करती है तो माताएं स्वयं अपने पत्रों को शस्त्रों से सुसज्जित करके युद्ध भूमि में भेज देती हैं और यह आशीर्वाद देती है कि तू विजय प्राप्त करके वापस आए ताकि तुझे तरह-तरह के मैडलों से सम्मानित किया जाए। भारतीय सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए युद्ध में बढ़ चढ कर भाग लिया है। इनकी वीरता, साहस से प्रभावित होकर भारत सरकार अपने सैनिकों को ‘वीर चक्र’, “परमवीर चक्र” जैसे प्रतीकों से सम्मानित करती रही है।

भारतीय सैनिक अपने घर सब आराम छोड़कर अपने देश के लिए कर्बान हो जाते हैं और अन्त में भारत माता की गोद में सदा-सदा के लिए सो जाते हैं। भारतीय सैनिक जब यद्ध के मैदान में गोलियों की बौछार कर रहा होता है या बारूद फैंक कर दुश्मन को नष्ट कर रहा होता है तो उसे अपने खाने-पीने तक की होती। वह रात-दिन एक करके जल्दी से जल्दी शत्रु का सफाया कर देना चाहता है ।

जब वह युद्ध-क्षेत्र में लड़ रहा होता है तो अपनी रक्षा के लिए अपने आस-पास कुछ झाड़ियां लगा लेते हैं ताकि शत्रु को उसके ठिकानों का पता न चले। वह अपने पास गोला-बारूद भरा बाक्स भी रखता है। उसके आस-पास बड़ी-बड़ी तो और बन्दकें भी होती है। वह धीरे-धीरे उसके मुख से यही शब्द निकलते हैं :

वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्।

इस प्रकार वह दुश्मनों तक पहुंच कर उनको नष्ट कर देता है और अपने देश को बचा लेता है। युद्ध समाप्ति के बाद सैनिकों को राष्ट्रपति द्वारा शौर्य-पुरस्कार दिए जाते हैं। इससे उनका और देश का मान बढ़ता है। ऐसे समय में सैनिक की माताओं का हृदय गद् गद् हो जाता है। उनके हृदय में खुशी की लहर दौड़ जाती है और सिर गौरव से ऊँचा हो उठता है।

हम भारतवासी अपने देश के सैनिक पर मान करते हैं, उन्हें नमस्कार करते हैं। जो देश के लिए शहीद हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि भारतीय सैनिक देश की रक्षा करते हुए युगों-युगों तक जीवित रहें।

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