Hindi Essay on “Bharat ke Rashtriya Parv”, “भारत के राष्ट्रीय पर्व” Complete Paragraph, Nibandh for Students
भारत के राष्ट्रीय पर्व
Bharat ke Rashtriya Parv
संकेत बिंदु –पर्व और उनके अनेक रूप, जातीय, सामाजिक, राष्ट्रीय – राष्ट्रीय पर्व–उनके मनाने के ढंग –इन पर्वो का संदेश
“उत्सवप्रियाः मानवा:” अर्थात् मानव उत्सव प्रिय होते हैं। इसका कारण यह है कि उत्सवों अर्थात् पर्वो से हमारे जीवन में नीरसता दूर होती है तथा रोचकता एवं आनंद की वृद्धि होती है। पर्यों से हमें नई प्रेरणा प्राप्त होती है। कुछ पर्व विशेष जाति और धर्म को मानने वाले लोगों के होते हैं। जैसे होली, दीपावली, दशहरा, गुरुपर्व, ईद, क्रिसमस आदि। कुछ पर्व ऐसे होते हैं जिनका संबंध केवल एक जाति या धर्म के मानने वालों से न होकर समस्त राष्ट्र से होता है। ऐसे पर्व राष्ट्रीय पर्व कहलाते हैं। ये पर्व संपूर्ण राष्ट्र में सोत्साह मनाए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस गणतंत्र दिवस एवं महात्मा गाँधी का जन्म दिवस (गाँधी जयंती) ऐसे ही राष्ट्रीय पर्व है। हमारे देश में स्वतंत्रता दिवस प्रति वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है। इसे स्वाधीनता विवस भी कहा जाता है। इसी दिन 1947 में हमारा देश अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुआ था। इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए भारतवासियों को गांधी जी के नेतत्व में एक लंबा अहिंसात्मक आंदोलन करना पड़ा था। इसमें उन्हें जेल की कठोर यातनाएँ भी सहनी पड़ी थीं। इस दिन संपूर्ण देश में स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास एवं धमधाम से मनाया जाता है। इस दिन हम शहीदों के अमर बलिदान को स्मरण करते हुए राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता की प्रतिज्ञा लेते हैं। गणतंत्र दिवस प्रति वर्ष 26 जनवरी को सारे देश में मनाया जाता है। 26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। इस तिथि का एक अन्य और ऐतिहासिक महत्त्व भी है। 26 जनवरी, 1930 को रावी नदी के तट पर लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में ‘पूर्ण स्वराज्य’ का प्रस्ताव पारित किया गया। 26 जनवरी को सारे देश में विशेष समारोह आयोजित किए जाते हैं। राज्यों की राजधानियों में विशेष परेड होती है। देश की राजधानी दिल्ली में विशेष सजधज के साथ एक विशाल परेड निकाली जाती है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्मदिन प्रति वर्ष 2 अक्तूबर को ‘गाँधी जयंती’ के रूप में समस्त देश में मनाया जाता है। गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को पोरबंदर में हुआ था। गाँधी जी ने अपनी वकालत छोड़कर देश सेवा में सारा जीवन अर्पित कर दिया। उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य को विवश कर दिया कि भारत से अपना बोरिया बिस्तर बाँधकर चला जाए। गाँधी जी ने सामाजिक जागृति लाने के भी भरपूर प्रयास किए। कृतज्ञ राष्ट्र उनका जन्मदिन समारोहपूर्वक मनाता है। ये राष्ट्रीय पर्व हमारे अंदर राष्ट्रीय चेतना का विकास करते हैं।