Ek Adarsh Shikshak “एक आदर्श शिक्षक” Hindi Essay 500 Words for Class 10, 12.
एक आदर्श शिक्षक
Ek Adarsh Shikshak
प्राचीन काल से ही शिक्षकों को राष्ट्रनिर्माता के रूप में सम्मान दिया जाता रहा है। यूनान में प्लेटो और अरस्तू, भारत में वशिष्ठ और विश्वामित्र को राजाओं और राजकुमारों के बाद स्थान दिया जाता था। आधुनिक समय में भी हमारे पास डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. जाकिर हुसैन एवं प्रोफेसर यशपाल जैसे शिक्षक विद्यमान रहे हैं। जिन्होंने अपने अगाध ज्ञान से सिर्फ भारतीयों को ही नहीं विदेशियों को भी लाभान्वित किया है। शिष्यों के लिए उनके शब्द कानून जैसे होते थे। किन्तु यह अवश्य ही स्मरणीय है कि वे आदर्श पुरुष, विवेकपूर्ण और धर्मात्मा थे, जो अपनी जिन्दगी भर दूसरों की भलाई के बारे में हमेशा सोचा करते थे ।
शिक्षक पृथ्वी के लवण होते हैं। जब शिक्षक निर्बल या भ्रष्ट हो जाता है तो समाज का पूर्ण रूप से पतन हो जाता है। वे समाज के अन्धकार को दूर करने वाले चिराग हैं, वे भटकते हुए जहाज को खतरनाक चट्टानों से दूर रखने वाले प्रकाश-स्तम्भ के समान हैं।
एक आदर्श शिक्षक अपने विषय का विद्वान होता है। वह अपना दिन शिक्षा के व्यवसाय में गुजारता है। वह अपने विषय की नवीन जानकारियों और अनुसन्धानों के लिए हमेशा भूखा होता है। वह उन पत्र और पत्रिकाओं को पढ़ता है, जो उसे नवीनतम जानकारियाँ प्रदान करती हैं। उसके लिए पुस्तकालय एक मन्दिर के समान होता है।
एक आदर्श शिक्षक को अपने शिष्यों को कठिन विषय को सरल बनाकर पढ़ाने की कला आती है। वह अपने शिष्यों की कठिनाइयों को समझता है और अपनी सहानुभूति और यहाँ तक कि अपनी अनुकम्पा से उसे कम करने की कोशिश करता है।
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि जब कोई शिक्षक अपने छात्रों को पढ़ाने का कष्ट उठाता है, तो छात्र भी शिक्षक को प्यार और सम्मान देता है।
एक आदर्श शिक्षक नियमित और समय का पाबन्द होता है। एक जर्मन शिक्षक इमानुएल कांट के बारे में कहा जाता है कि लोग उसकी दैनिन्दनी से अपनी घड़ी को मिलाया करते थे। आदर्श शिक्षक को यह पता होता है कि अगर वह एक मिनट भी देर से पहुँचा तो राष्ट्र को उतने मिनट का नुकसान होगा जितने छात्र उसके अधीन हैं। क्योंकि छात्र अधीन हैं। “समय धन है,” यह कहावत हमेशा उसके मस्तिष्क में विद्यमान होती है।
एक आदर्श शिक्षक हमेशा न्यायसंगत और निष्पक्ष होता है। उसकी नजर में सभी छात्र बराबर होते हैं। छात्रों के लिए शिक्षक पिता तुल्य होता है। यदि कोई शिक्षक किसी छात्र की अमीरी और सामाजिक स्तर के कारण उनका पक्ष ले तो वह अपने कर्तव्य में असफल होता है। एक आदर्श शिक्षक अपने छात्रों को, चाहे वह कृष्ण हो या सुदामा, बराबर स्थान देता है। अपनी आदतों में भी एक आदर्श शिक्षक सामान्य होता है। उसके पास जिन्दगी की चमक-दमक और वैभव के लिए समय नहीं होता है, क्योंकि यह खाली दिमाग का अलंकार है। अगर उसके पास अतिरिक्त धन हो तो असाधारण और सजावट के सामान के बजाए वह इसे पुस्तकों और पत्रिकाओं पर खर्च करेगा।
एक आदर्श शिक्षक के बारे में इतना कुछ कहने के बाद इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि आदर्श शिक्षक एक दुर्लभ देवता है और सभी आदर्श अलभ्य होते हैं।