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Dikhawati Mitra “दिखावटी मित्र” Hindi Essay 600 Words for Class 10, 12.

दिखावटी मित्र

Dikhawati Mitra

बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें आप अपना परिचित कहते हैं। ऐसे लोग भी होते हैं जिनके सम्पर्क में आप होते हैं, इसलिए नहीं कि आप के अन्तरंग व्यक्तिगत सम्पर्क में होते हैं या सम्बन्धी होते हैं बल्कि केवल इसलिए कि उनमें से किसी एक ने कभी रेलगाड़ी के एक ही डिब्बे में आपके साथ यात्रा की होती है या कोई अन्य आपका पड़ोसी है अथवा कोई और आप का सहपाठी था। इन लोगों के साथ न तो आपकी अधिक घनिष्ठता होती है न ही आप उनके सामने अपनी गोपनीय बातें प्रकट कर सकते हैं। बहुत थोड़े ही ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें आप अपने सच्चे मित्र कह सकते हैं। यही वे लोग होते हैं जो सुख-दुखः में आपका साथ देते हैं। वे आपके लिए सब कुछ त्याग करने के लिए तत्पर रहते हैं।

आपके मित्रों में आपको कई बार ऐसा व्यक्ति भी मिल जायेगा जो तब तक आपके प्रति निष्ठावान रहेगा जब तक आपके पास पैसा है। वह आपसे तब तक स्नेह रखेगा जब तक आप उस पर पानी की तरह पैसा बहाने की मूर्खता करते रहेंगे। जब कभी आप कष्ट में होंगे, जब कभी भी आपको आवश्यकता पड़ेगी तो वह कोई न कोई झूठा बहाना बना कर आप से मुँह मोड़ लेगा और आपसे बातचीत ही करना बन्द कर देगा। आप उसे दिखावटी मित्र अथवा, यदि आप किसी कहावत का प्रयोग करना चाहते हैं तो, सुख का साथी कह सकते हैं। ऐसे मित्रों के लिए ही किसी विद्वान के विचार हैं कि हे भगवान मुझे अपने मित्रों से बचाओ दुश्मनों से तो मैं स्वयं निपट लूंगा। ऐसे तथाकथित मित्र आपकी असफलता पर घड़ियाली आँसू बहाते हैं। आपके प्रति उसका स्नेह घटिया और स्वार्थपूर्ण होता है। जब तक आपके पास उसे देने के लिए पैसा है तब तक वह बड़े से बड़े आडम्बरपूर्ण शब्दों में आपके प्रति स्नेह प्रकट करता रहेगा। वह चिकनी-चुपड़ी बातों से आपकी चापलूसी करता रहेगा। जब तक आपके घर में खुशहाली है तब तक वह आपकी प्रशंसा करेगा, आपकी सेवा करेगा और आपकी स्तुति में मधुर गीत गाता रहेगा।

मार्कट्वेन का विचार है कि मित्रता मीठा, स्थिर, निष्ठावान तथा चरित्रवान होता है यह जीवन भर के लिए चल सकता है अगर इसमें धन की देनदारी न हो।

यह स्पष्ट है कि ऐसा दिखावटी मित्र सदा आपके साथ नहीं रहेगा। वह आपके प्रति दिखावटी उत्साहपूर्ण रुचि प्रकट करेगा। परन्तु यदि उसे कोई धनवान व्यक्ति मिल गया तो वह आपसे तत्काल पीछा छुड़ा लेगा और उसकी ओर आकृष्ट हो जायेगा। ऐसे व्यक्ति परिवर्तनशील होते हैं और स्वभाव से ही किसी के साथ आजीवन मित्रता बनाये रखने के अयोग्य होते हैं।

हमें सुख के साथी ऐसे मित्रों से सदा सावधान रहना चाहिए, और उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए। वह मुसीबत के समय हमेशा आपको छोड़ जायेगा और जरूरत पड़ने पर आपका साथ कभी नहीं देगा। याद रखें, “मित्र वास्तव में वही है जो दुःख में साथ दे।”

हमें अपने मित्रों का चुनाव करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि हमारे जीवन की सुख-शांति मित्रों के हमारे विवेकपूर्ण चुनाव पर निर्भर करती है। यदि हमने किसी बुरे या झूठे मित्र का चुनाव कर लिया तो वह निश्चित रूप से हमें नीचे गिरायेगा। इस मामले में आपको संयोग पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। यह एक सामान्य शिष्टाचार है कि आप जिस किसी के भी सम्पर्क में आयें उसका सम्मान करें परन्तु उन्हें अन्तरंग मित्र बना लेना, एक भिन्न बात है। उस व्यक्ति के साथ घनिष्ठता नहीं बढ़ा लेनी चाहिए जो उस व्यवसाय में हैं, जिसमें आप हैं अथवा जो रेल के उसी डिब्बे में जा रहा हो जिसमें आप यात्रा कर रहे हों।

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