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Dhantu Ka Sparsh, “धातु का स्पर्श” Hindi motivational moral story of “Dayananda Saraswati” for students of Class 8, 9, 10, 12.
धातु का स्पर्श
Dhantu Ka Sparsh
एक दिन स्वामी दयानन्द थालो में भोजन कर रहे थे, तभी एक संन्यासी ने छिपे व्यंग्य के स्वर में स्वामी जी से कहा, ‘महाराज धातुओं का स्पर्श संन्यासियों के लिए वर्जित है, आप थाली में भोजन कर रहे हैं ?’
स्वामी जी चुपचाप भोजन करते रहे। भोजनोपरांत उन्होंने सहज-सरल भाव से कहा,
“यह सिर तो सम्भवत आपने जूते से मुंड़वाया होगा? धातु का स्पर्श कैसा हो सकता था, आपके लिए वर्जित है न ?”