Home » Archive by category "Languages" (Page 265)

English Essay on “Educational Possibilities in India” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Educational Possibilities in India The education system in India is not up to the mark. She occupies a low position among the countries rated on the education for All Index by UNESCO, although some serious efforts are now being made to improve the education system in India. According to the statistics issued by UNESCO, education is not evolving in India. In the modern world, knowledge is doubling every three years. If...
Continue reading »

Hindi Samvad Writing on “Do Ajnabiyo ke Beech Chunav par Samvad”, “दो अजनबियों के बीच चुनावी संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

पार्क में मिले दो अजनबियों के बीच चुनावी सरगर्मियों पर बातचीत मनीष – क्या ठंडी हवा है। यहाँ आकर तन-मन तरोताजा हो जाते हैं। संजय- यहाँ ठंडी हवा और देश में गरम हवा। इस बार का मतदान आर-पार की लड़ाई बन चुका है। मनीष – सभी दल एक दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हैं। बाल की खाल निकालना तो कोई इन नेताओं से सीखे। मनीष – बड़ी-बड़ी बातें और छोटे...
Continue reading »

Hindi Samvad Writing on “Badal aur Vriksh ke beech Samvad”, “बादल और वृक्ष के बीच संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

बादल और वृक्ष के बीच संवाद वृक्ष – स्वागत है मित्र तुम्हारा ! तुम्हारी प्रतीक्षा में देखो मैं सूखकर काँटा हो गया हूँ। बादल – वाह ! बातें बनाना खूब आता है तुम्हें ! इस बार आने में देर हो गई, क्षमा चाहता हूँ। वृक्ष – क्षमा तुम्हें नहीं, इंसान को मॉगनी चाहिए। जिसने प्रकृति के चक्र को तहस-नहस कर डाला है। विकास के नाम पर वातावरण को गरम कर दिया...
Continue reading »

Hindi Samvad Writing on “Chatra aur Uske Pita ke beech Samvad”, “छात्र और उसके पिता के बीच संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

पूरीक्षा में नकल करते पकड़े गए छात्र नकल एवं उसके पिता के बीच संवाद पिता- आज तुमने मेरा सिर शर्म से झुका दिया। क्या यही संस्कार दिए हैं हमने तुम्हें ? नकुल- मास्टर जी ने कहा और आपने उसे सच मान लिया? मैं नहीं श्रीश नकल कर रहा था ? नकुल – मुझे बेवकूफ़ बनाने की कोशिश मत करो। पकड़ी गई पर्चियों पर तुम्हारा लेख मैं पहचान गया था। नकुल- आपको...
Continue reading »

Hindi Samvad Writing on “Ghar ki Naukaraniyo ke beech Samvad”, “घर की नौकरानियों के बीच संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

घर में काम करने वाली दो परिचारिकाओं के बातचीत दीपा- आज तो बहुत थक गई। गुप्ता जी के घर मेहमान आए थे। बरतन साफ़ करते-करते कंधे दुख गए। रीटा- खाने को माल भी तो मिला होगा ? ईनाम के पैसे अलग से ? क्या बात करती है ? दीपा- पहले दर्जे की कंजूस है। बचा हुआ सारा खाना फ्रिज में रख दिया। एक टुकड़ा मिठाई तक का नहीं दिया, पैसे देना...
Continue reading »

Hindi Samvad Writing on “Naukarani aur Malkin ke beech Samvad”, “नौकरानी और मालकिन के बीच संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

घर में काम करने वाली परिचारिका कमला और मालकिन प्रमिला के बीच वेतन वृद्धि को लेकर संवाद कमला – माँ जी, अगले महीने से पगार 200 रुपए बढ़ा दो नहीं तो दूसरी कामवाली ढूँढ़ लो। प्रमिला – पैसे पेड पर नहीं उगते। एकदम 200 रु० ? 100-50 कहे तो बढ़ा दूंगी। कमला – मँहगाई का हाल तो देखो। कमरे का किराया 100 रुपए बढ़ गया। आटा-चावल सब्जी सब कितने महँगे हो...
Continue reading »

Hindi Samvad Writing on “Dadi aur Poti ke beech Samvad”, “दादी और पोती के बीच संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

दादी और प्रगतिशील विचारों वाली पोती नेहा के बीच संवाद दादी- अरी नेहा, सुबह-सुबह कहाँ जा रही है ? नेहा- आपको बताया तो था, आज स्कूल से हमें ‘हरिजन बस्ती’ ले जा रहे हैं। वहाँ हम औरतों को घर-बाहर और स्वयं की साफ़-सफ़ाई की बातें बताएँगे। कंम्प्यूटर द्वारा वहाँ के स्कूली बच्चों का अपने बच्चों से संपर्क करवाएँगे। दादी – ऐं! तुम क्यों जाओगी इतनी गर्मी में। धूल-धक्कड़ भरी बस्ती में...
Continue reading »

Hindi Samvad Writing on “Hare-Bhare Vriksh aur Kaat diye gye vriksh ke beech Samvad”, “हरे भरे वृक्ष और काट दिए वृक्ष के बीच संवाद” Complete Samvad

हरे भरे वृक्ष और काट दिए वृक्ष के बीच संवाद हरा वृक्ष – क्या हाल बना दिया तुम्हारा इन इंसानों ने ? कटा वृक्ष – इंसान ? उन्हें इंसान कहेंगे तो ‘इंसानियत’ की परिभाषा बदलनी पड़ेगी। हरा वृक्ष – सच कहा तुमने ? कैसे हरे-भरे थे तुम कल तक! पक्षी तुम्हारी डाल से मेरी डाल पर फुदक-फुदक कर कैसे खेलते थे। वह बेचारी चिड़िया कितना रोई जिसका नीड़ उजड़ गया, अंडे...
Continue reading »