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Archive by category "Languages" (Page 130)
मानव जीवन में धर्म Manav Jeevan mein Dharam धर्म का स्वरूप धर्म और राजनीति धर्म और विज्ञान धर्म की परिभाषा है-धैर्य, क्षमा, पवित्रता, आत्मसंयम, सत्य, अक्रोध आदि सद्गुणों को धारण करना ही वास्तविक धर्म है। धर्म का उद्देश्य लोक कल्याण है। आज धर्म और राजनीति मिलकर धर्म के वास्तविक स्वरूप के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। धर्म के कटरवादी स्वरूप का प्रचार-प्रसार हो रहा है। पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर आतंकवाद...
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November 28, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पर्यटन के लाभ Paryatan ke Labh पर्यटन का अर्थ पर्यटन के लाभ पर्यटन के भिन्न-भिन्न साधन बीसवीं शताब्दी में पर्यटन का स्वरूप देशाटन का ही दूसरा नाम पर्यटन है। इसे यात्रा भी कहते हैं। पर्यटन से अनेक लाभ हैं। इससे मनुष्य का अनुभव बढ़ता है और वह कूपमंडूक नहीं रहता। मनुष्य विभिन्न वस्तुओं-स्थानों, जीव-जन्तुओं और मनुष्यों को अपनी आँखों से (प्रत्यक्ष) देखकर अपने ज्ञान-विज्ञान में महती वृद्धि करता है। देशाटन करते...
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November 28, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
समाचार-पत्र के लाभ Samachar Patra Ke Labh ज्ञान में वृद्धि व्यापार के साधन सच्चा आलोचक मानव और समाज में चोली-दामन का संबंध है। दोनों शब्द एक-दूसरे के पूरक हैं। सामाजिक जीव होने के कारण वह चाहता है कि अपने विचार लोगों तक पहुँचाए, वह दूसरों के विचारों से भी अवगत होना चाहता है। उसकी इस इच्छा की पूर्ति होती है समाचार पत्रों से। समाचार पत्रों के माध्यम दवारा वह समस्त विश्व...
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November 28, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कलम और तलवार Kalam aur Talwar कलम और तलवार की तुलना कलम व तलवार की उपयोगिता कलम का उच्च स्थान कलम और तलवार विश्व की महान शक्तियों में से है। इस परमाणु युग में भी इनके कार्य प्रशंसनीय हैं। इन दोनों में ऊपरी दृष्टि से तो तलवार ही अधिक शक्तिशाली प्रतीत होती है, किंतु दोनों की तुलना करने से ही इनकी वास्तविकता का सच्चा ज्ञान हो सकता है। तलवार की प्रसिद्धी...
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November 28, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पुस्तकालय एवं उसके लाभ Library evm uske labh ज्ञान-पिपासा को शांत करने का साधन पुस्तकालय के प्रकार पुस्तकालय के लाभ पुस्तकालय का महत्त्व प्राचीन काल में पुस्तकें हस्तलिखित होती थी, एक व्यक्ति के लिए विविध विषयों पर अनेक पुस्तकें उपलब्ध करना बड़ा कठिन था। परंतु आज के मशीनी युग में भी, जबकि पुस्तकों का मूल्य प्राचीन काल की तुलना में बहुत ही कम है, एक व्यक्ति अपनी ज्ञान-पिपासा की तृप्ति के...
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November 28, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साहित्य समाज का दर्पण है Sahitya Samaj ka Darpan hai समाज व साहित्य का संबंध भारतीय साहित्य निष्कर्ष साहित्यकार समाज का चितेरा होता है। वह उसकी भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान करता है। साहित्य समाज का दर्पण इसलिए है क्योंकि किसी समाज को जानने-समझने के लिए उसके साहित्य को पढ़ लेना पर्याप्त समाज में अच्छा-बुरा जो भी घटित होता है, साहित्यकार उसे अभिव्यक्ति देता है। इसके साथ ही साहित्य में हम जातीय...
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November 28, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
राजनीति और मानव-समाज Rajniti aur Manav Samaj छल-छद्म का पर्याय राजनीति समस्याओं की जननी निष्कर्ष राजनीति एक ऐसा खेल है जिसने समूचे मानव समाज को प्रभावित तथा दूषित किया है। आज जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जहाँ राजनीति ने छल-छद्म का जाल न बिछाया हो। राजनीति भाई-भाई के बीच घृणा के बीज बोती है, धर्म के नाम पर मनुष्य को भ्रमित कर देती है तथा समाज को खंडित...
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November 28, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
परीक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता Pariksha Pranali me Sudhar ki Avyashayakta परीक्षा की उपादेयता सुधार की आवश्यकता निष्कर्ष । पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तकों को अच्छी तरह पढ़कर अच्छे अंकों में परीक्षा पास कर लेने से किसी व्यक्ति की योग्यता की सही जाँच नहीं हो सकती। परीक्षाओं में सदैव प्रथम स्थान प्राप्त करने वाला व्यक्ति अनेक बार जीवन की दौड़ में पिछड़ जाता है। स्कूली परीक्षाएँ तो केवल इस तथ्य...
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November 28, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment