Home »
Languages »
Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 8)
अन्योक्ति अलंकार Anyokti Alankar लक्ष्य कोई और हो, और चले कोई बात । अन्योक्ति अलंकार तभी, कविता में कहलात। अन्योक्ति का अर्थ है – अन्य उक्ति। अर्थात् अप्रस्तुत कथन के द्वारा प्रस्तुत का बोध कराना। जब किसी वस्तु या व्यक्ति को सम्बोधित करके कोई बात कही जाती है, परन्तु वास्तविक लक्ष्य कोई अन्य व्यक्ति होता है, तो ऐसी उक्ति को अन्योक्ति कहा जाता है। स्वारथ, सुकृत न, श्रम वृथा; देखु बिहंग!...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अतिशयोक्ति अलंकार Atishyokti Alankar अतिशयोक्ति का सन्धि विच्छेद करने पर दो पद प्राप्त होते हैं – अतिशय + उक्ति अर्थात् बढ़ाचढ़ाकर बातें करना। जब लोक सीमा का अतिक्रमण करके किसी वस्तु या विषय का वर्णन किया जाय, जिससे वह वर्णन अधिक प्रभावशाली और चमत्कारपूर्ण बन जाय, तो उस उक्ति को अतिशयोक्ति (बढ़ा-चढ़ाकर जो कि वास्तव में असम्भव हो) कहते हैं। इसमें लोक मर्यादा का उल्लंघन होता है। जैसे- यह शर इधर...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
उत्प्रेक्षा अलंकार Utpreksha Alankar उत्प्रेक्षा का अर्थ है – सम्भावना या कल्पना। जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त किये जाने से चमत्कार प्रकट हो, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। संभावना का भाव प्रकट करने के लिये जनु, मनु, मानो आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार में एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार के वाचक शब्द हैं- मानो, मनु, मनहुँ, जानो,...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रूपक अलंकार Rupak Alankar जब उपमेय में उपमान का आरोप किया जाय, तो रूपक अलंकार होता है। उपमान का आरोप करने का अर्थ यह है कि उपमेय के रूप में उपमान स्वयं उपस्थित हो। इस प्रकार उपमेय (जो कि वास्तव में उपमान से कुछ हीन ही होता है) को इतना बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है, मानो उसने उपमान के सब गुण- रूप-कर्म स्वयं प्राप्त कर लिये हैं। सामान्य भाषा में अनेक रूपक...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
उपमा अलंकार Upma Alankar उपमा का अर्थ है (उप + मा – उप-समीप, मा-तौलना) समीप से तौलना । उपमा का सामान्य अर्थ है तुलना करना। परिभाषा – जब काव्य में एक व्यक्ति या वस्तु की गुणों के आधार पर किसी दूसरे व्यक्ति अथवा वस्तु से तुलना की जाये, तो वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। उदाहरण – राधा मुख चंद्र सौ सुंदर । यहाँ पर सुंदरता के गुण के आधार पर...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अर्थालंकार Arth Alankar जहाँ काव्य में अर्थ के कारण काव्य के सौंदर्य में अभिवृद्धि हो, उसे अर्थालंकार कहते हैं। शब्दालंकार में शब्दों के कारण काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है और अर्थालंकार में अर्थ के कारण। शब्दालंकार में यदि चमत्कार लाने वाले शब्दों के स्थान पर उनके पर्यायवाची शब्द रख दिये जावें, तो चमत्कार नष्ट हो जावेगा, किन्तु अर्थालंकार में जिन शब्दों के माध्यम से अर्थ में चमत्कारिकता आती है, उन...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
वक्रोक्ति अलंकार Vakrokti Alankar वक्रोक्ति अलंकार तब होता है, जब वक्ता कुछ कहे और सुनने वाला जानबूझकर उसका अन्य अर्थ समझे। इसमे स्वर द्वारा भी अर्थ में विचित्रता उत्पन्न की जाती है। इस आधार पर इसके दो भेद हैं – श्लेष वक्रोक्ति और काकु वक्रोक्ति। श्लेष वक्रोक्ति – जहाँ पर शब्द के अर्थ का दूसरा अर्थ लगाकर व्यंग या हास्य उत्पन्न किया जावे, वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है। जैसे- ‘को...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
श्लेष अलंकार Salesh Alankar एक ही शब्द में छुपे रहें, कई-कई उनके अर्थ । चिपका हुआ श्लेष है, और नहीं कोई शर्त | श्लेष शब्द का अर्थ है – चिपका हुआ। परिभाषा – जब काव्य में किसी एक शब्द का इस तरह प्रयोग किया जाये कि उसमें अनेक अर्थ हुए हों, तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है। जैसे – सुबरन को खोजत फिरैं, कवि व्याभिचारी चोर। यहाँ पर सुबरन का अर्थ...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
Page 8 of 325« Prev
1
…
5
6
7
8
9
10
11
…
325
Next »