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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 65)
वृक्षारोपण Vriksharopan वृक्ष मानव-मित्र हैं। वे मानव को दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों तापों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथ और आज का विज्ञान दोनों वृक्षों की महिमा का भरपूर गुणगान करते हैं। हमारे धर्मग्रंथ तो वृक्षों को देवतुल्य समझते हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- “मैं पीपल हूं।” यह भी ज्ञातव्य है कि पीपल वृक्ष के नीचे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।...
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May 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
वन-महोत्सव Van-Mohotsav वनों की बेरहमी से कटाई के परिणामस्वरूप यह धरती भविष्य में जलहीन और छायाहीन मरुभूमि में बदल जाएगा, जिससे मनुष्य के अस्तित्त्व के लिए संकट उत्पन्न हो जाएगा। वस्तुतः वनों की कटाई आत्महत्या के समान है। वर्तमान समय में वन-महोत्सव द्वारा वन-संरक्षण की योजना इसी कठिन सत्य की अनुभूति का परिणाम है। मरुभूमि के प्रसार का प्रतिरोध अरण्य-सृजन द्वारा ही हो सकता है। राजस्थान के रेगिस्तान का विस्तार अवरोध...
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May 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारतीय समाज में नारी का स्थान Bharatiya Samaj mein Nari ka Sthan भारतीय संस्कृति का इतिहास साक्षी है कि भारतीयों ने नारी जाति को हमेशा सामाजिक प्रतिष्ठान एवं सर्वोच्च स्थान प्रदान किए हैं। वैदिक युग में नारी सामाजिक अhथना की पात्रा थी। प्रकृति स्वरूपा नारी को परमेश्वर की शक्ति के रूप में स्थान दिया गया है। विद्या, विभूति एवं व्यक्ति को क्रमशः सरस्वती, लक्ष्मी एवं दुर्गा के रूप में उपास्थ माना...
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May 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रोबोट के लाभ Robot ke Labh ‘रोबोट’ को मनुष्य ने अपना ही विकल्प तैयार किया है। रोबोट यंत्र मानव है, जो मानव की भांति ही कार्य करता है। यह मानव का सबसे बड़ा आज्ञाकारी है। इसी आश्चर्यजनक यंत्र मानव का नाम ‘रोबोट’ है। ‘रोबोट’ शब्द चेक शब्द रोबट से व्युत्पन्न हुआ है। सर्वप्रथम दास की ‘क्रीतदास’ अर्थ में इसका प्रयोग हुआ है। चेक नाट्यकार काटल कायेक ने इस शब्द का इस्तेमाल...
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May 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कुटीर उद्योग का महत्त्व Kutir Udyog ka Mahatva वैसे छोटे-बड़े उद्योग-धंधे, जिनमें मशीन और पूंजी की प्रधानता न होकर नाम की प्रधानता होती है-कुटीर उद्योग कहलाता है। इसके लिए बड़ी पूंजी बड़े भूखंड एवं बड़े बाजार की आवश्यकता नहीं होती है, एक परिवार या पास-पड़ोस के लोग भी मिलकर इसे घर में ही चला सकते हैं। किसी देश की आर्थिक संपन्नता और खुशहाली में कुटीर उद्योगों का विशेष योगदान रहता है।...
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May 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
राष्ट्रीयकरण Rashtriyakaran बदलती हुई परिस्थितियों के साथ मानवीय विचारों में भी परिवर्तन होता रहता है। एक युग था जब देश की शक्ति छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त थी और जो स्वयं में अपने आपके पूरक थे, उनकी अपनी-अपनी एकक शासन-व्यवस्था थी। लेकिन आज हम स्वतंत्र हैं। भारत पुनः एक अटूट सूत्र से जुट चुका है, उसकी शक्ति अखंड है। अतः वैयक्तिक शासन या अधिकार की बात करना उसकी अखंडता को तोड़ना है।...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत का राष्ट्रीय ध्वज Bharat ka Rashtriya Dhwaj प्रत्येक राष्ट्र का अपना झंडा होता है, जिसे राष्ट्रीय झंडा कहते हैं। राष्ट्रीय झंडा प्रत्येक राष्ट्र की शान है। राष्ट्रीय झंडा झुकने का अर्थ है राष्ट्र की पराजय। अतः राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्र के सर को झुकने न दे। चाहे कितनी भी कुर्बानियां देनी पड़े। भारत 15 अगस्त, 1947 ई. को आजाद हुआ, अतः स्वतंत्र भारत के...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह Bharat ka Rasthriya Chinh प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक राष्ट्रीय चिन्ह होता है, जिसका प्रयोग उस राष्ट्र के प्रत्येक राजकीय कार्यों में किया जाता है। यही चिन्ह राष्ट्रीय पहचान होता है। जैसे विट्रेन का गुलाब का फूल, जापान का गुलदाउदी, पाकिस्तान का चांद तारा, नेपाल का खुखरी, अमेरिका का गोल्डेन रॉड, रूस का हंसिया हथौड़ा राष्ट्रीय चिन्ह हैं। ठीक इसी प्रकार अशोक चक्र भारत का राष्ट्रीय...
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