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Isme hi hamara bhala hai, “इसमें ही हमारा भला है” Hindi motivational moral story of “Dayananda Saraswati” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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इसमें ही हमारा भला है Isme hi hamara bhala hai पूना में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के उपदेशों को सुनकर काफी लोग भक्त बन गये। स्वामी जी के बढ़ते प्रभाव को देखकर कुछ लोगों ने उनकी निन्दा शुरू कर दी। एक दिन भक्तों ने स्वामी जी से शिकायत की कि आपके विरोधी आप को गालियाँ देते हैं। “अच्छा है मुझे गालियां देने से विरोधियों का पेट खाली हो जायेगा, फिर अच्छा...
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Swadhinta Hi Suraksha, “स्वाधीनता ही सुरक्षा” Hindi motivational moral story of “Dayananda Saraswati” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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स्वाधीनता ही सुरक्षा Swadhinta Hi Suraksha जनवरी 1873 की बात है। तत्कालीन वायसराय लार्ड नाथ ब्रुक ने आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती को विशेष बातचीत के लिए कलकत्ता आमंत्रित किया। जब स्वामी जी वहां पहुंचे तो वायसराय ने कहा-“आपके अन्ध-विश्वास विरोधी व्याख्यानों को सुनकर काफी प्रसन्नता होती है। यदि आपको कट्टरपंथी लोगों से कोई खतरा दिखाई देता हो तो स्पष्ट कहिए। शासन आपकी सुरक्षा की व्यवस्था कर सकता है।”...
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Upar Baithna, “ऊपर बैठना” Hindi motivational moral story of “Dayananda Saraswati” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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ऊपर बैठना Upar Baithna  आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने बुद्धि, बल और वैदिक ज्ञान से अपने समय के कई पंडितों और विद्वानों को शास्त्रार्थ में पराजित कर दिया था। स्वामी जी वेदों के पंडित होने के साथ ही विनोदप्रिय भी थे। उनके विनोद अशिष्ट न होकर शिक्षाप्रद होते थे। एक बार अलीगढ़ में एक पंडित शास्त्रार्थ के लिए आया किन्तु वह स्वामी जी से ऊँचे चबूतरे पर...
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Paduka Puraan, “पादुका पुराण” Hindi motivational moral story of “Sarat Chandra” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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पादुका पुराण Paduka Puraan बंग्ला के प्रसिद्ध उपन्यासकार शरत चन्द्र किसी साहित्यिक समारोह में जा रहे थे। कहीं जूते चोरी न हो जायें, इस डर से उन्होंने द्वार पर आते ही अखबार में जूते लपेटकर बगल में दबा लिये। इस विषय की जानकारी किसी प्रकार रवीन्द्रनाथ ठाकुर को हो गई। शरत् बाबू जैसे ही मंच पर आये कि रवि बाबू ने पूछा, “बगल में क्या दबा रखा है ?” “एक बहुमूल्य...
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Naam-Nath, “नाम-कथा” Hindi motivational moral story of “Sukumar” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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नाम-कथा Naam-Nath यशस्वी बंग्ला कथाकार सुकुमार ने प्रसिद्ध हिन्दी कवि विरेन्द्र मिश्र को छेड़ते हुए कहा, “प्राचीन काल में जो वेद पढ़ने वाले ब्राह्मण थे, उन्हें वेदी कहा गया। जैसे द्विवेदी, त्रिवेदी, चतुर्वेदी इत्यादि। जो पढ़ाते थे वे उपाध्याय, जो न पढ़ते थे और न पढ़ाते थे वे मिश्र कहलाए अर्थात् मिला-जुला कर काम चलाते थे। विरेन्द्र मिश्र भी कहाँ चूकने वाले थे, उन्होंने चटर्जी महाशय को जवाब दिया, “पहले ब्राह्मण...
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De hein to de, “दे हैं तो दे” Hindi motivational moral story of “Peary Chand Mitra” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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दे हैं तो दे De hein to de सुप्रसिद्ध बंग्ला साहित्यकार प्यारी चन्द्र मित्र बड़े मज़ाकिया थे। उनके एक घनिष्ठ मित्र देव नारायण दे के पुत्र के विवाह के सिलसिले में खर्च का हिसाब लगाया जा रहा था। प्यारे बाबू पर ही दे साहब ने खर्च की राशि निश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। प्यारी बाबू ने खूब बड़ा-चढ़ा कर सूची पेश कर दी। देव नारायण बौखला कर बोले, ‘इतने रुपये...
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Bhool Ka Dand, “भूल का दण्ड” Hindi motivational moral story of “Rabindranath Tagore” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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भूल का दण्ड Bhool Ka Dand एक बार अन्तरायण में शान्ति निकेतन के अध्यापकों की सभा थी, गुरूदेव रवीन्द्र नाथ भी उस सभा में आने वाले थे। अध्यापक खुशी में बातचीत कर रहे थे। गुरूदेव सहसा कक्ष में आए और गम्भीर भाव से कहा, “नेपाल बाबू, आजकल आप काम में बहुत भूलें करते हैं। इसके लिए आपको दण्ड लेना होगा।” गुरूदेव को उस ढंग से बातें करते देख सभी एक दूसरे...
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Kasht mere pair, “कष्ट मेरे पैर” Hindi motivational moral story of “Rabindranath Tagore” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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कष्ट मेरे पैर Kasht mere pair  गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के पैर में एक बार बिच्छू ने काट लिया था। इधर-उधर से जो सुनता दौड़ा चला आता। कई डॉक्टर भी आये लेकिन गुरूदेव शान्त भाव से मुस्करा रहे थे। वेदना का रंचमात्र भी आभास उनके चेहरे पर नहीं था। उनसे जब पूछा गया, “गुरूदेव आपको क्या कष्ट नहीं है ?” “कष्ट मेरे पैर को है, मुझे नहीं।” सहज उत्तर था।
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