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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 32)
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र Bharatendu Harishchandra अंग्रेजों के भारत आगमन से ही जैसे हिन्दी भाषा और साहित्य का पतन प्रारम्भ हो गया था। दीन भारतीय पेट की खातिर अंग्रेजी पढ़ने लगे थे। इससे पूर्व भी उर्दू-फारसी का ही अत्यधिक प्रयोग होता था। एक नवीन भाषा के रूप का प्रयोग अंग्रेजों ने आरम्भ किया, जिसे ‘हिन्दुस्तानी’ कहा जाता था। जो न पूर्णतः उर्दू-फारसी वाला रूप था न हिन्दी का। परन्तु राज-काज हिन्दी में होने...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी का प्रभाव Hindi Bhasha par English ka Prabhav मनुष्य स्वभावतः अन्य लोगों से कुछ-न-कुछ सीखने का आकांक्षी होता है। इसके लिए वह उनकी भाषा तथा साहित्य के सम्पर्क में आता है। इस प्रकार वह जहाँ कुछ ग्रहण करता है वहाँ कुछ प्रदान भी करता है। इसके अतिरिक्त जब दो जातियां राजनीति आदि के माध्यम से परस्पर एक-दूसरे के सम्पर्क में आती हैं तब उनकी भाषा तथा साहित्य...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मेरी प्रिय पुस्तक : रामचरितमानस Meri Priya Pustak – Ramcharitmanas प्रत्येक युग में मानव हृदय अपने काव्य साहित्य में ही आत्मशान्ति के मूल को खोजता रहा है। रामचरितमानस इस मानव को आत्मशांति की अलग दुनिया में ले जाता है जहाँ शिष्टाचार, सदाचार और सद्व्यवहार को ही सर्वोपरि माना गया है। जहाँ लज्जा मनुष्य का आभूषण बन जाती है, जहाँ आत्मा में झांकने पर परमात्मा साक्षात् दिख जाते हैं। ‘स्वान्तः सुखाय तुलसी...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गोस्वामी तुलसीदास Goswami Tulstidas “कविता करके तुलसी न लसै, कविता लसी पा तुलसी की कला।” कविता रचने से तुलसीदास धन्य नहीं हुए बल्कि वह कविता धन्य हो गई जिसे अपनी लेखनी से उन्होंने रच दिया। इससे अधिक तुलसी की काव्य-कला के विषय में कुछ कहना आवश्यक नहीं हैं। तुलसी विश्व साहित्य में सर्वश्रेष्ठ रचनाकार के रूप में अपनी पहचान के मुहताज नहीं है। कवि कुल-कुमुद दिवाकर तुलसीदास हिन्दी काव्य-जगत् में...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साहित्य और समाज Sahitya aur Samaj साहित्य और समाज में अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। साहित्य किसी समाज के बीच अपना अस्तित्व रखता है। अगर दुनिया निर्जन हो जाए तो साहित्य कौन पढ़े और साहित्य का प्रभाव किस पर पड़े। यह प्रश्न विचारणीय है। साहित्य का प्रभाव अगर जन मानस पर पड़ता है तो साहित्य भी जन समूह की जीवन-पद्धति से बिना प्रभावित हुए नहीं रह सकता है। कला और विज्ञान के क्षेत्र...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बाह्य आवरण और वास्तविकता Bahri Aavaran aur Vastvikta राजकुमारी मल्लिनाथ जैनों की उन्नीसवीं तीर्थंकर मानी जाती है। सुंदर होने के साथ वह विदुषी भी थी। उसके सौंदर्य पर मुग्ध हो उससे विवाह के लिए राजकुमारों के प्रस्ताव आने लगे, किन्तु उसके पिता मिथिलानरेश कुंभा ने उन प्रस्तावों को अस्वीकृत कर दिया। इससे वे राजकुमार नाराज हो गए और उन्होंने मिथिला पर आक्रमण कर दिया। अकेला राजा उन सबका मुकाबला नहीं कर...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
करनी का फल Karni Ka Phal गुजरात की संत कवयित्री गौरीबाई की भक्ति एवं धार्मिक वृत्ति देख गिरिपुर के राजा शिवसिंह बड़े प्रभावित हुए और उन्होंने गौरीबाई के लिए एक अलग मंदिर बनवा दिया। अब वह अपना सारा समय भजन-पूजन और ध्यानावस्था में बिताने लगी। जब वह इतनी खो जाती कि बाहरी दुनिया की उसे कोई सुध ही नहीं रहती थी। कुछ लोग इसे ढोंग की संज्ञा देते। इन्हीं में से...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साईं सूँ सब होत है Sai su sab hot hai राव जगतसिंह जोधपुर के प्रथम महाराजा जसवंतसिंह के वंशज थे और रिश्ते में भक्तिमती मीराबाई के भतीजे लगते थे। बलूँदा रियासत के वे शासक भी थे। वे वैष्णव-भक्त थे और राजसी ठाट-बाट छोड़कर सदैव भगवद्भजन में लीन रहते थे। मेवाड़ में उन्होंने एक मंदिर का निर्माण भी किया था। एक बार वर्षाकाल में एक दिन भारी वर्षा हुई। चारों ओर घना...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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