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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 288)
मेरी जीवनाकांक्षा या मेरी इच्छा बुद्धिमान और इच्छा-प्रधान होने के कारण ही मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना जाता है। स्वभावत: मनुष्य मात्र इच्छा प्रधान ही नहीं, बल्कि महत्वाकांक्षी होता है। सभी की अपनी-अपनी इच्छा-आकांक्षांए रहा करती हैं। विचित्र-विशेष। सभी की तरह ही मेरी जीवकांक्षा भी बड़ी अदभुत है। अदभुत ही नहीं वह रोमांचकारी भी है। यदि मुझे छह मास की छुट्टी मिल जाए और दस-बीस हजार रुपए मिल जांए, तो...
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June 22, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत में शिक्षा का प्रसार (Bharat mein Shiksha ka Prasar) शिक्षा शब्द जिस गुरुता को प्रगट करता है उसका महत्व अपरिमेय है। शिक्षा द्वारा मानव मन और वृद्धि का स्वाभाविक विकास होता है। आज के युग में इस किसी परिभाषा विशेष में बांधने का प्रयत्न चांद-तारों तक पहुंच सके। आज शिक्षा का रूप भी कुछ अजीब और अस्पष्ट है। आध्यात्मवाद से पलायनोन्मुख या अदासीन शिक्षा-शिक्षा नहीं हो सकती। एतदर्थ आज कोई...
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June 22, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारतीय शिक्षा नीति या राष्ट्रीय शिक्षा-नीति बहुत बार सोचा, शिक्षाविदों का सोचा हुआ, पढ़ा व मनन किया, शिखा आयोगों का अध्ययन किया और उसके कटु आलोचकों की बातों को जाना, परंतु मुझे लगा कि वे सब सोच की कलाओं और सिद्धांतों में डूबे रहे, उन्होंने शिक्षा के वास्तविक संकट को नहीं पहचाना और यदि पहचाना भी हो जो उस पर ध्यान नहीं दिया, जहां तक शिक्षा व्यवस्था का ताल्लुक है, यह...
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June 21, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
पुस्तकालय के लाभ अधिकाश विद्यालयों के पुस्तकालय में पुस्तकों में दीमक लग रही है। पुस्तकों पर मनों (दुनिया भर की) पक्की धूल जमी है। ढेर की ढेर पुस्तकें प्रतिवर्ष विद्यालयों में जमा होती जा रही हैं और खासे पुस्तकालय पुस्तकों की सुख्या को दृष्टि में रखकर तैयार हो चुके हैं। अच्छे पुस्तकालय देश की प्रगति के प्रतीक हैं। जिस देश में जितने अधिक अच्छे पुस्तकालय हैं, वह देश उतना ही...
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June 21, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्वच्छ भारत अभियान या अधिकार ही कर्तव्य है ‘सडक़ें गंदी हैं नालियां रुकी हुई हैं, गंदा पानी गली-गली में फैल रहा है। बराबर चेतावनी दी जा रही है कि शहर में हैजा फैल रहा है, मलेरिया जोर पकड़ रहा है, शहर को साफ-सुथरा रखो। कटी, खुली चीजें मत खाओ। पर कौन सुनता है?’ रामअवध बराबर मन ही मन बड़बड़ा रहा था। दूरभाष पर जगह-जगह, मोहल्ले-मोहल्ले से उसे यह शिकायत सुनाई जा...
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June 20, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages4 Comments
दूरदर्शन और शिक्षा दूरदर्शन विज्ञान की एक सशक्त देन है। माध्यम के क्षेत्र में दूरदर्शन का प्रभाव निस्संदेह अत्याधिक प्रभवी सिद्ध हो रह है। भारत में भी यह माध्यम अधिक प्रभावी और सक्रिय है। माध्यम तो माध्यम मात्र है। उसकी उपयोगिता इस माध्यम से प्रस्तुत होने वाले कार्यक्रमों पर निर्भर है। समाचार-पत्र, आकाशवाणी, पत्रिकांए आदि की अपेक्षा इस माध्यम में दृश्य पक्ष प्रबल है। इससे यह महत्वपूर्ण और सशक्त भूमिका निभाने...
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June 18, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्वरोजगार या युवा स्वरोजगार योजना आज बेरोजगारी बढ़ती हुई महंगाई की तरह एक भयानक स्वस्या है। जीवन-स्तर लगभग तय हो चुका है। लोकतं9 ने आम आदमी को स्वप्नों से संबंध कियाहै, उनमें परिकल्पनाओं का स्वर्ग महाकाया और जीने की महती अकांक्षांए पैदा की है। उसके लिए रोजगार चाहिए। नई पीढ़ी तो स्वप्नों की पीढ़ी है जो बहुत कुछ करना चाहती है। उसमें जोश है, कुछ कर पाने की तमन्ना है...
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June 18, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बचत ‘बात कीजिए और सुंदर और सुरक्षित भविष्य बनाइए।’ यह नारा आज के युग का है यों तो मनुष्य शुरू से ही बचत करता आ रहा है। लेकिन पूर्व काल में की गई बचत से आज की बचत के अर्थ में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया है। भूखा या अधपेट रहकर बचत नहीं करनी है, परंतु फिजूलखर्ची पर अवश्य रोग लगानी है। आजकल तो बिजली और पानी की बचत की ओर...
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June 18, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages2 Comments