Home »
Languages »
Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 236)
दूरदर्शन के कार्यकर्मों का प्रभाव Doordarhsan ke Karyakramo ka Prabhav दूरदर्शन के कार्यक्रम का प्रसारण केबल के माध्यम से हो रहा है। केबल संस्कृति के प्रभाव के फलस्वरूप महानगरों में सुंदर दिखने की होड़ में युवा ही नहीं बल्कि अधेड़ स्त्रियाँ भी युवितियों के समान ‘प्रदर्शन की वस्तु’ बनने में विश्वास करने लगी हैं। महानगरांे के पंचतारा होटलों में आए दिन डांस पार्टियाँ आयोजित होती हैं जिनमें धनी तथा उच्च...
Continue reading »
June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
धन-संग्रह के लाभ Dhan-Sangrah ke Labh मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे अपने कार्यांे के लिए धन की आवश्यकता होती हे। कहने को तो सब कह देते हैं कि धन तुच्छ चीज़ है, धन का कोई सुख नहीं किंतु वास्तव में धन का सुख ही सच्चा सुख है। पैसे वाले का ही आदर होता है। निर्धन को कोई नहीं पूछता। धनहीन पूज्य व्यक्ति भी तुच्छ समझे जाते हैं। साधारण व्यक्ति...
Continue reading »
June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
फैशन Fashion परिवर्तित समय के अनुरूप स्वयं को ढालना ही फैशन है। वैसे फैशन शब्द का प्रयोग वेशभूषा के रूप में लिया जाता है। वेशभूषा के नित नए रूप देखने को मिलते हैं। एक ही प्रकार के कपड़े ज्यादा देर तक प्रचलन में नहीं रहते। इससे हम ऊब जाते हैं। फैशन के कारण ही तरोताजा बने रहते हैं। फैशन को सदा गलत अर्थों मेें नहीं लिया जाना चाहिए। स्वयं को आधुनिक...
Continue reading »
June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्रतिभा पलायन Brain Drain आज जिसे देखो, उस पर विदेश जाने की धुन सवार है। इस प्रवृत्ति के कारण प्रतिभा का खूब पलायन हो रहा है। यह पढ़े-लिखों का विदेश-पलायन केवल मात्र धन की लालसा है। अधिक से अधिक धन पाने की कामना उन्हें विदेश जाने को बढ़ावा दे रही है। यद्यपि विदेश में उनके साथ कोई सम्मानजनक व्यवहार नहीं होता, पर सुख-ऐश्वयर्यपूर्ण जीवन की चाह उन्हें सभी कुछ सहने...
Continue reading »
June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सादा जीवन उच्च विचार Sada Jeevan Uch Vichar आज का युग भौतिकवादी हो गया है। इसमें दिखावे की प्रवृत्ति निरंतर बढ़ती जा रही है। और इसी कारण अशांति बढ़ रही है। भारतीय संस्कृति में ‘सादा जीवन उच्च विचार’ पर बल दिया जाता रहा है। यह सिद्धांत केवल कहने भर के लिए नहीं है, अपितु यह सुख का आधार है। सादा जीवन जीने से मानसिक अशांति नहीं होती, अपितु इससे व्यक्ति...
Continue reading »
June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मजदूर Majdoor मैं मजदूर हूँ। मेरे कंधों पर निर्माण का भार टिका हुआ है। मैंने नए भारत का निर्माण किया है। मैं निर्माता हूँ। मैं मजदूर होते हुए भी अपने काम में निरंतर लगा रहता हूँ। मैंने अपने कंधे कभी नहीं गिराए। मैं काम करने से कभी नहीं घबराता। मैं अनेक पीढ़ियों से निरंतर काम करता चला आ रहा हूँ। मैंने बड़े-बड़े पुल बनाए, बड़ी-बड़ी भव्य आलीशान इमारतें बनाई।...
Continue reading »
June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
समरथ को नहिं दोष गोसाँई Samrth ko nahi dosh Gosain इस कहावत का अर्थ है- समर्थ व्यक्ति को किसी भी प्रकार का दोष नहीं लगता। समर्थ अर्थात् शक्तिशाली व्यक्ति कुछ भी कर ले, कोई उस पर टीका-टिप्पणी नहीं करता। विशेष कमजोर व्यक्ति ही सभी की नजरों में रहता है। सभी उसकी कमियाँ ढूँढ कर निकालते हैं। कहा भी जाता है- ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ अर्थात् ताकतवर की ही सब बातें...
Continue reading »
June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
भारत का भविष्य Bharat ka Bhavishya भारत का भविष्य उज्जवल है। भरत इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर गया है। यह सदी भारत के लिए अत्यंत शुभ है। इस सदी में भारत सफलता के नए आयाम छुएगा। भारत एक सशक्त लोकतांत्रिक देश है भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरेगा। यह विश्व की महान शक्ति के रूप में उभरेगा। इस समय भारत विकासशील देशों की श्रेणी में है। 2030 तक...
Continue reading »
June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages2 Comments