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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 147)
छोटे परिवार सुखी परिवार Chota Parivar Sukhi Parivar जमानव-सभ्यता संकट के जिन क्षणों से गुजर रही है, जीवन जीना जिस तरह कठिन होता जा रहा है, विशेष कर आम आदमी को जिस प्रकार के अभाव अभियोगों जीने को विवश होना पड़ रहा है; उस सब का मूल कारण है जीवन जीने के साधनों नित्य प्रति महँगे और दुर्लभ होते जाना। इस महँगाई और दुर्लभता का मुख्य कारण यह माना जाता है...
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January 16, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
वन-संरक्षण Van-Sanrakshan निबंध संख्या:- 01 वन अरण्य, जंगल, विपिन, कानन आदि सभी शब्द प्रकृति की एक ही अनुपम देन समर्थ भाव और स्वरूप को प्रकट करने वाले हैं। आदि मानव का जन्म उस की माता-सस्कति का विकास इन वनों में पल-पुसकर ही हुआ था। उस की खाद्य आवास आदि सभी समस्याओं का समाधान करने वाले तो वन थे ही, उसकी रक्षा भी वन ही किया करते थे। वेदों, उपनिषदों की रचना...
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January 16, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पेड़-पौधे और पर्यावरण Ped Paudhe aur Paryavaran पेड़-पौधे प्रकृति की सुकुमार, सुन्दर, सुखदायक सन्तानें मानी जा सकती हैं। इन के माध्यम से प्रकृति अपने अन्य पुत्रों, मनुष्यों तथा अन्य सभी तरह के जीवों पर अपनी ममता के खजाने न्योछावर कर अनन्त उपकार किया करती है। स्वयं पेड़-पौधे भी अपनी कति माँ की तरह ही सभी जीव-जन्तुओं का उपकार तो किया ही करते हैं। उनके सभी करके अभावों को भरने, दूर करने...
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January 16, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
लोकतंत्र और चुनाव Loktantra aur Chunav चुनाव को लोकतंत्री शासन-व्यवस्था की रीढ़ माना गया है। इसके बिना लोकतंत्र की परिकल्पना कर पाना ही सभव नहीं हुआ करता। लोकतंत्र का अर्थ है- लोक यानि आम जनता द्वारा चलाई जाने वाली शासन-व्यवस्था। इसी दृष्टि से लोकतंत्र की परिभाषा सकार की जाती है- वह शासन-व्यवस्था, जिसका संचालन लोक यानि जन या जनता टारा चने गए प्रतिनिधि आम जनता के हित-साधन या लाभ के लिए...
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January 16, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत में लोकतंत्र की सार्थकता Bharat me Loktantrata ki Sarthakta संसार में शासन चलाने की जो अनेक प्रणालियाँ प्रचलित है, उनमें से लोकतंत्र जन-हित की दृष्टि से सब से श्रेष्ठ प्रणाली माना गया है। इसे जनतंत्र और गणतंत्र भी कहा जाता है। इस शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता इस की परिभाषा के अनुसार यह मानी जाती है इसमें लोक या जन (जनता) द्वारा चुनी गई सरकार द्वारा जनता के हित-साधन...
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January 16, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत की साँस्कृतिक एकता Bharat ki Sanskritik Ekta अस्कतिक दृष्टि से भारत इस धरती का अत्यन्त प्राचीन देश माना जाता है। रोम मस की प्राचीनतम मानी जाने वाली सस्कृतियों के खण्डहर विशेष भी इस धरा धाम बीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं, जब कि भारतीय सभ्यता-संस्कति के भीतर अपनी कुछ आत्यन्तिक विशेषताएँ ऐसी हैं कि समय-समय पर प्रयत्न किये जाते रहने पर भी आज तक इस का कोई बाल भी बाँका...
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January 16, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत-निर्माण में राजनेताओं का योगदान Bharat Nirman me Rajnetao ka Yogdan निर्माण दो-चार या दस-बीस वर्षों में नहीं हो जाया करता, बल्कि उसके लिए सैकड़ों हजारो वर्षों का समय लग जाता है। अत: भारत-निर्माण में राजनेताओं का योगदान, जैसे विषयों पर चर्चा करना न तो उचित विषय ही प्रतीत होता है, न उनके कार्यों और निर्माण को वास्तव में नापा-तोला ही जा सकता है। हमारे विचार में यहाँ इस शीर्ष का...
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January 16, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
विश्व-शान्ति और भारत Vishwa Shanti aur Bharat निबंध संख्या :- 01 अपने मूल स्वभाव में भारत एक अध्यात्मवादी और शान्ति प्रिय देश रहा है। यह अलग बात है कि आज का भारतीय आधिकाधिक मौलिक साधनों को पाने के लिए आतुर हो और दीवाना बन कर अपनी मूल अध्यात्म चेतना से भटकता जा रहा है. उस से हर दिन दूर होता जा रहा है: पर जहाँ तक शान्तिप्रियता का प्रश्न है, हमारे...
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January 16, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment