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Hindi Letter on “Library me Hindi ki Magazine aur sahitya pustako ko mangwane hetu Patra “पुस्तकालय में हिन्दी की पत्र-पत्रिका व उच्च कोटि का साहित्य मँगवाने हेतु पत्र”.

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पुस्तकालय में हिन्दी की पत्र-पत्रिका व उच्च कोटि का साहित्य मँगवाने हेतु पत्र लिखें। सेवा में, प्रधानाचार्य, सुमित राहुल पब्लिक स्कूल विकासपुरी, नई दिल्ली। विषय – ‘पुस्तकालय में हिन्दी की पत्र-पत्रिका व उच्च कोटि का साहित्य मँगवाने हेतु ‘ महोदय, सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में हिन्दी पत्रिकाओं का अभाव है। अंग्रेजी की तो अनेक पत्रिकाएँ आती हैं, जबकि हिन्दी की केवल एक पत्रिका आती है। पुस्तकालयाध्यक्ष से...
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Hindi Letter on “Loudspeakers ke anuchit prayog ko rokne ki prarthna karte hue patra “लाउडस्पीकरों के अनुचित प्रयोग को रोकने की प्रार्थना”

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लाउडस्पीकरों के अनुचित प्रयोग को रोकने की प्रार्थना। प्रेषक: सुकान्त मेहता B686/5 लक्ष्मी नगर दिल्ली -1100092 सेवा में, पुलिस आयुक्त दिल्ली पुलिस थाना लक्ष्मीनगर दिल्ली-1100092 महोदय, विषय– लाउडस्पीकरों के अनुचित प्रयोग को रोकने की प्रार्थना। मैं आपके क्षेत्र का एक नागरिक हूँ और आपको अत्यन्त खेद के साथ सूचित करना चाहता हूँ कि हमारे क्षेत्र में नियम के विरुद्ध गलत समय पर लाउडस्पीकरों का प्रयोग किया जा रहा है। समय-सीमा के...
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Samkaleen Bhartiya Mahilaye  “समकालीन भारतीय महिलाएं” Hindi Essay, Nibandh 1000 Words for Class 10, 12 Students.

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समकालीन भारतीय महिलाएं Samlaleen Bhartiya Mahilaye पुरुष एवं महिला एक गाड़ी के दो पहिये के समान हैं। एक के बिना दूसरे का जीवन अधूरा है। पृथक जीवन जीने में पुरुष और महिला के जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। पुरुष एवं महिला एक-दूसरे के व्यक्तित्व के विकास में योगदान करते हैं। हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में, पुरुष की तुलना में महिला को ऊँचा स्थान प्राप्त है। यह माना जाता है कि जिस...
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Nijikarn – Gun evm Dosh  “निजीकरण: गुण एवं दोष” Hindi Essay, Nibandh 1200 Words for Class 10, 12 Students.

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निजीकरण: गुण एवं दोष Nijikarn – Gun evm Dosh निजीकरण एक बहुअर्थी अवधारणा है। इससे विभिन्न प्रकार के अर्थ निकलते हैं। संकीर्ण अर्थ में, निजीकरण का अर्थ राज्य के स्वामित्व वाली ईक्विटी को निजी शेयरधारकों को बेचना, राज्य संस्थाओं से निजी क्षेत्र के उत्पादन की इकाइयों के स्वामित्व का हस्तांतरण और निजी प्रबंधन और नियंत्रण की शुरूआत है। व्यापक अर्थ में, इसका अर्थ सार्वजनिक क्षेत्र के लिए स्वायतत्ता का विस्तार, सार्वजनिक...
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Bharat mein Mahilaon ke Rajnitik Adhikar  “भारत में महिलाओं के राजनीतिक अधिकार” Hindi Essay, Nibandh 700 Words for Class 10, 12 Students.

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भारत में महिलाओं के राजनीतिक अधिकार Bharat mein Mahilaon ke Rajnitik Adhikar  केवल अधिक राजनैतिक अधिकार ही महिलाओं की दुर्दशा में सुधार नहीं कर पाएगा एलिजाबेथ के शासन काल में विलियम शेक्सपियर द्वारा महिलाओं के लिए दिए गए नाम “कमजोरी” की प्रासंगिकता अब समाप्त हो चुकी है। पुरुष की अर्द्धांगिनी, महिला सहस्राब्दि की नींद से जाग गई है और समाज में अपनी जगह की मांग कर रही है। देश की कुल...
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Bharat mein Jativad aur Chunavi Rajniti “भारत में जातिवाद और चुनावी राजनीति” Hindi Essay, Nibandh 1000 Words for Class 10, 12 Students.

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भारत में जातिवाद और चुनावी राजनीति Bharat mein Jativad aur Chunavi Rajniti यह बिल्कुल सत्य तथ्य है कि कोई भी प्रजातांत्रिक प्रणाली धार्मिक और जातिवादी प्रभावों से उन्मुक्त नहीं है। चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का भाग्य उनके द्वारा प्राप्त साम्प्रदायिक मतों से सीधे जुड़ा होता है। सभी राजनीतिक पार्टियाँ चतुराई से अपने जातिवादी और अन्य संकीर्ण पूर्वाग्रहों को छिपाकर अपने चुनाव घोषणा-पत्रों में किए गए वादों को पूरा करने का वचन...
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Tiraskrit Bhartiya Prajatantra “तिरस्कृत भारतीय प्रजातंत्र” Hindi Essay, Nibandh 1000 Words for Class 10, 12 Students.

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तिरस्कृत भारतीय प्रजातंत्र Tiraskrit Bhartiya Prajatantra अधिकारों की असमानता और अवसरों की असमानता से ही क्रांतियों की पृष्ठभूमि बनती रही है। राजतंत्र और अभिजात वर्ग की समाप्ति के बाद राजनैतिक समानता के सिद्धान्त का जन्म हुआ। यह निःसंदेह महान सामाजिक आदर्श है। जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के अनुसार, “यह केवल एक वर्ग नहीं बल्कि सम्पूर्ण जनसंख्या के महानतम उपलब्ध कल्याण के उद्देश्य वाली एक सामाजिक व्यवस्था है।” ऐसा विश्व जिसमें लोगों की...
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Sabhyata aur Kavita “सभ्यता और कविता” Hindi Essay, Nibandh 300 Words for Class 10, 12 Students.

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सभ्यता और कविता Sabhyata aur Kavita जिस युग में वाणिज्य और उद्योग सर्वोच्च सत्ता पर आसीन हों, विज्ञान और प्रोद्योगिकी रहन-सहन व विचारों के ढंग को निर्धारित करते हों, वहाँ कविता को कोई व्यक्ति पर ऐसे प्रीतिकर शौक के रूप में देखेगा जिसे शालीन लोग उस समय लिखते हैं जब उनके पास ‘मनोरंजन का और कोई तरीका’ नहीं होता। थोड़ी गहनता से देखने पर भी हमारी सोच नहीं बदलेगी और सभ्यता...
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