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Bojha tya pet me, “बोझा गया पेट में” Hindi motivational moral story of “Samrat Krishnadev Rai” for students of Class 8, 9, 10, 12.

बोझा गया पेट में

Bojha tya pet me

एक बार सम्राट कृष्णदेव राय ने अपने दरबारियों की परीक्षा लेने के लिए एक चाल चली। उन्होंने छोटी-बड़ी कई गठरियां बनायीं और दरबारियों से उन्हें ले चलने को कहा। प्रत्येक दरबारी ने छोटी-बड़ी गठरी उठाने की चेष्टा की।

केवल तेनाली राम एक कोने में खड़ा रहा। अंत में जब एक बड़ी गठरी बच गयी, तो उसने उसे सिर पर उठा लिया। यह देखकर अन्य दरबारी उसका मज़ाक उड़ाने लगे। शाम को जब सब लोग अन्तिम पड़ाव पर पहुँचे तो बोझा ढ़ोने के कारण सभी दरबारी हाँफ रहे थे। केवल तेनालीराम के सिर पर बोझ नहीं था। यह देखकर महारानी ने तेनाली राम से पूछा-“यह क्या, बोझ कहाँ गया?” तेनाली राम ने हंसकर कहा”- लोगों के पेट में।” फिर उसने बताया कि पहले ही भांप गया था कि बड़ी गठरी में खाने-पीने का सामान है। वह यह भी जान गया था कि और सबको तो मंजिल तक बोझ उठाना पड़ेगा, पर उसका बोझ राह में ही सिर से हट जायेगा। गठरी में सफ़र के लिए ही खाने-पीने का सामान दिया गया। था। तेनाली राम की चतुराई देखकर सब दंग रह गये।

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