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Bhool Ka Dand, “भूल का दण्ड” Hindi motivational moral story of “Rabindranath Tagore” for students of Class 8, 9, 10, 12.
भूल का दण्ड
Bhool Ka Dand
एक बार अन्तरायण में शान्ति निकेतन के अध्यापकों की सभा थी, गुरूदेव रवीन्द्र नाथ भी उस सभा में आने वाले थे। अध्यापक खुशी में बातचीत कर रहे थे।
गुरूदेव सहसा कक्ष में आए और गम्भीर भाव से कहा, “नेपाल बाबू, आजकल आप काम में बहुत भूलें करते हैं। इसके लिए आपको दण्ड लेना होगा।”
गुरूदेव को उस ढंग से बातें करते देख सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगे। नेपाल बाबू तो सन्न हो गये। उसी समय गुरूदेव ने एक छड़ी देते हुए कहा, “कल भूल से यह ‘दण्ड’ आप यहाँ छोड़ गये थे, लीजिए।”
पल भर में ही सभा में खुशी की लहर दौड़ गई।