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Besamajh Log, “बेसमझ लोग” Hindi motivational moral story of “Swami Vivekananda” for students of Class 8, 9, 10, 12.
बेसमझ लोग
Besamajh Log
स्वामी विवेकानन्द एक बार रेलयात्रा कर रहे थे। उन्हीं के डिब्बे में दो अंग्रेज यात्री भी थे। एक तो हिन्दुस्तानी और दूसरे गेरूआधारी स्वामी जी के बारे में दोनों जितना अनाप-शनाप हो सका, बोलते रहे। इतने में स्टेशन आया। स्वामी जी ने स्टेशन मास्टर को बुलाकर अंग्रेजी भाषा में कहा-“कृपया थोड़ा सा पानी मंगा दीजिये।” उनको अंग्रेजी में बोलते देख दोनों यात्री ज़रा क्षुब्ध हुए। उनमें से एक ने स्वामी जी से पूछा- “आप अंगेजी जानते हैं, फिर हम जब आपके सम्बन्ध में बात कर रहे थे, आप कुछ बोले क्यों नहीं? क्या आपको गुस्सा नहीं आया ?”
स्वामी विवेकानन्द ने हँसते हुए कहा, “मित्रों, आप जैसे पुरुषों के सम्पर्क में आने का यह मेरा पहला अवसर तो है नहीं। फिर बेसमझ लोगों पर गुस्सा करके अपनी शक्ति क्यों व्यर्थ खर्च करूँ।”