Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Akshar Ananya, “अक्षर अनन्य ” Hindi motivational moral story of “Akshar Ananya” for students of Class 8, 9, 10, 12.
Akshar Ananya, “अक्षर अनन्य ” Hindi motivational moral story of “Akshar Ananya” for students of Class 8, 9, 10, 12.
अक्षर अनन्य
Akshar Ananya
ज्ञानाश्रयी शाखा के कवि अक्षर अनन्य कुछ दिनों तक दतिया के राजा पृथ्वीचंद के दीवान थे। बाद में वे विरक्त होकर पन्ना में रहने लगे। छत्रसाल इनके शिष्य थे। एक बार ये छत्रसाल से अप्रसन्न होकर जंगल में चले गये। पता लगने पर महाराज छत्रसाल जब क्षमा प्रार्थना के लिए इनके पास गये, तब उन्होंने अक्षर अनन्य को झाड़ी के पास पैर फैलाकर लेटे हुए पाया। महाराज छत्रसाल ने पूछा, “पांव पसारा कब से ?”
‘हाथ समेटा जब से’-अक्षर अनन्य ने उत्तर दिया।