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Virodhabhas Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | विरोधाभास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
विरोधाभास अलंकार
Virodhabhas Alankar
जहाँ वास्तव में विरोध न होने पर भी विरोध की प्रतीति श्लेष आदि के चमत्कार से कराई जाती है, तो वहाँ विरोधाभास अंलकार होता है। जैसे-
या अनुरागी चित्र की गति समुझै नहिं कोय ।
ज्यों-ज्यों बूड़ै स्यामरंग त्यों-त्यों उज्जवल होय ॥
यहाँ श्याम रंग में डूबने पर उज्जवल होने का विरोधाभास है।
कुछ अलंकारों की संक्षिप्त पहचान
क्रमांक अलंकार का नाम पहचान
1 यमक अलंकार शब्द जितने बार आये, अर्थ भी उतनी बार बदले।
- श्लेष अलंकार एक ही शब्द में अनेक अर्थ चिपके हों।
- व्याजस्तुति अलंकार बहाने से प्रशंसा।
- व्याज निंदा अलंकार बहाने से निंदा।
- अन्योक्ति अलंकार एक को लक्ष्य करके किसी अन्य के लिये कहा जाये।
- विभावना अलंकार बिना कारण ही कार्य होना।
- व्यतिरेक अलंकार उपमेय को उपमान से बड़ा बताया जाये।
- विशेषोक्ति अलंकार कारण के होने पर भी कार्य का न होना।